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इतिहास के नए शोधों में मिले तथ्यों के आधार पर पुरानी अवधारणों को बदलने की आवश्यकता

पुरानी अवधारणाओं को बदल दिया जाय। नवीन शोधों से मिल रहे नए साक्ष्यों के अनुसार इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता है। यह कहना है जीवाजी राव विश्वविद्यालय ग्वालियर मध्य प्रदेश के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष व संकाय प्रमुख प्रो. अरविंद कुमार सिंह का।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 10:14 PM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 10:14 PM (IST)
इतिहास के नए शोधों में मिले तथ्यों के आधार पर पुरानी अवधारणों को बदलने की आवश्यकता
बीएचयू के इतिहास विभाग में आयोजित संगोष्ठी में बोलते अरविंद कुमार सिंह।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : अब समय आ गया है कि पुरानी अवधारणाओं को बदल दिया जाय। नवीन शोधों से मिल रहे नए साक्ष्यों के अनुसार इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता है। यह कहना है जीवाजी राव विश्वविद्यालय ग्वालियर मध्य प्रदेश के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष व संकाय प्रमुख प्रो. अरविंद कुमार सिंह का। वह बुधवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के तत्वावधान में आयोजित चोकोलिंगों (फ्रैंक्लिंग सी चोकोलिंगो आस्ट्रेलियन इतिहासकार) व्याख्यान माला की प्रथम कड़ी में बोल रहे थे।

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'ऐतिहासिक तथ्यों की समीक्षा : अभिलेखीय साक्ष्यों के प्रकाश में विषय पर अपना व्याख्यान देते उन्होंने कहा कि प्राचीन इतिहास की पुस्तकों के कई तथ्य नवीन शोधों के आधार पर अब बदल गए हैं। पाठ्यक्रम में उन्हें यथाशीघ्र स्थान मिलना चाहिए। उन्होंने भारतीय इतिहास लेखन में अभिलेख के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारतीय अभिलेख के क्षेत्र में हुए अध्ययन की विशद चर्चा की। अभिलेखों के आधार पर मध्य प्रदेश के प्रमुख मंदिरों के निर्माण की समीक्षा की। प्रदेश के महत्वपूर्ण पुरास्थलों यथा जबलपुर, खजुराहो, मुरैना, ग्वालियर इत्यादि से प्राप्त मंदिरों एवं अभिलेखीय संदर्भाें पर अपने नवीन विचार छायाचित्र के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।

मुख्य अतिथि कला संकाय प्रमुख प्रो. विजय बहादुर सिंह ने आयोजन के उद्देश्यों को सराहा और इतिहास की महत्ता पर प्रकाश डाला। अध्यक्षता प्रो. सीताराम दुबे ने की। आभार ज्ञापन विभागाध्यक्ष प्रो. ओंकारनाथ सिंह तथा कार्यक्रम का संचालन डा. अशोक कुमार सिंह ने किया। व्याख्यान माला में कला संकाय के विभिन्न विभागों से प्राध्यापक व छात्र उपस्थित थे। जीवाजी राव विश्वविद्यालय ग्वालियर मध्य प्रदेश के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष व संकाय प्रमुख प्रो. अरविंद कुमार सिंह का। वह बुधवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के तत्वावधान में आयोजित चोकोलिंगों (फ्रैंक्लिंग सी चोकोलिंगो आस्ट्रेलियन इतिहासकार) व्याख्यान माला की प्रथम कड़ी में बोल रहे थे।

'ऐतिहासिक तथ्यों की समीक्षा : अभिलेखीय साक्ष्यों के प्रकाश में विषय पर अपना व्याख्यान देते उन्होंने कहा कि प्राचीन इतिहास की पुस्तकों के कई तथ्य नवीन शोधों के आधार पर अब बदल गए हैं। पाठ्यक्रम में उन्हें यथाशीघ्र स्थान मिलना चाहिए। उन्होंने भारतीय इतिहास लेखन में अभिलेख के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारतीय अभिलेख के क्षेत्र में हुए अध्ययन की विशद चर्चा की। अभिलेखों के आधार पर मध्य प्रदेश के प्रमुख मंदिरों के निर्माण की समीक्षा की। प्रदेश के महत्वपूर्ण पुरास्थलों यथा जबलपुर, खजुराहो, मुरैना, ग्वालियर इत्यादि से प्राप्त मंदिरों एवं अभिलेखीय संदर्भाें पर अपने नवीन विचार छायाचित्र के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।

मुख्य अतिथि कला संकाय प्रमुख प्रो. विजय बहादुर सिंह ने आयोजन के उद्देश्यों को सराहा और इतिहास की महत्ता पर प्रकाश डाला। अध्यक्षता प्रो. सीताराम दुबे ने की। आभार ज्ञापन विभागाध्यक्ष प्रो. ओंकारनाथ सिंह तथा कार्यक्रम का संचालन डा. अशोक कुमार सिंह ने किया। व्याख्यान माला में कला संकाय के विभिन्न विभागों से प्राध्यापक व छात्र उपस्थित थे।


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