गंगा में कछुओं को बचाए रखने के लिए 'नमामि गंगे' ने की पहल, गंगा टास्क फोर्स सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण
गंगा नदी में रहने वाले कछुओं और जलीय पर्यावरण को जलीय जीवों के अनुकूल बनाने के लिए सरकार की नमामि गंगे मुहिम अब धरातल पर पर्यावरण संरक्षण के तौर तरीकों को सुरक्षित और संरक्षित करने के प्रयासों में जुट गई है।
वाराणसी, इंटरनेट डेस्क। गंगा नदी में रहने वाले कछुओं और जलीय पर्यावरण को जलीय जीवों के अनुकूल बनाने के लिए सरकार की 'नमामि गंगे' मुहिम अब धरातल पर पर्यावरण संरक्षण के तौर तरीकों को सुरक्षित और संरक्षित करने के प्रयासों में जुट गई है। वैश्विक रूप से दुनिया के सबसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय कछुओं को बचाने वाली संस्था टर्टल सर्वाइवल की ओर से भारतीय यूनिट द्वारा अब गंगा नदी में कछुओं को बचाने के लिए विशेष मुहिम शुरू की गई है।
गंगा में कछुओं की महत्ताा: इस मुहिम के तहत जरूरी और लुप्तप्राय कछुओं की पहचान करना और उनके संरक्षण के लिए गंगा के किनारे काम करने वाले सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। गंगा नदी में दरअसल कछुओं की अधिक संख्या नदी में शव, मल, जीवांशों को खाकर खत्म करती रही है। लिहाजा गंगा नदी में कछुओं की बेहतर संख्या नदी को स्वस्छ रखने में भी अपनी महती भूमिका का निर्वहन करती रही है। मगर नौका संचालन तटों के नुकसान और जाल के अलावा कछुआ तस्करों की वजह से इनकी संख्या में काफी गिरावट आई है। अब गंगा नदी के संरक्षण के लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत सुरक्षा के लिए तैनात जवानों को कछुओं को पहचानने और उनकी सुरक्षा के उपायों पर कार्यशाला का आयोजन कर कर रही है।
गंगा में कछुओं को बचाने की पहल : उत्तर प्रदेश में वाराणसी के अलावा गंगा नदी प्रयागराज और कानपुर में भी है और गंगा में कछुओं की अधिक संख्या इन्हीं के बीच पाई जाती है। ऐसे में देश में व्यापक पहल के क्रम में गंगा बटालियन सुरक्षा बल, प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) और गंगा टास्क फोर्स के साथ प्रयागराज में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का दूसरा चरण शुरू किया गया है। इस आयोजन के जरिए गंगा को गंगा के जलीय जीवों और उनके पर्यावास के माध्यम से ही गंगा को बचाए रखने के उपायों के बारे में बताया जा रहा है। आयोजन के जरिए गंगा के जलीय जीवों का संरक्षण करने और गंगा की पहचान से जुड़े कछुओं की रक्षा और इसकी वजहों पर भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
आयोजन के विषय : इस आयोजन में मीठे पानी के कछुओं के संरक्षण में प्रयागराज, वाराणसी और कानपुर इकाइयों गंगा टास्क फोर्स से जुड़े 40 से अधिक सैनिकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। आयोजन के दौरान पहले सत्र में भारत के कछुओं और कछुओं की पहचान, आवास स्तर के खतरों, कछुआ व्यापार परिदृश्य और बचाव और पुनर्वास पर एक परिचय पर कार्यक्रम केंद्रित रहा। वहीं टर्टल मॉर्फोमेट्रिक और टैगिंग पर एक व्यावहारिक सत्र के साथ दिन का समापन हुआ। शेष दो दिनों में गंगा टास्क फोर्स से जुडे़ सुरक्षा दस्तों को गंगा को बचाए रखने में कछुओं की महत्ता पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। वाराणसी में भी कछुआ सेंक्चुचुअरी क्षेत्र मौजूद है जहां पर किसी भी प्रकार की मानवीय गतिविधि की अनुमति नहीं है।