लॉकडाउन में फंसी गृहस्थी की गाड़ी को पार लगाया मुन्नी देवी ने, परिवार संग बेच रहीं गोलगप्पा
लॉकडाउन में गृहस्थी की गाड़ी फंसी तो उसको पार लगाया भदोही की मुन्नी देवी ने और परिवार के साथ बगोलगप्पा बेच रहीं हैं।
भदोही [मुहम्मद इब्राहिम]। लॉकडाउन में हजारों प्रवासियों का रोजगार छूट चुका है। घर बैठने पर हताशा उनको घेर रही है, लेकिन धनवतिया की मुन्नी देवी ने हार नहीं मानी बल्कि इस संकट ने उनको और मजबूती दी है। विपत्ति की घड़ी में वह अपने प्रयासों से दूसरी गरीब महिलाओं के लिए नजीर बन चुकीं हैं। उनके पति छम्मीलाल मुंबई में ऑटो रिक्शा चलाते थे। लॉकडाउन में उनका रिक्शा ठिठका तो घर आ गए। दौडऩे वाली गृहस्थी रेंगने लगी। हालात यह हो गए कि एक समय का भोजन भी मुश्किल से नसीब हो रहा था। फिर ऐसा वक्त भी आया कि परिवार को भूखे पेट सोना पड़ा। इस स्थिति ने मुन्नी देवी को झकझोर दिया। उन्होंने कमर कसी और परिवार को संभालने का बीड़ा उठाया।
मार्च में उन्होंने महिलाओं के एक समूह से 20 हजार रुपये कर्ज लेकर सुंदर से ठेले पर गोलगप्पे की बिक्री शुरू की। पति और बेटे को भी इस काम में लगाया। चटपटा गोलगप्पा अब उनके जीवन में कामयाबी का रस घोल रहा है। इससे वह संतुष्ट हैं। लॉकडाउन में बिगड़ी गृहस्थी को वह पटरी पर ला चुकीं हैं। इससे वह रोज 400 से 600 रुपए कमा रहीं हैं। अर्थात 12,000 से 18,000 रुपये हर माह। पति भी बाहर जाने के बजाय गांव में रहकर आमदनी बढ़ाने मेें जुट गए हैं।
समूह से उठाया ऋण, बनी पति का सहारा
आजीविका मिशन के तहत गठित राजप्रभा स्वयं सहायता समूह धनवतिया से मुन्नी देवी जुड़ी हुईं हैं। उनके जैसी समूह में 20 और गरीब महिलाएं हैं। सबने मिलकर हौसला बढ़ाया और ऋण दिया तो मुन्नी ठेला खरीद काम में लग गईं। गोलगप्पे के धंधे से होने वाली आय से परिवार का खर्च चलाने के साथ बचत कर अब वह समूह के ऋण की आसान किस्तों में अदायगी कर रहीं हैं।
संकट से घबराना नहीं, मुकाबला करें
मुन्नी देवी कहतीं हैं कि किसी भी संकट से घबराने की बजाय उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए। लॉकडाउन के चलते पति व पुत्र के छूटे काम के बाद मैैंने भी ऐसा ही किया। परिवार के सभी सदस्यों को एक-दूसरे का सहारा बनकर काम करना चाहिए। इससे संकट के काले से काले बादल चंद दिनों में ही छंट जाते हैं।