Move to Jagran APP

बलिया में डिजिटल भुगतान प्रक्रिया के अभाव में पैसे नहीं हुए आवंटित, जिलाधिकारी का आदेश भी हुआ बेअसर

एक तरफ अब तक पंचायतों का डिजिटाइजेशन पूर्ण नही हो पाया है वहीं चतुर्थ राज्य वित्त का चौदह करोड़ रुपया विकास कार्यो में व्यय होने की जगह पर कोषागार की शोभा बढ़ा रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 07:13 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 07:30 AM (IST)
बलिया में डिजिटल भुगतान प्रक्रिया के अभाव में पैसे नहीं हुए आवंटित, जिलाधिकारी का आदेश भी हुआ बेअसर
बलिया में डिजिटल भुगतान प्रक्रिया के अभाव में पैसे नहीं हुए आवंटित, जिलाधिकारी का आदेश भी हुआ बेअसर

बलिया [सुधीर तिवारी]। शासकीय कार्यो के क्रियान्वयन में जनपद की लचर कार्यप्रणाली सामने आयी है। इसके कारण जहां एक तरफ अब तक पंचायतों का डिजिटाइजेशन पूर्ण नही हो पाया है वहीं चतुर्थ राज्य वित्त का चौदह करोड़ रुपया विकास कार्यो में व्यय होने की जगह पर कोषागार की शोभा बढ़ा रहा है। चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की संस्तुति पर राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019 - 20 के आय व्यय के अनुदान में प्रदेश की ग्राम पंचायतों को दी जाने वाली सामान्य समनुदेशन की प्रथम चार माह (अप्रैल मई जून जुलाई )की धनराशि उत्तर प्रदेश शासन व राज्यपाल द्वारा स्वीकृत कर जनपद को आवंटित कर दी गयी है। बावजूद इसके ग्राम पंचायतों के डीएससी रजिस्ट्रेशन व डोंगल निर्माण में हो रही देरी से उक्त भारी भरकम धनराशि राज्य वित्त के खाते में डंप पड़ी हुई है।

loksabha election banner

नतीजतन जिन पैसों को अब तक पंचायतों में विकास कार्यों के सापेक्ष खर्चा किया जाना था । वह पैसा अभी तक अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव से महज एक कदम के फासले पर अपने मार्ग प्रशास्तिकरण की राह देख रहा है। राज्य वित्त के पैसे से गांव में बड़ी मात्रा में विकास कार्य संपादित किये जाते है। लेकिन मौजूदा वित्तीय वर्ष में पंचायतों के डिजिटाइजेशन में हो ही देरी शासन के सारे विकास के उद्देश्यों पर पानी फेर रही है। 

आलम है है कि उक्त डीएससी रजिस्ट्रेशन के संबंध में जिलाधिकारी के सख्त आदेश के का साथ विगत दस तारीख की समयसीमा भी समाप्त हो चुकी है । लेकिन डीएससी रजिस्ट्रेशन में अपेक्षाकृत प्रगति नही मिल पाई है। इस कारण से जनपद के ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों की गति रुकी पड़ी है। मौजूदा समय मे जनपद के सत्रह ब्लाकों में राज्य वित्त के धन का आवंटन हो चुका है। लेकिन व्यवस्था की धीमी गति ने समस्त योजनाओं के क्रियान्वयन उनकी सार्थकता सब कुछ रोक के रखा हुआ है। अब जब पूरी तरह व्यवस्था की खामियां उजागर होने लगी है तो कोई भी जिम्मेदार इस संबंध में कुछ भी बोलने से परहेज कर रहा है।

जनपद के विकास खंडों में राज्य वित्त के धन का आवंटन

(1) मुरली छपरा  - 68.130 लाख  (2) बैरिया - 69.530 लाख (3) रेवती - 71.656 लाख (4) बांसडीह - 74.288 लाख (5) बेरुआरबारी - 57. 864 लाख (6) मनियर - 64. 954 लाख (7) पंदह - 72. 635 लाख (8) नवानगर - 78.688 लाख (9) सीयर - 117.890 लाख (10)  नगरा - 139.503 लाख (11) रसड़ा - 103.477 लाख  (12) चिलकहर - 91.308 लाख  (13) सोहांव - 79.883 लाख  (14) गंड़वार - 82.483 लाख (15) हनुमानगंज - 96.047 लाख (16) दुबहड़ - 84. 572 लाख  (17) बेलहरी - 59.654 लाख ।

कुल योग 1412.562 लाख (चौदह करोड़ बारह लाख पांच सौ बासठ रुपये) 

कहना गलत न होगा कि जनपद में शासकीय कार्यो के क्रियान्वयन में भारी स्वेच्छाचारिता का बाजार गर्म है। अन्यथा जिले के आला अधिकारियों के लाख प्रयास के बावजूद डीएससी रजिस्ट्रेशन व डोंगल निर्माण में मातहतों द्वारा बरती जा रही लापरवाही इस सीमा तक नही पंहुच जाती की सारे प्रयास निष्फल साबित हो जाते। प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नही होती । लिहाजा जनपद में सरकार की तमाम नीतियां औंधे मुंह गिरकर अपने संपादन की बाट जोह रही हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.