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मां भारती का वीर सपूत जिलाजीत पंचतत्व में विलीन, जौनपुर के रामघाट पर हुआ अंतिम संस्‍कार

मां भारती की रक्षा को आतंकवादियों से लोहा लेते हुए बुधवार की तड़के प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिक जिलाजीत यादव शुुक्रवार को दोपहर पंचतत्व में विलीन हो गए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 07:49 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 07:49 PM (IST)
मां भारती का वीर सपूत जिलाजीत पंचतत्व में विलीन, जौनपुर के रामघाट पर हुआ अंतिम संस्‍कार
मां भारती का वीर सपूत जिलाजीत पंचतत्व में विलीन, जौनपुर के रामघाट पर हुआ अंतिम संस्‍कार

जौनपुर, जेएनएन। मां भारती की रक्षा को आतंकवादियों से लोहा लेते हुए बुधवार की तड़के प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिक जिलाजीत यादव शुुक्रवार को दोपहर पंचतत्व में विलीन हो गए। आदि गंगा गोमती के तट पर स्थित रामघाट श्मशान पर बलिदानी जिलाजीत की अंत्येष्टि की गई। मुखाग्नि चाचा राम इकबाल यादव ने दी। इस मौके पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं।

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इससे पूर्व वीर सपूत के अंतिम दर्शन को घर से लेकर घाट तक जनसैलाब उमड़ पड़ा। बलिदानी के ताबूत को ही एक झलक देखने को जलालपुर से इजरी गांव तक करीब तीन किलोमीटर तक सड़क पर लोग ठसाठस थे। सम्मान में अधिकतर लोग तिरंगा लहरा रहे थे। सेना के वाहनों के काफिले के बीच एंबुलेंस में रखा पार्थिव शरीर सुबह 6.30 बजे 39 जीटीसी सेंटर कैंटोमेंट से इजरी के लिए चला। बड़ी संख्या में युवक दोपहिया वाहनों से तिरंगा लिए बाबतपुर पहुंचकर वहां से काफिल के साथ हो गए। तिरंगा में लिपटे बलिदानी का ताबूत सुबह करीब नौ बजे जलालपुुर पहुंचा तो वहां से इजरी तक करीब तीन किलोमीटर तक सड़क के दोनों तरफ उमड़ा हुजूम भारत माता की जय...जब तक सूरज-चांद रहेगा जिलाजीत का नाम रहेगा आदि नारे लगाने लगा। पार्थिव शरीर 9.25 बजे घर पहुंचते ही कोहराम मच गया। मां उर्मिला देवी, पत्नी पूनम यादव और अन्य स्वजन के अंतिम दर्शन को जिलाजीत का चेहरा ताबूत में खुला हुआ था। स्वजन ही नहीं, हजारों की संख्या में बाट जोह रहे ग्रामीण एक झलक देखकर भारत मां के अमर सपूत के चेहरे को अपनी आंखों में हमेशा के लिए कैद कर लेने उमड़ पड़े। घरों की छतों पर भी लोग डंटे रहे। ताबूत से लिपटकर बिलख रहे स्वजनों को देख हर किसी का आंखें डबडबा उठीं। सम्मान में उमड़े जनसैलाब को नियंत्रित करने में पुलिस प्रशासन को खासी मशक्कत करनी पड़ी। साथ आई सैनिकों की टुकड़ी ने जिलाजीत के सम्मान में गार्ड आफ आनर और जिले के प्रभारी मंत्री उपेंद्र तिवारी, राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव, पूर्वमंत्री केपी यादव सहित अधिकारियों व सपा व भाजपा के नेताओं ने बड़ी संख्या में पार्थिव शरीर पर पुष्पगुच्छ अर्पित किया। करीब घंटे भर तक अंतिम दर्शन का सिलसिला चला। 10.30 बजे शवयात्रा शुरू हुई। मालूम हो कि धौरहरा (इजरी) निवासी जिलाजीत यादव (25) पुत्र स्व. कांता यादव बुधवार की तड़के जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के कामराजीपोरा में सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों के साथ मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हो गए थे। जिलाजीत 53 आरआर बटालियन में सोवर के पद पर तैनात थे।

जीवांश को बैठाया ताबूत पर तो नम हो गई सभी की आंखें

मां भारती की रक्षा को प्राणों की आहुति देेने वाले जिलाजीत यादव अपने छह महीने के बेटे का चेहरा भी नहीं देख सके थे। कभी दादी उर्मिला तो कभी मां पूनम नन्हें जीवांश को गोद में लिए बिलखती रहीं। मां पूनम ने जीवांश को पिता के ताबूत पर बैठाया तो हर किसी की आंखें डबडबा गईं। इस मौके पर मौजूद पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री डा. केपी यादव ने जीवांश को गोद में उठाया तो उनकी भी आंखें छलछला उठीं। उन्होंने स्वजनों से वादा किया कि वे जीवांश की पूरी शिक्षा-दीक्षा की जिम्मेदारी उठाएंगे।

साथी सैनिकों ने बहादुरी के सुनाए किस्से

साथी सैनिकों ने बलिदानी जिलाजीत यादव की बहादुरी के किस्से सुनाए तो स्वजनों की आंखें भर आईं। परिवार की महिलाएं सैनिकों के पैरों से लिपटकर रोने-बिलखने लगीं। साथी सैनिकों ने कहा कि जिलाजीत अक्सर कहा करते थे कि भारत माता की रक्षा के लिए प्राणों की बाजी लगाने का कभी अवसर आया तो व पीछे नहीं हटेंगे, जो कहा था उसे कर दिखाया।

हर चेहरे पर गर्व, पाकिस्तान के प्रति दिखा गुस्सा

अंतिम दर्शन व शव यात्रा में शामिल हजारों लोगों के चेहरे पर बलिदानी जिलाजीत यादव के लिए गम के साथ ही गर्व का भाव वहीं, पाकिस्तान के प्रति गुस्सा साफ नजर आया। बड़ी संख्या में आक्रोशित युवक आतंकिस्तान बन चुके पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी भी करते रहे।

चैंपियन सैनिक थे जिलाजीत यादव

जिलाजीत यादव के दिल में देश की सेवा का गजब का जज्बा था। इसे देखते हुए ही भारतीय सेना ने भरपूर प्रोत्साहन दिया। इसी का नतीजा था कि जिलाजीत सेना में पैरा कमांडो, रेसलर, बाङ्क्षक्सग के चैंपियन थे। पार्थिव शरीर लेकर आए सिपाही अखिलेश कुमार ङ्क्षसह व सुरेंद्र यादव ने बताया कि सेना की इन प्रतियोगिताओं में जिलाजीत जरूर हिस्सा लेते थे।

घर से श्मशान घाट तक दर्ज कराई उपस्थिति

वीर सैनिक जिलाजीत यादव के अंतिम दर्शन के लिए इजरी गांव स्थित आवास, शवयात्रा व अंत्येष्टि स्थल रामघाट तक उपस्थिति दर्ज कराने वालों में जिले के प्रभारी मंत्री उपेंद्र तिवारी, राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव, जिले के उच्चाधिकारी समेत विभिन्न दलों के जनप्रतिनिधि रहे। इनमें राज्यसभा सदस्य व आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संजय सिंह, एमएलसी विद्या सागर सोनकर, विधायकगण डा. हरेंद्र प्रसाद सिंह, रमेश चंद्र मिश्र, दिनेश चौधरी, भाजपा के जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह,  पूर्व जिलाध्यक्ष व टीडीपीजी कालेज के प्रबंधक अशोक कुमार सिंह, पूर्व विधायक सुरेंद्र प्रताप ङ्क्षसह, आजमगढ़ के पूर्व सांसद रमाकांत यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष राज बहादुर यादव, सपा के जिलाध्यक्ष लाल बहादुर यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष राम अवध पाल, पूर्व मंत्री जगदीश नारायण राय, जिला पंचायत सदस्य नन्हकू यादव, नंदलाल यादव, शिवसंत यादव, समाजसेवी दिलीप राय बलवानी, जिलाधिकारी दिनेश कुमार ङ्क्षसह, एसपी अशोक कुमार आदि प्रमुख रहे।

17 किलोमीटर की अंतिम यात्रा पूरी हुई ढाई घंटे में

बलिदानी जिलाजीत यादव की 17 किलोमीटर की अंतिम यात्रा पूरी होने में ढाई घंटे लग गए। शव यात्रा गृहगांव इजरी से 10.30 बजे निकली। रास्ते भर जगह-जगह लोगों ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। पार्थिव शरीर दोपहर एक बजे रामघाट पहुंचा। 1.40 बजे मुखाग्नि उनके चाचा राम इकबाल यादव ने दी।

पूर्व मंत्री ने गोद में उठाया बेटे को

पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री डा. केपी यादव भी जिलाजीत की अंतिम यात्रा में शामिल हुए। दरवाजे पर संवेदना व्यक्त करने पहुंचने पर बलिदानी की मां ने अपने छह माह के पौत्र को उनकी गोद में डाल दिया। इस दौरान वादा किया वे इस बच्चे की लालन-पालन और शिक्षा-दीक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठाएंगे। वहीं रामघाट पर गार्ड आफ आनर के बाद प्रभारी मंत्री से मांग किया कि यूपी सरकार बलिदानी के परिजन को 50 लाख की जगह पर एक करोड़ की धनराशि प्रदान करे। जब कानपुर व दिल्ली में बलिदानियों के आश्रितों को एक-एक करोड़ दिया गया तो इन्हें भी दिया जाए।


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