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प्राच्य विद्याओं को सरंक्षित करने की जरूरत, बोले पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के यूजीसी सेंटर में प्राच्य विद्यायो में अनुप्रयुक्त शोध-प्रविधि विषय पर दस दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन हुआ।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 01:46 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 01:46 PM (IST)
प्राच्य विद्याओं को सरंक्षित करने की जरूरत, बोले पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी
प्राच्य विद्याओं को सरंक्षित करने की जरूरत, बोले पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी

वाराणसी, जेएनएन। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के यूजीसी सेंटर में प्राच्य विद्यायो में अनुप्रयुक्त शोध-प्रविधि विषय पर दस दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन हुआ। जिसमे मुख्य अतिथि  पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने कहा प्राच्य विद्याओ को सरंक्षित करने की जरूरत है। इस वैश्वीकरण की दुनिया में  प्राच्य विद्यायो पर इस तरह की कार्य शाला का  आयोजन स्वागत योग्य है।जहाँ हम इस दौर में प्रत्येक कार्य के लिए पश्चिम की ओर देख रहे है।वही हमारी प्राच्य विद्या इतना महत्वपूर्ण था कि पूरा विश्व इसका लोहा मानते हुए भारत को विश्व गुरु मानता था।

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 अब समय आ गया है जब इसको आधुनिक ज्ञान विज्ञान से जोड़कर आगे बढ़ा जाय और इसके आधार पर आधुनिक विज्ञान में नई खोज की जय। इन्होंने काशी की महत्ता पर ध्यान देते हुए कहा कि यहां शंकराचार्य को भी आकर परीक्षा देनी पड़ी। काशी हिन्दू विश्विद्यालय के संस्थापक मालवीय जी पर भी इन विद्याओ का गहरा प्रभाव था।दुनिया मे विज्ञान विषय में ज्ञान का जो मूल है वो हमारे वेद और उपनिषद है। इन पर अत्यधिक शोध की आवश्यकता है।महामना पर भी प्राच्य विद्यायो का घर प्रभाव था। इसी वजह से बीएचयू में प्राच्य और आधुनिक विद्याओ का संगम देखने को मिलता है। विधा पर महामना के विचार ही आधुनिक शोध के विषय है।  विश्व मे प्राच्य विद्या के स्वीकारता के कारण प्राच्य विद्याओं को सरंक्षित करने की जरूरत।


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