कैंसर उपचार का विकल्प 'नेटोसिस', शरीर में असामान्य बदलावों पर अंकुश लगाकर सुधारेगा स्वास्थ्य
पूर्वांचल सहित उत्तर भारत में तेजी से पांव पसार रहे कैंसर की रोकथाम की दिशा में नेटोसिस (न्यूट्रोफिल एक्ट्रा सेल्युलर ट्रैप फारमेशन) बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल सहित उत्तर भारत में तेजी से पांव पसार रहे कैंसर की रोकथाम की दिशा में नेटोसिस (न्यूट्रोफिल एक्ट्रा सेल्युलर ट्रैप फारमेशन) बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। मानव शरीर में इसे बैलेंस कर कैंसर सहित असामान्य बदलावों को रोका जा सकता है। साथ ही कई असाध्य रोगों का उपचार भी किया जा सकता है।
श्वेत रक्त कणिकाओं में मौजूद न्यूट्रोफिल कोशिका किसी जीवाणु की उपस्थिति महसूस होने पर अपने डीएनए को मकड़ी के जाल की तरह बाहर निकाल देता है। इसमें जीवाणु फंस जाते हैं। इसके बाद एंटी-बैक्टीरियल एंजाइम इन्हें खत्म कर देता है। यही सामान्य प्रक्रिया 'नेटोसिस' है। इसमें गड़बड़ी होने पर किसी जीवाणु की गैर मौजूदगी में भी न्यूट्रोफिल डीएनए बाहर निकालने लगता है। प्रक्रिया से अनभिज्ञ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इससे लड़ते हुए प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) बनाने लगती है, जो कई तरह की बीमारियों का कारक बनती है। प्रतिरक्षा विज्ञान (इम्यूनोलॉजी) के क्षेत्र में यह एक नया विषय है, जिसके अब तक के तमाम ज्ञात पहलुओं को मॉलीक्यूलर एंड ह्यूमन जेनेटिक्स-बीएचयू की डा. गीता राय ने अपनी पुस्तक 'नेटोसिस' में संकलित किया है। इसका प्रकाशन दुनिया की प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्था 'एलसीवियर' ने किया। 'नेटोसिस' बीमारी में किस तरह काम करता है, कैसी दवाएं बनाई जाएं, भविष्य में इसकी उपयोगिता, शिशु मृत्यु दर रोकने में भूमिका आदि विषय पर यह किताब शोधार्थी की राह आसान करेगी।
हालांकि अभी तक यह ज्ञात नहीं हो सका है कि नेटोसिस किस तंत्र द्वारा संचालित है। फिर भी इसके आधार पर दवाएं तैयार हुई हैं, जो कई तरह के रोगों में कारगर साबित हो रही हैं।
बोले चिकित्सक : इसमें गड़बड़ी होने पर कैंसर, गठिया, ल्यूपस सहित संक्रामक रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। 'नेटोसिस- को बैलेंस कर तमाम असाध्य रोगों का उपचार किया जा सकता है। - डा. गीता राय, एसोसिएट प्रोफेसर (मॉलीक्यूलर एंड ह्यूमन जेनेटिक्स-बीएचयू)।