वाराणसी में हर महीने 20 करोड़ का China से अगरबत्ती का आयात, अब स्वदेशी बिखेरेगी सुगंध
चीन से आयाजित अगरबत्ती ने करीब पांच साल पहले काशी के कारोबारियों की कमर तोड़ थी। अब स्वदेशी अगरबत्ती की सुगंध घरों में भी सुगंध बिखेर रही है।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। लंबे समय से धार्मिक नगरी वाराणसी में चीन से आयाजित अगरबत्ती ने करीब पांच साल पहले काशी के कारोबारियों की कमर तोड़ थी। लॉकडाउन से पहले चीन का यहां पर प्रतिमाह करीब 20 करोड़ का कारोबार था, लेकिन गलवन घाटी में उपजे विवाद एवं कोरोना के कारण अब चीन की ही दुकान बंद हो गई है। चीन से आयात बंद होने के बाद अब यहां के बंद पड़े कारोबार फिर से चहकने के लिए तैयार है। यानी अब स्वदेशी अगरबत्ती की सुगंध मंदिरों, मस्जिदों के साथ ही पूजा-पाठ करने वाले घरों में भी सुगंध बिखेरी। खादी और ग्रामोद्योग आयोग की ओर से अगरबत्ती उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पैडल मशीन देने की योजना बनाई गई है। इससे उत्पादन व आय दोनों बढ़ेगी।
लगभग पांच साल पहले काशी में करीब 20 इकाइयां बड़े पैमाने पर अगरबत्ती का उत्पादन करती थी। इसी बीच चीन ने यहां के अगरबत्ती कारोबार पर अपना कब्जा जमा लिया। इसके बाद धीरे-धीरे लगभग सारी इकाईयां बंद हो गई। कारण कि चीन से आयातित अगरबत्ती काफी सस्ती थी। यहां पर अगरबत्ती तैयार करने में लेबर कास्ट भी अधिक लगता था और कच्चा माल भी महंगा पड़ता था। हालांकि कुछ कारोबार खींच खांचकर चलता रहा, लेकिन यहां की मांग की पूर्ति करना संभव नहीं था। वैसे इन दिनों तो मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा पूरी तरह नहीं खुले हैं। इस करण अगरबत्ती की खपत एवं मांग उतनी नहीं है, लेकिन जब स्थिति सामान्य होगी तो इसकी अचानक ही मांग बढ़ेगी। इसी को ध्यान में रखते यहां के उद्यमियों व खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने फिर से कमर कस ली है।
5000 महिलाएं जुड़ी थीं इस कारोबार से
काशी में अगरबत्ती कारोबार से जिले की करीब पांच हजार महिलाएं प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी थीं। अगर अप्रत्यक्ष रूप से देखा जाएं तो करीब आठ हजार लोगों को रोजगार मिलता था। वहीं बाद में अगरबत्ती कारोबार में लगभग 90 प्रतिशत कब्जा चीन एवं वियतनाम का हो गया था। बताया जा रहा है कि चीन आयातित अगरबत्ती का देश में लगभग 800 करोड़ का करोबार था।
एक व्यक्ति मात्र छह घंटे में ही 15 से 20 किलो तक अगरबत्ती बना सकेगा
एक महिला हाथ से पूरे दिन में मात्र दो किलो ही अगरबत्ती बना पाती थी। अब गुजरात से पैडल मशीन मंगाई जा रही है, जिससे एक व्यक्ति मात्र छह घंटे में ही 15 से 20 किलो तक अगरबत्ती बना सकेगा। इससे उनकी आय भी बढ़ेगी और काशी में अगरबत्ती का उत्पादन भी बढ़ेगा। शुरुआती दौर में विभाग की ओर से 60 लोगों को पैडल मशीनें मुहैया कराने की व्यवस्था की जा रही है।
- डीएस भाटी, निदेशक, खादी और ग्रामोद्योग आयोग।
सरकारी सुविधाएं बढऩे के बाद फिर से काशी में अगरबत्ती कारोबार उठ खड़ा हो जाएगा
चीन से आयात बंद होने एवं यहां पर सरकारी सुविधाएं बढऩे के बाद फिर से काशी में अगरबत्ती कारोबार उठ खड़ा हो जाएगा। चीन व वियतनाम जो यहां पर प्रतिमाह 20 करोड़ का कारोबार करता था वही अब स्थानीय उद्यमी करेंगे। स्थानीय को बढ़ावा मिलेगा और स्वदेशी अगरबत्ती की सुगंध भी फैलेगी। अब देखना होगा कि विभाग कितनी ईमानदारी से सुविधाएं मुहैया करा पाता है।
- विनीत वाही, निदेशक, मंगलम अगरबत्ती कंपनी।