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देश की धरोहर अब्दुल हमीद पर नाज है भारत को, 55वें शहादत दिवस पर गाजीपुर में दी श्रद्धांजलि

परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के 55वें शहादत दिवस पर गुरुवार को उनके गाजीपुर स्थित पैतृक गांव धामपुर में सादगी भरे आयोजन के बीच संवेदनाएं भी थीं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 07:11 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 07:13 PM (IST)
देश की धरोहर अब्दुल हमीद पर नाज है भारत को, 55वें शहादत दिवस पर गाजीपुर में दी श्रद्धांजलि
देश की धरोहर अब्दुल हमीद पर नाज है भारत को, 55वें शहादत दिवस पर गाजीपुर में दी श्रद्धांजलि

गाजीपुर, जेएनएन। परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के 55वें शहादत दिवस पर गुरुवार को उनके पैतृक गांव धामपुर में सादगी भरे आयोजन के बीच संवेदनाएं उफान पर थीं। जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य, 39 जीटीसी के सूबेदार राम बहादुर गुरंग एवं नायक अमर सुनार सहित तमाम लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किया। 39 जीटीसी वाराणसी के ब्रिगेडियर हुकुम सिंह बैंसला की ओर से भेजा गया पुष्प चक्र भी प्रतिमा पर अर्पित किया।

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वक्ताओं ने कहा कि वीर अब्दुल हमीद देश की धरोहर हैं। उन पर पूरे हिंदुस्तान को नाज है। उन्होंने जिस तरीके से अमेरिकी निर्मित पैटर्न टैंक को ध्वस्त कर पाक को पटखनी दी वह गर्व की बात है। तब कम संशाधन के बीच हमारी सेना ने लोहा मनवाया था आज अत्याधुनिक हथियार ने हमें दुनिया के अग्रणी देशों में खड़ा कर रखा है। यहां के बहादुर सेना की दुनिया में यूं ही मिसाल नहीं दी जाती है। उन जैसे वीरों की वजह से आज भारत को दुनिया में सम्मान की नजर से देखा जाता है और देश सुरक्षित है। जिलाधाकारी ओमप्रकाश आर्य न कहा कि अब्दुल हमीद के वीरता और सम्मान में जितना कुछ किया जाए कम है। उनके जैसे वीर लोगों के मन मस्तिष्क में सदा जीवित रहते हैं। जिलाधिकारी ने शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। मुख्य मार्ग से शहीद पार्क के बगल में स्थित डिग्री कॉलेज तक नया मार्ग बनवाने सहित ग्रामीणों के कई मांगों को पूरा करने का डीएम ने आश्वासन दिया। इस मौके पर सीडीओ श्रीप्रकाश गुप्त, एसडीएम जखनियां सूरज यादव, सीओ भुङकुड़ा राजीव द्विवेदी, बीडीओ संदीप श्रीवास्तव, एसओ जितेंद्र बहादुर सिंह, एडीओ फैैैज अहमद, मनोज याादव, लाल बहादुर चौहान, सरवन सिंह अनिकेत चौहान आदि थे।

19 सितंबर को मिली थी शहादत की जानकारी

वीर अब्दुल हमीद भले ही 10 सितंबर को शहीद हुए हैं, लेकिन उनकी शहादत की जानकारी परिजनों को 19 सितंबर को मिली थी। के यह जानकारी उनके पुत्र जैनुल हसन ने दी। बताया कि तब आज की तरह दूर संचार के आधुनिक संसाधन नहीं मौजूद थे। जब गांव के ही शिवराम दुल्लहपुर से समाचार पत्र लेकर देर शाम पहुंचे तब पिता के आर्मी का नंबर पूछे। जैनुल हसन ने बताया कि उन्हें पिता का आर्मी नंबर याद था। बहरहाल, परिवार के साथ गांव के लोगों ने भी वीर अब्दुल हमीद को नमन किया।


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