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Navratri 2020 : नवरात्र के छठवें दिन देवी कात्‍यायनी का पूजन, करें घर बैठे मां का दर्शन और जानें विधान

भगवान शिव की नगरी वाराणसी में नवरात्र के दौरान देवी के नौ अलग अलग स्‍वरुपों की पूजा के लिए अलग अलग मंदिरों का विधान है। इसी कड़ी में नवरात्र की छठवीं तिथि को कात्‍यायनी देवी का दर्शन करने की मान्‍यता काशी में है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 10:08 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:41 PM (IST)
Navratri 2020 : नवरात्र के छठवें दिन देवी कात्‍यायनी का पूजन, करें घर बैठे मां का दर्शन और जानें विधान
नवरात्र की छठवीं तिथि को कात्‍यायनी देवी का दर्शन करने की मान्‍यता काशी में है।

वाराणसी, जेएनएन। भगवान शिव की नगरी काशी में नवरात्र के दौरान देवी के नौ अलग अलग स्‍वरुपों की पूजा के लिए अलग अलग मंदिरों का विधान है। इसी कड़ी में नवरात्र की छठवीं तिथि को कात्‍यायनी देवी का दर्शन करने की मान्‍यता काशी में है। देवी भगवती के छठे स्वरूप का दर्शन साधकों को सद्गति प्रदान करने वाला माना गया है। शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि पर देवी के विशेष तौर पर दर्शन पूजन करने का विधान है। इस बार इनका दर्शन और पूजन 22 अक्टूबर, गुरुवार को किया जा रहा है। भगवान शिव की नगरी काशी में इनका मंदिर संकठा घाट पर आत्मविश्वेश्वर मंदिर परिसर में मौजूद है। गुरुवार शाम तक पांच हजार के करीब लोग दर्शन पूजन कर चुके थे।

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देवी पुराण, स्कंद पुराण में भगवती देवी के इस स्वरूप की महिमा का विस्तृत रूप से बखान किया गया है। महर्षि कात्यायन ने कठिन तपस्या करके भगवान से देवी भगवती परांबा को अपनी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान मांगा था। ईश्‍वरीय अनुकंपा से उनके घर में पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण ही देवी का नाम देवी कात्यायनी पड़ा।

ख्‍यात ज्‍याेतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार देवी देवी आराधना के पर्व शारदीय नवरात्र के छठे दिन देवी के छठवें स्वरूप के रूप में मां कात्यायनी के दर्शन पूजन का विधान है। मान्यता है कि उन्होंने महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था इसलिए इन्हें देवी कात्यायनी कहा गया। देवी कात्यायनी के ध्यान और पूजा से सांसारिक कष्टों और भय से मुक्ति मिलती है।

देवी मंत्र : देवी को सिद्ध करने के लिए सूर्यास्त के समय पूर्व की ओर मुंह करके - 'ओम एें ह्रीं क्लीम चामुंडाय विच्‍चै' मंत्र का जाप करना चाहिए। जबकि इस मंत्र से देवी का ध्यान करते हुए स्तुति करते हुए वंदन करने का ही विधान मनाना गया है। वहीं सूर्योदय से पहले - 'हुं हुं हुं हुंकाररुपिण्‍यै,जं जं जं जम्‍भनादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूम भैरवी भद्रै भावन्‍यै ते नमो नम:' मंत्र के जाप से भगवती का ध्यान शुभ फलदायक माना जाता है।

आज का संदेश : मां का दिव्य स्वरुप लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मन को एकाग्र चित्त रखने का संदेश देता है।

सोशल मीडिया में मां की महिमा

यूपी पर्यटन विभाग की ओर से नवरात्र में प्रतिदिन काशी की प्रमुख देवी मंदिरों में ऑनलाइन सोशल मीडिया पर दर्शन पूजन का प्रसारण किया जा रहा है। इसके साथ ही दैनिक तौर पर देवी मंदिरों पर पोस्‍टर जारी कर मां की महिमा का बखान करने के साथ ही मंदिरों की जानकारी भी साझा की जा रही है। गुरुवार को देवी कात्‍यायनी मंदिर पर पोस्‍टर जारी करने के साथ ही सुबह और शाम को मंदिर में पूजन और आरती का प्रसारण भी किया गया।


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