Varanasi Nag Panchami Puja 2020 : वाराणसी में नागपंचमी पर ऑनलाइन शास्त्रार्थ, नागकूपेश्वर पूजन के बाद सुबह 10 बजे बैठेंगे विद्वान
Varanasi Nag Panchami Puja 2020 कोरोना संकट के कारण नागकूप शास्त्रार्थ समिति की ओर से इस वर्ष नाग पंचमी पर वाराणसी में शास्त्रार्थ ऑनलाइन होगा।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संकट के कारण उत्तर प्रदेश नागकूप शास्त्रार्थ समिति की ओर से इस वर्ष नाग पंचमी पर शास्त्रार्थ ऑनलाइन होगा। नागकूप पर भगवान नागकूपेश्वर का बिल्वार्चन और कुछ विद्वानों की उपस्थिति में सुबह 10 बजे से शास्त्रार्थ की रस्म निभाई जाएगी। दोपहर दो बजे से वेबिनार के माध्यम से शास्त्रार्थ में देश भर से विद्वान जुड़ेंगे। इसमें शोधपत्रों का वाचन के साथ ही पूर्वपक्ष और उत्तरपक्ष रखा जाएगा।समिति के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि विद्वानों का सम्मान अगले समारोह में किया जाएगा।
अध्यक्षता अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वरपुरी महाराज करेंगे। संविवि के कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल मुख्य अतिथि, महर्षि पाणिनी संस्कृत विवि उज्जैन के पूर्व कुलपति प्रो. आरसी पंडा विशिष्ट अतिथि, पूर्व कुलपति प्रो. अर्कनाथ चौधरी मुख्य वक्ता होंगे। सोमनाथ संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. गोपबंधु मिश्र का विशिष्ट व्याख्यान होगा। शोध संगोष्ठी के सत्राध्यक्ष लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विवि नई दिल्ली के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पांडेय, न्याय शास्त्र के निर्णायक प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी व प्रो. सच्चिदानंद मिश्र होंगे। अध्यक्षता श्री विद्यामठ के प्रभारी स्वामी अविमुक्तेश्वारानंद सरस्वती की होगी।
सावन शुक्ल पंचमी तिथि 24 को 4.12 बजे लगेगी जो 25 जुलाई को दिन में 1.53 मिनट तक रहेगी
सनातन धर्म के अदभूत परंपराओं वाले देश भारत में सावन मास के शुक्र पक्ष की पंचमी को नाग पूजा होती है। इसलिए इसे नागपंचमी कहते हैैं। नाग जाति के प्रति श्रद्धा एवं सम्मान उनका दर्शन-पूजन करते हुए उनको दूध, लावा, खीर चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है। इस बार नागपंचमी 25 जुलाई को पड़ रही है। सावन शुक्ल पंचमी तिथि 24 जुलाई को 4.12 बजे लग रही है। जो 25 जुलाई को दिन में 1.53 मिनट तक रहेगी। शास्त्रानुसार सावन शुक्ल पंचमी को घर के दरवाजे के दोनों ओर गोबर से नाग की मूर्ति बनाएं या फोटो चस्पा करें।
नागों में भी पांच फणों वाले नागों का अत्यधिक महत्व होता है। फिर इन बारहों नागों यथा अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, करकोटक, अश्वतर, घृतराष्ट्र, शंखपाल, कालीय, तक्षक और पिंगल इन सभी नागों का स्मरण कर पंचोपचार या शोडशोपचार पूजन करना चाहिए। वैसे तो हिंंदी के शुक्ल पक्ष बारहों मासों के पंचमी के एक नाग के पूजन का विधान होता है। लेकिन नागपंचमी को इन बारहों नागों का पूजन करने से सभी तरह के नाग देवता प्रसन्न होते है। इस दिन नागों को दूध, लावा, खीर इत्यादि खिलाना या चढ़ाना चाहिए।