भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को अपने अनुकूल बनाने के लिए वनस्पति की भूमिका अग्रणी, नवग्रह वाटिका का लोकार्पण
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में नवग्रह वाटिका का लोकार्पण सोमवार को हुआ। इसका उद्देश्य जनमानस को पौधों की महत्ता बताना है। कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को अपने अनुकूल बनाने के लिए वनस्पति की भूमिका अग्रणी है।
वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में नवग्रह वाटिका का लोकार्पण सोमवार को हुआ। इसका उद्देश्य जनमानस को पौधों की महत्ता बताना है। परिसर स्थित पाणिनी भवन के परिसर में आयोजित लोकार्पण समारोह की मुख्य अतिथि सांस्कृतिक स्रोत व प्रशिक्षण केंद्र (सांस्कृतिक मंत्रालय-भारत सरकार) की अध्यक्ष डा. हेमलता एस मोहन ने कहा कि नवग्रह वाटिका की महत्ता की विस्तार से जानकार दी। इसके अलावा इस मौके पर उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय मुरारी लाल शर्मा की स्मृति में व्याख्यानमाला प्रारंभ करने की घोषणा किया। विशिष्ट अतिथि कथा वाचक आचार्य पुंडरीक शास्त्री ने कहा कि ग्रहों की शांति के उपाय में नवग्रह वाटिका बेहद उपयोगी है। उन्होंने इसे भाग्य वर्धिनी वाटिका की संज्ञा दी। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को अपने अनुकूल बनाने के लिए वनस्पति की भूमिका अग्रणी है। उसके अनुसार पेड़ व पौधों लगाने और इनके पूजन से कई समस्याएं दूर होती हैं। स्वागत संयुक्त रूप से ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. अमित कुमार शुक्ल व शशिरानी मिश्रा, संचालन डा. राजा पाठक व धन्यवाद ज्ञापन डा. मधुसूदन मिश्र ने किया।
नवग्रह वाटिका में इन पौधों को रोपा
-चंद्रमा के लिए पलाश
-मंगल के लिए खैर
बुध के लिए चिड़चिड़ा (लटजीरा)
बृहस्पति के लिए पीपल
शुक्र के लिए गूलर
शनि के लिए शमी
-राहु के लिए दूब
-केतु के लिए कुश
-सूर्य के लिए मदार (अर्क)