मुखबीर योजना से कन्या भ्रूण हत्या या जांच करने वालों पर शिकंजा कसेगी, अल्ट्रासाउंड केंद्रों की होगी जांच
कन्या भ्रूण हत्या एवं उसकी जांच करने वाले केंद्रों की जानकारी देकर उन पर मुखबीर योजना के अंतर्गत शिकंजा कसा जाएगा।
बलिया, जेएनएन। कन्या भ्रूण हत्या एवं उसकी जांच करने वाले केंद्रों की जानकारी देकर उन पर 'मुखबीर योजना' के अंतर्गत शिकंजा कसा जाएगा। इस योजना के तहत 'डिक्वोय ऑपरेशन' के माध्यम से एक रणनीति बनाकर अवैध रूप से भूख की लिंग जांच में लिप्त व्यक्तियों, संस्थाओं अथवा अल्ट्रासाउंड केंद्रों के खिलाफ जांच की जाती है। दोषी पाए जाने पर जानकारी देने वालों को हजारों रुपये प्रोत्साहन राशि के तौर पर दिए जाते हैं। इस संबंध मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रीतम कुमार मिश्र ने बताया कि जनपद में 34 रजिस्टर्ड अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित है, जिनकी समय-समय पर जांच की जाती है। बाल लिंगानुपात कम होना चिंता का विषय है। जनपद में किसी भी केंद्र, संस्था या व्यक्तियों के द्वारा अवैध रूप से भ्रूण की लिंग जांच की जा रही है तो इसकी सूचना मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में नोडल अधिकारी पीसीपीएनडीटी डॉ. वीरेंद्र कुमार को दें, संबंधित पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जनपद में प्रति 1000 बालकों पर 937 बालिकाएं हैं। यह आकड़ा चिंतित करने वाले हैं। जन सहयोग से ही इस पर नकेल कसा जा सकता है।
मुखबीर को 60 हजार, मिथ्या ग्राहक को एक लाख प्रोत्साहन
मुखबीर योजना के बारे में नोडल डॉ. वीरेंद्र कुमार ने बताया कि भारत सरकार द्वारा अवैध ङ्क्षलग जांच में लिप्त अपराधियों को पकडऩे के लिए जन सामान्य की सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मुखबिर योजना लागू की गई है, इसके अंतर्गत गुप्त तरीके से इस कार्य में लगे लोगों की सूचना देकर रंगे हाथों पकडऩे के लिए एक मुखबिर, एक मिथ्या ग्राहक, और एक सहायक की टीम मिलकर योजना बनाकर कार्य करती है। यदि इसमें सफलता मिलती है तो मुखबिर को 60 हजार रुपये, मिथ्या ग्राहक को एक लाख और सहायक को 40 हजार रुपये प्रोत्साहन रूप में तीन किश्तों में दिए जाने का प्रवाधान है। वहीं ऐसा करने वाले लोगों एवं संस्थाओं को जनता के सहयोग से पकड़कर न्यायालय के माध्यम से दंड भी दिलाया जाएगा।
लिंग जांच पर है पूर्ण पाबंदी
जन्म से पूर्व लिंग की जांच पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है। गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदानोपयोगी तंत्र अधिनियम (पीसीपीएनडीटी एक्ट) 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते ङ्क्षलगानुपात को रोकने के लिए बनाया गया था, जिसमें वर्ष 2003 में संशोधन कर जुर्माना राशि को बढ़ाया गया। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व ङ्क्षलग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर या लैब कर्मी पर तीन से पांच साल तक की सजा व दस से पचास हजार रुपये जुर्माना का भी प्रावधान है।