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शिक्षिका ही नहीं, डिस्पैच नंबर और जेडी के सिग्नेचर भी फर्जी, फरार है फर्जी शिक्षिका, असहाय है महकमा और पुलिस

शासन के स्थानांतरण आदेश में फर्जीवाड़ा कर अलग से नाम डाला गया बल्कि डिस्पैच नंबर और जेडी के सिग्नेचर तक फर्जी तरीके से करते हुए इसे अमलीजामा पहनाने का दुस्साहस किया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 10:29 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 08:50 AM (IST)
शिक्षिका ही नहीं, डिस्पैच नंबर और जेडी के सिग्नेचर भी फर्जी, फरार है फर्जी शिक्षिका, असहाय है महकमा और पुलिस
शिक्षिका ही नहीं, डिस्पैच नंबर और जेडी के सिग्नेचर भी फर्जी, फरार है फर्जी शिक्षिका, असहाय है महकमा और पुलिस

गाजीपुर [सर्वेश कुमार मिश्र]। एक कहावत है अंधेर नगरी, चौपट...। यह कहावत इन दिनों जिले के शिक्षा विभाग खासकर फर्जी शिक्षिका कल्पना के मामले में बिल्कुल सटीक बैठ रहा है। न सिर्फ शासन के स्थानांतरण आदेश में फर्जीवाड़ा कर कु. कल्पना का अलग से नाम डाला गया, बल्कि डिस्पैच नंबर और जेडी के सिग्नेचर तक फर्जी तरीके से करते हुए इसे अमलीजामा पहनाने का दुस्साहस किया गया था। बावजूद इसके आफिस में इसमें कथित तौर से संलिप्त बाबू कुंडली जमाए बैठा है, जबकि फर्जी शिक्षिका पर मजबूरन मुकदमा जरूर हुआ लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सकी है। आखिर क्यों का जवाब में महकमे के अधिकारी मौनी बाबा बन जाते हैं। 

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कल्पना नहीं की जा सकती कि कल्पना नामक फर्जी शिक्षिका को लेकर महकमा इस कदर तक असहाय हो सकता है। इस मामले के बाद तो यह आशंका बलवती हो गई है कि ऐसे और कितने लोग हो सकते हैं जो दीमक की तरह महकमे को चट कर रहे हैं। जिस बाबू पर अंगुली उठ रही है उसके अफसाने भी तमाम और एक से बढ़कर एक हैं। सूत्रों के मुताबिक तैनाती, तबादला, सेंटर, फर्जी मार्कसीट से लेकर तमाम करतूत उसके बाएं हाथ का खेल है। स्कूल प्रबंधन को तो वह महकमे के अधिकारियों की तरह अपने अंगुली पर नचाता है। बहरहाल, महकमा अपनी पीठ थपथपा सकता है कि कागजी पड़ताल में इसे पकड़ लिया गया लेकिन पकड़ा किसने और तरीका क्या रहा इसका क्या जवाब है। इसके पीछे के रैकेट को जब तक महकमा ध्वस्त नहीं करेगा तब उसे असहज स्थिति का सामना आए-दिन करते रहना पड़ेगा। चर्चित बाबू के प्रभाव का ही परिणाम रहा कि फर्जी शिक्षिका को बचाया जाता रहा। इस खबर को दैनिक जागरण ने अपने 14 अक्टूबर के अंक में पदभार ग्रहण करने पहुंची थी फर्जी शिक्षक नामक शीर्षक से प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद संबंधित अधिकारियों व कर्मियों के चेहरे की हवाइयां उड़ गईं और मामला सीएम दरबार तक पहुंच गया था। अंततोगत्वा डीआइओएस ने कथित शिक्षिका पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया। मुकदमा हुआ तो अब वह खुद फरार है, जबकि इसकी संरचना करने वाला अब भी मौज ले रहा है, मलाई काट रहा है।

ऐसे पकड़ में आया था मामला

फर्जी अध्यापिका कल्पना स्थानांतरण आदेश व अन्य कागजात के साथ डीआइओएस कार्यालय के चर्चित बाबू के साथ जनता आदर्श इंटर कालेज लहुरापुर के प्रबंधक एवं प्रधानाचार्य के पास पहुंची थी। सहायक अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यभार भी ग्रहण कर लिया। स्थानांतरित शिक्षिका ने प्रधानाचार्य से इतिहास व समाजशास्त्र विषय तक पढ़ाने का अनुरोध किया तब जाकर प्रधानाचार्य महोदय का माथा ठनका था। 

इस बारे में डीआइओएस ओमप्रकाश राय ने कहा कि फर्जी शिक्षिका कल्पना के मामले की जांच में डिस्पैच नंबर व जेडी के फाइल तक फर्जी थे। जहां तक इस तरह के और मामलों की बात है तो ऐसा कुछ है नहीं। यदि कहीं कोई मामला सामने आएगा तो निश्चित जांच होगी।


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