शारदीय नवरात्र : दुर्गा सप्तशती के ओजस मंत्रों से गूंज उठीं भगवान शिव की नगरी काशी की चहुंदिशाएं Varanasi news
देवी मां दुर्गा की पूजा-आराधना के नौ दिवसीय व्रत-पर्व श्रृंखला शारदीय नवरात्र की दूसरी भोर में गांव से लेकर शहर तक चहुंदिशाएं दुर्गा सप्तशती के ओजस मंत्रों से गूंज उठा।
वाराणसी, जेएनएन। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां दुर्गा की पूजा-आराधना के नौ दिवसीय व्रत-पर्व श्रृंखला शारदीय नवरात्र की दूसरी भोर में गांव से लेकर शहर तक चहुंदिशाएं दुर्गा सप्तशती के ओजस मंत्रों से गूंज उठीं। शारदीय नवरात्र के पहले दिन बरसात और जलाजल सड़कों के बाद दूसरे दिन राहत मिलते ही मां दुर्गा के विविध स्वरूपों के दर्शन के लिए सड़कों पर निकला श्रद्धालुओं का रेला बोध करा रहा था कि शक्ति आराधन पर्व शारदीय नवरात्र का आगमन हो चुका है। सोमवार को घर-घर सविधि कलश पूजन के साथ भगवती दुर्गा का पूजन हुआ। इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से टोले-मोहल्ले गुंजायमान हो उठे।
नवरात्र के दूसरे दिन नवदुर्गा दर्शन-पूजन के क्रम में देवी के दूसरे स्वरूप ब्रहमचारिणी के दर्शन के लिए भगवती दरबार में रात के तीसरे पहर से ही श्रद्धालुओं की कतार लग गई। भगवती के भव्य श्रंगार व आरती के उपरांत भोर में तीन बजे से दर्शन-पूजन आरंभ हुआ, जो रात्रि में शयन आरती तक जारी रहा। लोगों ने गुड़हल की माला, नारियल व चुनरी अर्पित किया और मन्नतों का पिटारा उनके चरणों में रख दिया। दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। संकठा देवी, विशालाक्षी, महावीर मंदिर (अर्दली बाजार), दक्षिण काली मंदिर (भोजूबीर) समेत शहर से लेकर गांव तक देवी मंदिरों में भी दर्शन-पूजन के लिए अपार जनसमूह उमड़ता रहा। देवी आराधना के इस पुण्य काल में लोगों ने श्रद्धा-भक्ति के साथ शक्ति आराधना की। इस दौरान मंदिरों के आसपास सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी संख्या में महिला व पुरुष सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था।
दिन भर चले व्रत अनुष्ठान
श्रद्धा-भक्ति के इस खास पर्व पर लोगों ने संकल्पों के साथ व्रत का दूसरा दिन पूरा किया। घरों, मंदिरों व मठ-आश्रमों में विधि-विधान से कलश स्थापन, नवग्र्रह पूजन, देवी आह्वान व पूजन किया। कलश स्थापन के पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया। इससे पहले एक दिन पूर्व शुभ मुहूर्त में कलश स्थापन किया गया।
सज गए मातारानी के दरबार
शारदीय नवरात्र महज पूजन-अनुष्ठान नहीं वरन् संपूर्ण उत्सव विधान है। भगवती की बेटी की तरह अगवानी तो वैसे ही विदाई की भी परंपरा रही है। इसके तहत पहले दिन पूजनोत्सव पंडाल सजाने वाली पांच समितियों ने माता रानी का पूरी भव्यता के साथ दरबार सजाया। गायघाट, नवापुरा, दारानगर, सुडिय़ा, टाउनहाल में वेद मंत्रों के बीच सुबह कलश स्थापन और प्राण-प्रतिष्ठा की। इसके साथ ही भजन गीत गूंज उठे। दर्शन -पूजन का क्रम तो दोपहर से ही शुरू हो गया लेकिन शाम के साथ झांकी दर्शन के लिए भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।