बहन दिखाने ले गई थी वह जगह जहां भाई को सांप ने डंसा था, दोनों की मौत
सर्पदंश से मंगलवार की देर शाम तिलोरा गांव में मासूम ममेरे भाई-बहन की मौत हो गई। भाई को खेलते वक्त उपली में बैठे सर्प ने डंसा तो बहन को परिजनों को बताने के दौरान।
जौनपुर, जेएनएन। सर्पदंश से मंगलवार की देर शाम तिलोरा गांव में मासूम ममेरे भाई-बहन की मौत हो गई। भाई को खेलते वक्त उपली में बैठे सर्प ने डंसा तो बहन को परिजनों को बताने के दौरान। इससे घर में कोहराम मच गया है। दोनों के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। हृदय विदारक इस घटना से आस-पास के लोग भी स्तब्ध हैं।
गांव के प्रेमचंद्र सरोज के यहां इन दिनों उनकी पुत्री आई है। मंगलवार की देर शाम लगभग सात बजे प्रेमचंद्र का पौत्र अभिषेक उर्फ जिगर (5) पुत्र कंचन सरोज व नतिनी अनामिका (6) पुत्री दीपक सरोज रसोई घर में खेल रहे थे। इसी दौरान पास रखी ईंट व उपली में बैठे सर्प ने अभिषेक को डंस लिया। इसके बाद उसके पैर से खून निकलने लगा। स्वजनों ने समझा कि चोट लगी है। इस दौरान घाव पर हल्दी-प्याज बांधकर उसे खाट पर सुला दिया। कुछ समय बाद वह अचेत हो गया। घरवाले उसे उठाने लगे तो वह नहीं उठा। इसके बाद साथ खेल रही अनामिका से उसके घाव के बारे में पूछने लगे। उसने वहीं उपली व ईंट के पास जाकर हाथ दिखाया। तभी वहीं बैठे सर्प ने उसके भी हाथ में डंस लिया। दो बच्चों के सर्प के डंसने की जानकारी होते ही स्वजनों में कोहराम मच गया। परिजन निजी वाहन से दोनों को लेकर देररात मछलीशहर सीएचसी पहुंचे। जहां एंटी स्नैक वेनम लगाकर दोनों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल पहुंचने पर डाक्टरों ने देखते ही दोनों को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद घरवाले दोनों घर लेकर चले आए और अंतिम संस्कार कर दिया। दो बच्चों की मौत से स्वजनों में कोहराम मच गया। घटना के बाद मौके पर बुलाए गए सपेरे ने घटनास्थल से दो सांपों को पकड़ कर जंगल में ले जाकर छोड़ दिया।
बारिश के समय पांच गुना बढ़ जाती हैं सर्प दंश की घटनाएं
बारिश के मौसम में विषधर उग्र हो जाते हैं। इस सीजन में आमदिनों की अपेक्षा सर्प दंश की घटनाएं पांच गुना बढ़ जाती हैं। सांपों के डंसने के बाद जहर की अपेक्षा दो तिहाई मौतें हार्ट अटैक से हो जाती हैं। जून का अंतिम सप्ताह और जुलाई का महीना सांपों के प्रजनन काल का होता है। जब वह मादा के साथ जोड़े बनाते हैं तब आस-पास किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करते। ऐसे समय में वह आक्रामक हो जाते हैं। ऐसे में तीन माह तक विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
झाड़-फूंक की बजाय कराएं उपचार
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा.हरेंद्र देव सिंह ने बताया कि सर्पदंश से मरने वालों में दो तिहाई का कारण हृदयाघात होता है। बताया कि कोबरा आमतौर पर दिन में काटता है। इसके दंश वाले स्थान पर सूजन आ जाती है तथा असहनीय दर्द होता है। पीडि़त को आंखों से दिखना कम हो जाता है। बेहोश होने के साथ ही सांसों की गति कम हो जाती है और दिल भी काम करना बंद कर देता है। करैत रात को काटता है। इसके काटने पर सूजन नहीं होती। लोग मच्छर आदि काटने की बात मानकर बेपरवाह हो जाते हैं। जब तक सर्प दंश का एहसास होता है तब तक हालत काफी बिगड़ चुकी होती है।
सर्पदंश के बाद क्या करें
सर्पदंश के बाद व्यक्ति को भागना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे रक्त का संचार बढऩे से जहर तेजी से फैलने लगता है। घटना के बाद व्यक्ति को तुरंत बैठ जाना चाहिए और काटे स्थान पर पांच से छह इंच ऊपर बांध देना चाहिए ताकि जहर आगे न बढ़े। इसके बाद पीडि़त को ऐसे चिकित्सक के पास ले जाएं जिसके पास एंटी स्नेक बेनम के अतिरिक्त सांस और दिल के सहायता संबंधी उपकरण उपलब्ध हों। झाड़-फूंक के चक्कर में पडऩे से जान गंवानी पड़ सकती है। घर में चूहा, छिपकली आदि को न रहने दें। घर के बाहर साफ-सफाई रखें।
सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त एंटी स्नैक बेनम
सीएमओ डा. आरके सिंह ने बताया कि जरूरत के मुताबिक प्रत्येक सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दस से 20 वायल भेजा गया है। इसके अलावा 285 वायल सेंट्रल स्टोर में मौजूद है। जिला चिकित्सालय के चीफ फार्मासिस्ट अजय सिंह ने बताया कि अस्पताल में हर दिन 20 से 25 वायल की खपत है। बारिश में बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अस्पताल के स्टोर में 832 वायल एंटी स्नैक बेनम स्टाक में है।