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प्रवासियों को घरों तक पहुंचाने में नौ करोड़ मुनाफा, मई से जून तक सातों डिपो की लगाई गई थीं 11 हजार बसें

आजमगढ़ में एक मई से चार जून तक प्रवासियों को इन बसों के जरिए एक से दूसरे स्थान तक पहुंचाने में 53 करोड़ खर्च हुआ था।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 07:49 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 07:49 PM (IST)
प्रवासियों को घरों तक पहुंचाने में नौ करोड़ मुनाफा, मई से जून तक सातों डिपो की लगाई गई थीं 11 हजार बसें
प्रवासियों को घरों तक पहुंचाने में नौ करोड़ मुनाफा, मई से जून तक सातों डिपो की लगाई गई थीं 11 हजार बसें

आजमगढ़, जेएनएन। आदर्श रेलवे स्टेशन पर एक मई से विभिन्न प्रांतों से आने वाली स्पेशल श्रमिक ट्रेनों से उतरे प्रवासियों को उनके गंतव्य तक छोडऩे के लिए स्टेशन पर लगभग 11000 रोडवेज की बसें लगाई गईं। एक मई से चार जून तक प्रवासियों को इन बसों के जरिए एक से दूसरे स्थान तक पहुंचाने में 53 करोड़ खर्च हुआ था। लंबी दूरी के प्रवासियों को पहुंचाने में प्रति बस 27000 रुपये खर्च हुए थे। सरकार द्वारा खर्च धन के भुगतान के बाद रोडवेज को नौ करोड़ का फायदा हुआ।

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लॉकडाउन में प्रवासियों को लेकर स्पेशल श्रमिक ट्रेनें एक मई से चार जून तक रेलवे स्टेशन पर पहुंचीं। इन प्रवासियों को उनके गंतव्य जिले तक पहुंचाने के लिए रोडवेज प्रशासन ने अपनी सातों डिपो से लगभग 11000 बसों को लगाया था। एक बस का खर्च लगभग 27000 रुपये आया था। इस प्रकार 11000 बसों का लगभग 29.70 करोड़ रुपये लागत आई थी। वहीं लंच-पानी के साथ ही अन्य खर्चों को लेकर 53 करोड़ का बिल बनाकर भेजा गया था। शासन से परिवहन विभाग को लगभग 53 करोड़ रुपये की धनराशि भेजी गई तो विभाग लगभग नौ करोड़ मुनाफे में पहुंच गया।

प्रवासियों को गंतव्य तक पहुंचाने में 11000 बसें लगाई गई थीं

प्रवासियों को गंतव्य तक पहुंचाने में 11000 बसें लगाई गई थीं। उनके लंच की भी व्यवस्था की गई थी। इसमें 53 करोड़ खर्च हुए थे। 24 मार्च से गाडिय़ां बंद होने से काफी दिक्कत हो रही थीं, लेकिन उस समय भी नौ करोड़ का फायदा हुआ था।

-ललित श्रीवास्तव, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, रोडवेज।

काशी की यात्रा करने वालों के मुख से निकलता है राम का नाम

जिले से काशी का सफर दुरूह हो गया है। सड़क की तस्वीर ऐसी कि सफर करने वालों की सूरत बिगड़ जाती है गिरने के बाद। चार पहिया सवार भी गड्ढों से गुजरते वक्त लेते हैं राम का नाम। किसी तरह से पार हो गए तो ठीक वरना करना पड़ता है घंटों इंतजार। पानी भरे गड्ढों की गहराई का आकलन करना मुश्किल हो जाता है।

 अभी रक्षाबंधन के दिन की बात करें तो मोटरसाइकिल राखी बंधवाने के लिए सुबह निकले और गड्ढे में गिरने के कारण घायल हो गए। मायके से राखी बांधकर लौटते समय कई महिलाओं के साथ भी ऐसा हुआ। छोट बच्चे हाथ से छूट गए। स्थानीय लोगों ने उन्हें बाहर निकालकर शरीर पर लगे कीचड़ साफ करने के लिए पानी उपलब्ध कराया। राम- जानकी मंदिर के सामने सुबह ही गड्ढे में ट्रक फंसकर खराब हो गया जो अब तक नहीं निकल सका। जगह-जगह वाहन अभी फंसे हुए हैं। मोहम्मदपुर की दशा बद से बदतर हो गई है। यहां गड्ढे में फंसने के बाद ट्रकों का भी निकलना मुश्किल हो जाता है। मोहम्मदपुर बाजार में दो-तीन जेसीबी खड़ी रहती है ताकि कोई वाहन फंसे तो उसे निकाला जा सके।


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