Move to Jagran APP

राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो मऊ को अंतरराष्ट्रीय संग्रहण प्राधिकरण का दर्जा, देश का तीसरा व विश्व का 48वां केंद्र

मऊ के कुशमौर स्थित राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो को अब अंतरराष्ट्रीय संग्रहण प्राधिकरण(आइडीए) का दर्जा मिल गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 08:58 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 01:00 AM (IST)
राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो मऊ को अंतरराष्ट्रीय संग्रहण प्राधिकरण का दर्जा, देश का तीसरा व विश्व का 48वां केंद्र
राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो मऊ को अंतरराष्ट्रीय संग्रहण प्राधिकरण का दर्जा, देश का तीसरा व विश्व का 48वां केंद्र

मऊ [शैलेश अस्थाना]। जनपद ही नहीं, पूरे देश के लिए खुशखबरी है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा स्थापित जिले के कुशमौर स्थित राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो को अब अंतरराष्ट्रीय संग्रहण प्राधिकरण(आइडीए) का दर्जा मिल गया है। बौद्धिक जैव संपदा संग्रहण के कार्यों और उपलब्धियों की नियंत्रक अंतरराष्ट्रीय संस्था विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (वाइपो) द्वारा जेनेवा के बुडापेस्ट संधि के अनुच्छेद 7(1) के तहत यह मान्यता प्रदान की है। इस प्रकार यह राष्ट्रीय संस्थान देश का तीसरा व विश्व के 26 देशों में 48वां आइडीए दर्जा प्राप्त संस्थान बन गया है। अभी बीते 28 जुलाई को ही यह विश्व स्तरीय उपलब्धि हासिल होने से ब्यूरो के वैज्ञानिकों तथा शोधार्थियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।

prime article banner

 ब्यूरो के निदेशक डा.एके सक्सेना ने बताया कि ब्यूरो ने इस मान्यता हेतु बीते दिसंबर माह में भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के माध्यम से आवेदन किया था। विश्व स्तरीय संस्थानों के मानक पर खरा पाते हुए वाइपो ने ब्यूरो को यह मान्यता प्रदान कर दी। उन्होंने बताया कि हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में 1977 में बौद्धिक संपदा के संरक्षण के लिए हुई अंतरराष्ट्रीय संधि में भारत समेत विश्व के कुल 82 देश शामिल हुए थे। यह संधि 1980 में लागू हुई। इसके तहत अब तक सूक्ष्मजीवों पर काम करने वाले 26 देशों के अब तक 47 संस्थानों को यह मान्यता मिली थी, एनबीएआइएम अब इस समूह का 48वां संस्थान बन गया है। उन्होंने बताया कि आइडीए के दर्जा वाले माइक्रोबियल संसाधन केंद्र मुख्य रूप से चिकित्सा, कृषि और अन्य उपयोग वाले सूक्ष्मजीवों के पेटेंट संबंधित कार्य हेतु सूक्ष्मजीवों को स्वीकार करते है और उनका अनुरक्षण करते हैं। भारत में एमटीसीसी, चंडीगढ़ और एनसीएमआर, पुणे को पहले से इस कार्य के लिए मान्यता मिली हुई है। आइडीए के रूप में एनएआइएमसीसी को पेटेंट विकसित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सूक्ष्मजीवों को संरक्षित करने के लिए और साथ ही वैध टैक्सोनोमिक प्रकाशन की आवश्यकता के रूप में नए वर्णित माइक्रोबियल टैक्स को संरक्षित करने के लिए सौंपा जाएगा। बता दें कि एनएआइएमसीसी, एनबीएआईएम राष्ट्रीय जैव विविधता अधिनियम, 2002 के तहत कृषि संबंधी सूक्ष्मजीवों के लिए देश का एकमात्र मान्यता प्राप्त एक सूक्ष्मजीव संग्रहण एवं जीन बैंक है। संपूर्ण एशिया में भी इस तरह के एक या दो ही संस्थान हैं। इस समय ब्यूरो में 2595 बैक्टीरिया, 3981 कवक और 331 साइनोबैक्टीरिया सहित 6907 कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव संग्रहित है। डा.सक्सेना ने बताया कि इस मान्यता के बाद पेटेंट संबंधी कार्यों की अथारिटी पूरे विश्व में मानी जाएगी। किसी भी शोधार्थी या वैज्ञानिक को अपने द्वारा खोजे गए सूक्ष्मजीव का कल्चर को विश्व के दो संस्थानों में संग्रहित कर पंजीकृत कराना होता है जो उसके पेटेंट के समय काम आता है। अब ब्यूरो इस कार्य के लिए अधिकृत हो गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.