अगली धर्म संसद प्रयाग में, राम मंदिर के लिए कटिबद्ध धर्म सांसदों ने आवाज बुलंद की
परम धर्म संसद के तीसरे व अंतिम दिन दोनो सत्रों में विभिन्न विषयों पर गहन विमर्श हुआ, तीसरे दिन भी राम मंदिर के लिए कटिबद्ध सनातनी धर्मांसदों ने आवाज उठाई।
वाराणसी, जेएनएन । परम धर्म संसद के तीसरे व अंतिम दिन दोनो सत्रों में विभिन्न विषयों पर गहन विमर्श हुआ। धर्म संसद में तीसरे दिन भी राम मंदिर के लिए कटिबद्ध सनातनी धर्मांसदों ने आवाज उठाई। सीर गोवर्धन में संसद के आकार में बनाए गए विशाल पंडाल में परम धर्म संसद में मंगलवार को हर हर महादेव के उद्घोष और जय श्री राम के नारों से गूंजित धर्म संसद के प्रांगण में हर कोई राम मन्दिर पर अपना अभिमत रखने को आतुर दिखा। दिन भर की चर्चा के बाद अवर सदन ने अपना प्रस्ताव प्रवर सदन को सौंप दिया, जिसमें राम मंदिर निर्माण से लगायत मन्दिर रक्षा, गंगा रक्षा और धर्म रक्षा जैसे विषय शामिल रहे। प्रवर सदन ने भी विमर्श उपरांत सामूहिक अभिमत परम धर्माधीश जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को सौंप दिया।
धर्म संसद के प्रवर धर्माधीश स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज ने संसद की कार्यवाही प्रारम्भ करते हुए कहा कि यदि हमें आने वाली पीढ़ी को दुनिया के समकक्ष तैयार करना है तो छोटी उम्र से ही बच्चो में धर्म की भावना विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा कि नवीनता प्राचीनता को बचाने के लिए लाई जाती है, लेकिन यदि नवीनता की कीमत पर हमारी प्राचीनता को नष्ट किया जायेगा तो यह उचित नही है।
धर्मगुरू स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि आज सनातन धर्म को बहुत नुकसान पहॅुचाया जा रहा है। भगवान आज भी फटे हुए टेन्ट में है, जो भी साधु सन्त अधम्र के खिलाफ आवाज उठाता है उसे फर्जी मुकदमों में फॅसा दिया जाता है। धर्म संसद 1008 किसी एक सीमा में बंधी हुई नही है बल्कि सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड का प्रतिनिधित्व कर रही है। इस धर्म संसद का लक्ष्य बेहद पवित्र है, यह हमारा सौभाग्य है जो हम इसमें प्रतिभाग कर रहे है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में चित्र नही बल्कि चरित्र की पूजा की जाती है इसलिए हम भगवान श्रीराम को पूजते है। स्वामी च्रकपाणि ने कहा कि ताकत सरकार के पास नही बल्कि हिन्दुत्व में है जिसने दो सीट वाली पार्टी को सत्ता के शीर्ष तक पहॅुचा दिया। जो राम को भूलता है वह खुद ही चुनाव हार जाता है, जो जगद्गुरू को भूलाता है उसे जगत ही भूला देता है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण गोरखपुर में देखने को मिला।
अयोध्या में राम मंदिर के लिए अनशनरत रहे तपस्वी छावनी के बड़े सरकार स्वामी परमहंस जी महाराज ने कहा कि मुझे आश्रम में धर्म संसद में आने से रोका गया। आश्रम में तोडफ़ोड़ की गई। हमारी लड़ाई मुसलमानो से नही अपनों से ही है। उन्होंने कहा कि मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि हम कभी भी बीफ की कमी नही होने देंगे। यह अत्यन्त निन्दनीय कथन है और इस धर्म संसद में आने के लिए मुझे बहुत संघर्ष करना पड़ा मुझे नजरबन्द भी कर दिया गया।
छत्तीसगढ़ के श्री महन्त बालक दास ने कहा कि हमने अपने यहॉ गोवंश के संरक्षण हेतु गौ अभ्यारण्य बनाया। एक गौवंश प्रतिदिन पचास रूपये का गोबर देता है जिससे ही उनकी सेवा हो सकती है। अयोध्या में जनाक्रोश को उभारने का ही प्रयास किया गया।
गूगल ब्याय के नाम से ख्यात कौटिल्य ने कहा कि सरकार सबको यह बता रही है कि काशी के मंदिर विकास में बाधक हैं, इसलिए उन्हें तोड़ा जा रहा है। मंदिर विकास के कारक हैं लेकिन आज उन्हे विकास में बाधक करार दिया जा रहा है। कौटिल्य ने कहा कि आजकल कुछ लोग काशी की तुलना जापान के क्योटो से करते है जो सही नही है। काशी दुनिया की सबसे प्राचीन आध्यात्मिक नगरी है, इसकी धरोहर ही इसकी पहचान है। कौटिल्य ने यह भी कहा कि गंगा में गिरते मलमूत्र उसकी पवित्रता को कम रहे है, लेकिन गंगा ही एक ऐसी नदी है जो खुद को पवित्र कर लेती है।
वृन्दावन से पधारे कथावाचक अनुराग कृष्ण जी ने कहा कि जिस प्रकार प्रभु श्री राम समुद्र के सामने 3 दिन मार्ग के लिए बैठे थे उसी प्रकार यह तीन दिवसीय धर्म संसद राम मन्दिर के लक्ष्य के लिए अवश्य फलीभूत होगी। पूर्व विधायक अजय राय ने कहा कि काशी की पुरानी पहचान यहॉ के धार्मिक स्थल है, जिन्हे तोडऩा उचित नही है। कुछ जगहो पर पैसे से धर्म को खरीदने का प्रयास किया जा रहा है। आज धर्म के तथाकथित रक्षक ही धर्म का नाश करने पर तुले है। धर्म संसद में ब्रम्हचारी सुबुद्धानन्द महाराज, प्रज्ञानन्द जी, स्वामी राजीव लोचन दास जी, स्वामी लक्ष्मण दास, अच्यूतानन्द जी महाराज, इन्दुभवानन्द जी महाराज, जल कुमार साई, स्वामी प्रज्ञानन्द, स्वामी लीलानन्द, ब्रम्हचारी ज्योर्तिमयानन्द, डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र, गार्गी पण्डित, डॉ. निरंजना नन्द जी, श्रीनिवास शर्मा, सावित्री पाण्डेय, रामधीरज, साध्वी ब्रम्हवादिनी आदि ने विचार रखे।
परम धर्म संसद में उठी कश्मीरी पण्डितो की भी आवाज : कश्मीरी पण्डित योगेन्द्र प्रसाद शास्त्री ने संसद में कश्मीरी पण्डितों के विस्थापन की मांग उठायी। उन्होंने कहा कि एक समय कश्मीर घाटी में चार सौ से ज्यादा मन्दिर हुआ करते थे जहॉ विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन होता रहा। लेकिन वर्तमान समय में सिर्फ तीन मन्दिरों मे ही पूजा पाठ होता है और उसे मान्यता मिली हुई है जो अत्यन्त कष्टदायी है। स्वामी अशोकानन्द ने भी कश्मीरी पण्डितो की बात सदन में रखी।
सप्त दिवसीय पंचदेव महायज्ञ की पूर्णाहूति : परम धर्म संसद के पावन प्रांगण में चल रहे सप्त दिवसीय पंचदेव महायज्ञ की पूर्णाहूति मंगलवार को हुई। विश्वकल्याणार्थ आयोजित इस महायज्ञ का जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी महाराज ने यज्ञ में आखिरी आहूति देकर इसकी पूर्णाहूति की। आचार्य विश्वेश्वर दातार धनंजय के आचार्यत्व में 31 भूदेवों ने भाग लिया। पूर्णाहूति से पूर्व मण्डप में आह्वाहित देवताओं का पूजन किया गया।
धर्म संसद की कैंटीन में सब कुछ रहा निश्शुल्क : धर्म संसद में तीनों दिन वृहद कैन्टीन का नि:शुल्क संचालन हुआ। तीन दिनों में 25 हजार से ज्यादा सनातनधर्मियों ने भोजन, नाश्ता और चाय ग्रहण किया। खास बात यह रही की इसमें साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा गया था। भोजनालय में प्रवेश से पूर्व सबके जूते चप्पल बाहर निकलवा कर ही प्रवेश करना था। संसद की कैन्टीन में 70 स्वयंसेवको ने दिन रात अथक परिश्रम कर सबके लिए भोजन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित किया।
स्वास्थ्य शिविर में सैकड़ो ने कराया परीक्षण - परम धर्म संसद में तीनों दिन सीएमओ द्वारा चिकित्सा शिविर लगाया गया। शिविर में तीसरे दिन सौ से ज्यादा धर्मासंदो ने अपना स्वास्थय परीक्षण कराया। डॉ. एसपी तिवारी के निर्देशन में दवा भी दिया गया। उनकी टीम में आरके सिंह, रवि त्रिवेदी, सौरभ हजारी शुक्ला आदि शामिल रहे।