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अब वाराणसी में बैंक की मैनुअल एनओसी को नहीं मानेगा परिवहन विभाग, फर्जी गिरोह पर कसेगा शिकंजा

वाराणसी में बैंक की मैनुअल एनओसी को परिवहन विभाग नहीं मानेगा। बैंक को ऑनलाइन एनओसी देनी होगी। अब फर्जी गिरोह पर शिकंजा कसेगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 01:17 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 01:17 PM (IST)
अब वाराणसी में बैंक की मैनुअल एनओसी को नहीं मानेगा परिवहन विभाग, फर्जी गिरोह पर कसेगा शिकंजा
अब वाराणसी में बैंक की मैनुअल एनओसी को नहीं मानेगा परिवहन विभाग, फर्जी गिरोह पर कसेगा शिकंजा

वाराणसी, [जेपी पांडेय]। बैंक की फर्जी एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) के सहारे परिवहन विभाग में फाइनेंस गाडिय़ों का नाम कटवाने वाले गिरोह पर शासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। बैंक की मैनुअल एनओसी को परिवहन विभाग नहीं मानेगा। बैंक को ऑनलाइन एनओसी देनी होगी। फर्जी एनओसी के सहारे तथाकथित लोगों ने परिवहन विभाग में सैकड़ों गाडिय़ों से बैंक का नाम कटवा लिया है, इसको लेकर कई गाडिय़ों के मामले उच्चाधिकारी के यहां सुनवाई में हैं तो कई न्यायालय में विचाराधीन हैं। मुख्यालय ने परिवहन अधिकारी को बैंकों से पत्राचार करने के साथ कड़ाई से पालन कराने को कहा है।

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बैंक की फर्जी एनओसी देख अधिकारी हैरान 

बैंक से फाइनेंस गाडिय़ों पर वाहन स्वामी के साथ बैंक का भी नाम होता है। वाहन स्वामी द्वारा लोन का पैसा जमा करने पर बैंक एनओसी देती है, उस आधार पर वाहन स्वामी का नाम पूरी तरह से चढ़ता है। लेकिन, बैंक के फर्जी एनओसी के सहारे बैंकों का नाम कटवाने वाले गिरोह सक्रिय है। परिवहन कार्यालय में दो-चार नहीं, बल्कि सैकड़ों की संख्या में बैंक नाम कटवा चुके हैं और उसे पता तक नहीं है। बैंक के पूछने पर विभाग उनकी ओर से जारी एनओसी के बारे में बताता है। बैंक की फर्जी एनओसी देख अधिकारी हैरान है। 

आरसी में होता है बैंक का नाम

बैंक से फाइनेंस गाडिय़ों पर परिवहन विभाग के फार्म-35 के चार फार्म पर बैंक के मुहर लगने के साथ प्रबंधक के दस्तखत होते हैं। विभाग के कंप्यूटर में दर्ज होने के साथ रजिस्ट्रेशन किताब (आरसी) पर भी बैंक का नाम होता है जिससे वाहन स्वामी उसे बेच नहीं सके।

गिरोह ऐसे करता है खेल

फाइनेंस गाड़ी को बेचने, गारंटी देने या बैंक का लोन नहीं चुकाने के नियत से वाहन स्वामी बैंक का नाम कटवाते हैं। ऐसे लोगों से संपर्क में आने पर गिरोह के लोग बैंक का लेटर पैड और मुहर बनाने के साथ एनओसी बनाते हैं। इस काम को अंजाम देने के लिए परिवहन कर्मियों का सहारा लेते हैं। परिवहन विभाग के फार्म-35 पर बैंक मुहर और दस्तखत कर देता है कि अब कोई राशि बकाया नहीं है। विभाग बैंक का नाम काट सकता है।

यह तय कर रखा है रेट

2000 रुपये दोपहिया के लिए

5000 रुपये चार पहिया के लिए

8000 रुपयेमिनी ट्रक व बस के लिए

14000 रुपये बस और ट्रक के लिए

इन्होंने लगाया चूना

टाटा कंपनी से चोलापुर के रहने वाले सुरेश कुमार ने ट्रक फाइनेंस करा रखा था। टाटा कंपनी का करीब नौ लाख रुपये बकाया है। उन्होंने फर्जी लेटर पैड के सहारे नाम कटवाकर ट्रक बेच दिया। बकाया किश्त जमा नहीं होने पर फाइनेंस कंपनी ट्रक का नाम-पता लेने पहुंची तो मालूम चला कि वह ट्रक एनओसी लेकर दूसरे प्रदेश चली गई है। इसी प्रकार चितईपुर के रहने वाले विकास पटेल ने लग्जरी कार राष्ट्रीयकृत बैंक से फाइनेंस करा रखे हैं। अब बैंक का नाम नहीं होने पर उच्च अधिकारी के यहां इसको लेकर सुनवाई चल रही है। पहडिय़ा के रवि प्रकाश ने दो पहिया वाहन प्राइवेट बैंक से फाइनेंस करा रखी है। अब बैंक का नाम नहीं है। एआरटीओ एके राय का कहना है कि पहले मैनुअल एनओसी पर काम  होता था। कुछ लोग फर्जी एनओसी के सहारे बैंक का नाम कटवाने की कोशिश करते थे, ऐसे में अब विभाग के ई-मेल पर सूचना आने पर फाइनेंस कंपनी का नाम काटा जाता है।


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