वाराणसी के मुसलमानों ने दिया राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए समर्पण राशि, दिल खोलकर दान
सोहार्द्र और एकता की जरूरत पड़ी तब-तब काशी ने दुनिया को शांति का संदेश भेजा। 492 वर्षों की लम्बे इंतजार के बाद सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जब शुरू हुआ तो सहयोग देने में हिन्दुस्तानी मुसलमान कहां पीछे रह सकता है।
वाराणसी, जेएनएन। जब-जब देश को सोहार्द्र और एकता की जरूरत पड़ी तब-तब काशी ने दुनिया को शांति का संदेश भेजा। 492 वर्षों की लम्बे इंतजार के बाद सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जब शुरू हुआ तो उसमें सहयोग देने में हिन्दुस्तानी मुसलमान कहां पीछे रह सकता है। लमही के इन्द्रेश नगर के सुभाष भवन में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा आयोजित मुस्लिम समाज द्वारा राम जन्मभूमि को समर्पण निधि कार्यक्रम में जुटे काशी और आस पास के जिले से आये मुसलमानों ने दिल खोलकर दान दिया। मुस्लिम समाज के लोगों ने 101 रुपये से लेकर 21 हजार रुपये तक दान दिया।
राम जन्मभूमि पर शिलान्यास के वक्त प्रभु श्रीराम के ननिहाल रायपुर से मिट्टी लेकर पैदल यात्रा करने वाले मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय सेवा प्रमुख मो फैज खान और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पूर्वांचल प्रभारी मो अजहरूद्दीन ने 786 रुपये समर्पण निधि दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया। फैसले के बाद बड़ी संख्या में मुसलमानों ने राम मंदिर निर्माण का समर्थन किया। 492 वर्षों के फसाद को खत्म होने पर खुशियां मनायीं। राम मंदिर निर्माण के लिये जगह-जगह से समर्पण निधि जुटायी जा रही है। मुसलमानों ने भी समर्पण निधि कार्यक्रम आयोजित कर कट्टरपंथियों को करारा जवाब दिया है। श्रीराम सबके पूर्वज हैं। दुनियां भर में रहने वाले भारतीयों के लिये सांस्कृतिक प्रतीक प्रभु राम का मंदिर जब अयोध्या में बन रहा है तो विदेशों में रहने वाला भारतीय समाज खुलकर आगे आया है। शांति पसन्द मुस्लिम समाज राजनीति के नाम पर अब लड़ने वाला नहीं है। राम जन्मभूमि पर सिर्फ मंदिर नहीं बन रहा है बल्कि भारत के संस्कृति का गौरव निर्मित हो रहा है। अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाये और बचाये रखने में राम मंदिर हमेशा मदद करेगा। मुस्लिम समाज के लोगों ने यह तो बता दिया कि अब किसी के लड़ाने पर हम लड़ने वाले नहीं हैं। हिन्दुस्तान की संस्कृति में जब भी धर्म स्थल बनता है उसमें सबकी भागीदारी रहती है। जब यह सत्य है कि सबके राम सबमें राम तो फिर भेद कैसा। भारत में पैदा होने वाला प्रत्येक व्यक्ति सांस्कृतिक रूप से और वैज्ञानिक रूप से एक ही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना शफीक अहमद मुजद्दीदी ने किया। संचालन मो फैज खान ने किया एवं धन्यवाद तुषारकान्त ने दिया। कार्यक्रम में मो अब्दुल रऊफ, मो० आरिफ, साजिद अली, फकीर अहमद, वाहिद, ईसराइल खान, शमीम हाफिज, बिस्मिल्लाह, तुफैल, अतीक अहमद, सहाबुद्दीन, ठाकुर राजा रईस, नीलेश दत्त, मोईन खान, अरशद खान, अयाज, हकीम अहमद, सलीम, तसउअर, निजामुद्दीन, इलियास, नेसार अली, सलाउद्दीन, इरफान अहमद आदि लोगों भाग लिया।