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अब नैनो पार्टिकल खत्म करेगा कैंसर सेल, बीएचयू में शोध

मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, वाराणसी : कैंसर के बारे में सुनते ही हर किसी के पैरों तले जमीन खिसक जाती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 May 2018 09:08 AM (IST)Updated: Mon, 21 May 2018 09:08 AM (IST)
अब नैनो पार्टिकल खत्म करेगा कैंसर सेल, बीएचयू में शोध
अब नैनो पार्टिकल खत्म करेगा कैंसर सेल, बीएचयू में शोध

मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, वाराणसी :

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कैंसर के बारे में सुनते ही हर किसी के पैरों तले जमीन खिसक जाती है। रोगी के साथ परिजनों पर मुश्किलों का पहाड़ सा टूट पड़ता है। अगर कैंसर के जैविक और पारंपरिक उपचार की एक किरण नजर आए तो बीमारी से निजात की उम्मीदें जिंदा हो उठती हैं। नैनो पार्टिकल से जानलेवा कैंसर के इलाज की ऐसी ही एक लौ काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रोशनी बनकर उभर रही है। आणविक एवं मानव आनुवंशिकी विभाग की शोध छात्रा खुशबू प्रिया ने केले के पत्ते और सिल्वर नाइट्रेट से तैयार ऐसे नैनो पार्टिकल की खोज की है, जिससे कैंसर के जिम्मेदार सेल्स को नष्ट करने में मदद मिलती है। यह उसे खत्म करने में सहायक है। खास है कि यह केले के पत्ते में मौजूद सेकेंड्री मेटाबोलाइट्स व सिल्वर नाइट्रेट को मिला कर बिना केमिकल के नैनो पार्टिकल तैयार किया गया है। कैंसर सेल लाइन व कैंसर ट्यूमर पर नैनो पार्टिकल का प्रयोग किया गया, जिसके बेहतर परिणाम आए। विज्ञान संस्थान, बीएचयू में विभाग की डा. गीता राय के निर्देशन में खुशबू प्रिया करीब एक वर्ष से इस पर टिश्यू कल्चर लैब में शोध कर रही हैं।

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तीन स्तर पर हुआ शोध

नैनो पार्टिकल को तैयार करने के बाद तीन स्तर पर शोध किया गया है। कैंसर के सेल में नैनो पार्टिकल को छोड़ा गया। इसमें पाया गया है कि यह नैनो पार्टिकल 24 से 48 घटे में करीब 50 प्रतिशत कैंसर के सेल को नष्ट कर रहा है। इसका प्रयोग सामान्य सेल पर भी हुआ। जिसमें ये नैनो पार्टिकल सामान्य सेल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहा है। इसके साथ ही लैब में कैंसर के सेल को सामान्य स्थिति में भी रखा गया। इसमें देखा गया तो सेल निरंतर ही बढ़ रहे हैं। डा. गीता के अनुसार शोध में सफलता के बाद पेटेंट के लिए पिछले साल रिपोर्ट फाइल कर दी गई थी। इसका भी पेटेंट हो चुका है। अब इसे जर्नल में प्रकाशित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

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कोट

यह नैनो पार्टिकल भविष्य में कैंसर की वैकल्पिक औषधि के रूप में उभरेगा। यह कैंसर सेल नष्ट करने में कारगर साबित है। इलेक्ट्रान माइक्रो स्कोपी, स्कैनिंग इलेक्ट्रो स्कोपी, ट्रांसमिशन, एक्सरे डिफरेक्शन आदि जांच में भी इसकी पुष्टि हो चुकी है। कैंसर की कोशिकाओं एवं रक्त पर काम चल रहा है। जिसमें यह भी देखा जा रहा कि किन कारणों से वह कैंसर के सेल को मार रहा और अन्य को क्यों नहीं।

- डा. गीता राय, आणविक एवं मानव आनुवंशिकी विभाग, बीएचयू


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