अब क्लीनिकल ट्रायल में सहयोग करेंगे वाराणसी जिला अस्पताल के डाक्टर, डीएम ने लिखा पत्र
बीएचयू के आयुर्वेद व माडर्न मेडिसिन के चिकित्सक कोरोना संक्रमितों के परिवार के हाई रिस्क वाले मरीजों पर सोंठ चूर्ण के असर का अध्ययन कर रहे हैं। जिला प्रशासन व रेडक्रास सोसाइटी के सहयोग से 910 लोगों पर चले क्लीनिकल ट्रायल में अब तक एकमात्र मरीज ही पाजिटिव हुआ है।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू के आयुर्वेद व माडर्न मेडिसिन के चिकित्सक कोरोना संक्रमितों के परिवार के हाई रिस्क वाले मरीजों पर सोंठ चूर्ण के असर का अध्ययन कर रहे हैं। जिला प्रशासन व रेडक्रास सोसाइटी के सहयोग से 910 लोगों पर चले क्लीनिकल ट्रायल में अब तक एकमात्र मरीज ही पाजिटिव हुआ है। परिणाम से उत्साहित विशेषज्ञ अब क्लीनिकल ट्रायल के दायरे को बढ़ाने का निर्णय किया है। इसमें सहयोग के लिए कुशल चिकित्सकों की जरूरत है। ऐसे में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय व राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं महाविद्यालय को पत्र लिखकर चिकित्सक व अन्य संसाधन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
हर रसोई में आसानी से उपलब्ध सोंठ (सूखी अदरक) कोरोना से बचाने में भी मददगार साबित हो रही है। आयुर्वेद विभाग-बीएचयू ने कोरोना से बचाव के लिहाज से रेडक्रास सोसायटी के सहयोग से इसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए अगस्त के पहले सप्ताह में प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसके तहत कोरोना संक्रमितों के परिवार के हाई रिस्क वाले मरीजों को उनकी सहमति से रोजाना सुबह-शाम भोजन के बाद दो-दो ग्राम सोंठ का चूर्ण खिलाया गया। मूंग के दाने बराबर मात्रा (एक ग्राम) नाक से दी गई। पखवारे भर बाद 700 लोगों के रिव्यू में कोई पाजिटिव नहीं था। एक माह बाद अन्य 200 लोगों के रिव्यू में केवल एक व्यक्ति संक्रमित पाया गया।
प्रोजेक्ट के पीआइ (प्रिंसीपल इन्वेस्टीगेटर) वैद्य सुशील दुबे के मुताबिक कोरोना वायरस फैट मालीक्यूल पर बैठ कर शरीर के प्रोटीन को नुकसान पहुंचाता है। सोंठ में फैट मालीक्यूल को गलाने की क्षमता होती है। इसलिए मरीज को दो ग्राम चूर्ण चूसने और एक ग्राम सूंघने को दिया गया। इससे मुंह व नाक में वायरस टिकने की आशंका नगण्य रह जाती है। बताया विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के क्वालिटी आफ लाइफ के लिए निर्धारित 26 बिंदुओं के आधार पर स्वास्थ्य टीम रिव्यू कर रही है। अगला रिव्यू इसी माह के अंत में होगा।