ड्रोन से होगी एनएच-31 निर्माण की जांच, निर्माण में लापरवाही पर जयपुर की कंपनी पर बड़े एक्शन की तैयारी
जयपुर की कंपनी की लापरवाही के चलते सड़क मरम्मत में काफी देरी हो गई है। ड्रोन कैमरा से सर्वे कर सड़क की वर्तमान स्थिति से मंत्रालय को अवगत कराया जा रहा है। चेतावनी देने के बाद संबंधित कंपनी ने पुन कार्य लगाया है।
बलिया, जागरण संवाददाता। यूपी-बिहार को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-31 की मरम्मत में लापरवाही पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने निर्माण एजेंसी पर कार्रवाई का मन बना लिया है। कुल 130 किलोमीटर लंबा प्रोजेक्ट है, लेकिन एक साल में मात्र 20 किमी कार्य ही हुआ है। जयपुर की कंपनी कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर को चेतावनी जारी की गई है। तय हुआ है कि अब उनके कामों की डिजिटल जांच होगी। हर दिन के कामों का ड्रोन कैमरे से हिसाब किताब रखा जाएगा। पूरी रिपोर्ट बनेगी, उसे केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेजा जाएगा।
यह है पूरा प्रोजेक्ट : गाजीपुर से मांझी घाट तक हाईवे मरम्मत के लिए जून 2020 में 102 करोड़ में टेंडर हुआ था। कार्य पूर्ण करने की अवधि एक साल थी, लेकिन कंपनी ने लापरवाही की हदें पार दीं। जब यह टेंडर हुआ तब कहा जा रहा था कि गाजीपुर और बलिया के मांझी घाट दोनों तरफ से मरम्मत कार्य होगा। बैरिया से मांझी घाट तक के लिए कार्य शुरू हुआ भी, लेकिन अधूरा छोड़ दिया गया। बैरिया में जहां पर मरम्मत कार्य कराया गया है कि वह 10 दिन भी नहीं टिका। सड़क की गिट्टी उखड़ गई है।
ड्रोन कैमरा से सर्वे कर सड़क की वर्तमान स्थिति से मंत्रालय को अवगत कराया जा रहा है
जयपुर की कंपनी की लापरवाही के चलते सड़क मरम्मत में काफी देरी हो गई है। ड्रोन कैमरा से सर्वे कर सड़क की वर्तमान स्थिति से मंत्रालय को अवगत कराया जा रहा है। चेतावनी देने के बाद संबंधित कंपनी ने पुन: कार्य लगाया है। अब लापरवाही मिलने पर कंपनी को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
- योगेंद्र प्रताप सिंह, तकनीकी प्रबंधक, एनएचएआइ
लोकपाल ने देखा मनरेगा सहित निर्माण कार्यों का सच : रसड़ा ब्लाक क्षेत्र के फिरोजपुर गांव में कराए गए मनरेगा सहित अन्य निर्माण कार्यों में अनियमितता बरतने की शिकायत पर शुक्रवार को आजमगढ़ परिक्षेत्र के लोकपाल सुरेशचंद्र अधिकारियों संग जांच करने पहुंचे। वे बजबजाती नालियां देख भड़क गये। सफाई कर्मी को फटकार लगाते हुए चेतावनी दी। यहां पर आवास, इंटरलाकिंग, खड़ंजा व शौचालय की दो घंटे तक जांच हुई।