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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवन गाथा अब काशी दर्शन के यू-ट्यूब पर, भारत रत्‍न देने की उठी मांग

वाराणसी के सिकरौल में आयोजित नेताजी की जयंती समारोह में पूर्व अधिकारी मेजर डा. अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि एक साहसी व्‍यक्ति देश की सीमाओं से बाहर निकलता है। साठ हजार की आजाद हिंद फौज तैयार करता है और ब्रिटिश सरकार से टकरा जाता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 10:30 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 10:30 AM (IST)
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवन गाथा अब काशी दर्शन के यू-ट्यूब पर, भारत रत्‍न देने की उठी मांग
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पर काशी से उन्हें भारत रत्न देने की मांग उठी है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवन गाथा अब काशी दर्शन यू-ट्यूब पर देखी व समझी जा सकती है। एनसीसी के पूर्व अधिकारी मेजर डा. अरविंद कुमार सिंह ने यह वृत्तचित्र तैयार किया है। इसमें वर्ष 1945 से 1946 के बीच का पूरा घटनाक्रम है। दूसरी ओर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पर काशी से उन्हें भारत रत्न देने की मांग उठी है।

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सिकरौल में शुक्रवार को आयोजित नेताजी की जयंती समारोह में पूर्व अधिकारी मेजर डा. अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि एक शख्स देश की सीमाओं से बाहर निकलता है। साठ हजार की आजाद हिंद फौज तैयार करता है और ब्रितानी हुकूमत से टकरा जाता है। अपनी करेंसी बनाता है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का नाम बदलकर आजाद हिंद सरकार का झंडा लहरा देता है। पैतीस हजार सैनिक अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो जाते हैं। सत्रह हजार सैनिकों को अंग्रेज पकड़कर दिल्ली के लाल किले में लाते हैं और युद्ध अपराधी का मुकदमा चलाते हैं। यह घटना पूरे देश को झकझोर कर रख देती है। नौसेना में विद्रोह हो जाता है। तीन सौ सैनिकों को अंग्रेज गोलियों से भून देते हैं। पैतालिस सैनिकों का कोर्ट मार्शल उन्हें करना पड़ता है।

सैनिकों का विद्रोह अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश करता है। भारत के इस सच्चे सपूत को भारत रत्न मिलना ही चाहिए। महाबोधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य कैप्टन प्रवीन कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि देश की आजादी के लिए सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना की और आजाद हिंद फौज का गठन किया। साथ ही उन्होंने आजाद हिंद बैंक की भी स्थापना की। दुनिया के दस देशों ने उनकी सरकार, फौज और बैंक को अपना समर्थन दिया था। इन दस देशों में बर्मा, क्रोएसिया, जर्मनी, नानकिंग (वर्तमान चीन), इटली, थाईलैंड, मंचूको, फिलीपींस और आयरलैंड का नाम शामिल हैं।

इन देशों ने आजाद हिंद बैंक की करेंसी को भी मान्यता दी थी। फौज के गठन के बाद नेताजी सबसे पहले बर्मा पहुंचे, जो अब म्यांमार हो चुका है। यहां पर उन्होंने नारा दिया था, 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'। देश आजादी की ओर था। काशी ऐसे वीर सपूत को भारत रत्न देने की मांग करता है। संचालन लेफ्टिनेंट सारनाथ सिंह व धन्यवाद ज्ञापन उपप्राचार्य गंगाराम सिंह ने किया। इस मौके पर डा. मयंक सिंह, देव नारायण सिंह, राजेश सिंह सहित अन्य लोगों ने विचार व्यक्त किया।


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