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वाराणसी में राष्ट्रीय पक्षी मोर को नोंच रहे थे कुत्‍ते, युवकों ने जान बचाकर रेंजर को इलाज के लिए सौंपा

जंगल युक्त बगीचे में गुरुवार की देर शाम कुत्तों ने दौड़ा कर राष्ट्रीय पक्षी मोर पर हमला बोल दिया। मोर की दर्द भरी आवाज को सुन पास में काम कर रहे युवा संजय यादव व भृगुनाथ पांडेय की नजर पड़ी और दौड़कर कुत्तों से मोर की जान बचाई।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 03:49 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 03:49 PM (IST)
वाराणसी में राष्ट्रीय पक्षी मोर को नोंच रहे थे कुत्‍ते, युवकों ने जान बचाकर रेंजर को इलाज के लिए सौंपा
संजय यादव व भृगुनाथ पांडेय की नजर पड़ी और दौड़कर कुत्तों से मोर की जान बचाई।

वाराणसी, जेएनएन। हरहुआ ब्लाक के करोमा ग्राम पंचायत में जंगल युक्त बगीचे में गुरुवार की देर शाम कुत्तों ने दौड़ा कर राष्ट्रीय पक्षी मोर पर हमला बोल दिया। मोर की दर्द भरी आवाज को सुन पास में काम कर रहे युवा संजय यादव व भृगुनाथ पांडेय की नजर पड़ी और दौड़कर कुत्तों से मोर की जान बचाई।

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भगत यादव ने डॉक्टर के पास जाकर प्राथमिक चिकित्सा व ग्लूकोज युक्त पानी पिलाया। कई जगह कुत्तों के काटने से मोर उड़कर चलने व जाने में असमर्थ देख एसडीएम पिंडरा को युवकों ने सूचित किया। एसडीएम ने तत्काल सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी। रात आठ बजे रेंजर कुलदीप सिंह नवनिर्वाचित प्रधान प्रतिनिधि भगत यादव के घर पहुंच मोर को इलाज हेतु साथ ले गए। प्रमुख रूप से भगत यादव, दिलीप, दिनेश व राहुल ने इलाज कराने में मदद की।

ज्ञातव्य हो कि पंचकोशी मार्ग के किनारे स्थित इस जंगल व तालाब के पास 10 वर्ष पूर्व हजारों की संख्या में मोर रहते थे। पंचकोशी यात्री बरसात में मोर का नाच देखने व दवा के लिए गिरे पंखों को लेने यहां आते और तालाब व मन्दिर पर विश्राम करते थे। विकास की आंधी में पेंड़ कटते गए और जंगली लकड़ियों को काटकर उठा ले गए। अब कुछ पेंड़ व तालाब का क्षेत्र ही इनका बसेरा बना हुआ है।


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