फर्जी शादियों की जांच करने चौथे दिन भी नहीं पहुंचे अधिकारी, 15 नवंबर को ही डीएम ने टीम गठित कर 15 दिन में रिपोर्ट देने का दिया है निर्देश
फर्जी शादियों की जांच करने चौथे दिन भी नहीं पहुंचे अधिकारी 15 नवंबर को ही डीएम ने टीम गठित कर 15 दिन में रिपोर्ट देने का दिया है निर्देश
गाजीपुर, जेएनएन। मनिहारी ब्लाक में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में बड़े पैमाने पर हुए घोटाले की जांच अभी तक शुरू नहीं हो सही है, जबकि 15 नवंबर को ही जिलाधिकारी टीम गठित कर 15 दिनों में रिपोर्ट प्रेषित करने का निर्देश दिया है। शासन की किरकिरी कराने वाले इस बेहद गंभीर मामले में इस कदर लापरवाही जिलाप्रशासन के रवैये पर सवाल उठा रही है। वैसे 15 दिन में रिपोर्ट सौंपे जाने के निर्देश के बाद ही यह सवाल उठने लगे थे कि इस जांच के लिए इतने समय क्यों दिए जा रहे हैं। बहरहाल, जागरण की न सिर्फ पड़ताल जारी है बल्कि और ब्लाकों में भी हुई इस तरह की गड़बडिय़ों को उजागर करने का वीणा उठाया है।
मनिहारी ब्लाक के मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में 57 फर्जी दूल्हा-दुल्हन का न सिर्फ पंजीकरण किया गया था, बल्कि यह जोड़ा 14 नवंबर को शादी करने भी पहुंच गए थे। तभी ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि योगेंद्र कुमार सिंह ने सभी को पहचान लिया और इसका विरोध किया, जिसपर सभी फर्जी दूल्हा-दुल्हन फरार हो गए। इस खबर को दैनिक जागरण ने प्रथम पेज पर प्रमुखता से प्रकाशित किया। मामला शासन तक पहुंच गया। अब सवाल यह है कि इतना हाइप्रोफाइल मामला होने के बावजूद 15 दिनों में रिपोर्ट प्रेषित करने का निर्देश दिया गया, जबकि मामले की गंभीरता से जांच की जाती तो तीन से चार दिन काफी थे। यह जरूर है कि टीम गठित हुए चार दिन हो गए, लेकिन अभी तक जांच शुरू नहीं की जा सकी है। जबकि दैनिक जागरण के पड़ताल में यह साफ हो गया है कि योजना में अधिकारियों से मिलीभगत से बड़ा खेल किया गया है। इस गड़बड़झाले में चाहे जो कोई भी दोषी हो, लेकिन गठित टीम सही से जांच की तो अधिकारियों व कर्मियों के कई और करतूत सामने आएंगे। जिसमें कई अन्य का भी गला फंसना तय है।
पीडी पर भी लटक रही तलवार
जिस तरीके से पीडी विजय प्रकाश वर्मा को जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य ने दो दिन पहले सामूहिक विवाह को लेकर फटकार लगाया उससे साफ है कि उन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। आखिर हो भी क्यों न। ब्लाक के बीडीओ का प्रभार उन्हीं के पास है। इसके पड़ताल की निगरानी की जिम्मेदारी उन्हीं की है। ऐसे में उनका सीधे नीचे के अधिकारियों पर दोषारोपण सवाल उठाता है। आखिर वह अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही से कैसे बच सकते हैं, जबकि सबकुछ उन्हीं पर था। इस संबंध में पीडी से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनका फोन स्वीच आफ रहा।
इस बारे में सीडीओ हरिकेश चौरसिया ने कहा कि इससे जुड़े सारे अभिलेख तलब किए गए हैं। इसके अवलोकन के बाद मंगलवार से जांच शुरू कर दी जाएगी। जल्द ही जांच पूरी भी कर ली जाएगी।