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श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर का मॉडल तैयार, खींचा जा रहा साज-सज्जा का खाका

श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर का मॉडल अब तैयार हो गया। योगी सरकार इससे जुड़ी 130 संपत्तियों के अधिग्रहण के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। इस पर 413 करोड़ रुपये इस पर व्यय होने हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 02:18 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 02:45 PM (IST)
श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर का मॉडल तैयार, खींचा जा रहा साज-सज्जा का खाका
श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर का मॉडल तैयार, खींचा जा रहा साज-सज्जा का खाका

वाराणसी (जेएनएन) । बाबा दरबार से मणिकर्णिकाघाट-ललिताघाट तक प्रस्तावित श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर का मॉडल अब तैयार हो गया। इसमें श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र को पूरी समग्रता के साथ शामिल करते हुए कारीडोर के गंगा छोर तक ले जाया गया है। मुख्य परिसर के साथ ही मंदिर की ओर आने वाले वर्तमान व प्रस्तावित रास्तों को भी दिखाया गया है। योगी सरकार की कैबिनेट ने इससे जुड़ी करीब 130 संपत्तियों के अधिग्रहण के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। पहले चरण में 166भवन और संपत्तियां अधिग्रहीत की जा चुकी हैं। इस पर 413 करोड़ रुपये इस पर व्यय होने हैं। पहले चरण में 190 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। शेष धनराशि के लिए कैबिनेट ने अनुमोदन दे दिया है।

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मॉडल के आधार पर ही भवनों की खरीद 

कारीडोर निर्माण की परामर्शदात्री कंपनी एचसीपी की ओर से श्वेत फाइबर पर उकेरा गया प्रतिरूप श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद प्रशासन को सौंपा गया है। मंदिर परिक्षेत्र विस्तार व कारीडोर को आकार देने के लिए कराए जा रहे कार्यों का निरीक्षण करने आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी इसके आधार पर पूरा प्रोजेक्ट व कार्य प्रगति समझाई गई थी। इसके सहारे ही उन्हें मंदिर दफ्तर की छत पर बनाए गए प्लेटफार्म से कारीडोर की कार्य प्रगति दिखाई गई थी। फिलहाल इस मॉडल के आधार पर ही भवनों की खरीद की जा रही है। मंदिर के गेट नंबर दो सरस्वती फाटक और गेट नंबर तीन नीलकंठ के समानांतर गंगा तट तक जाने वाले कारीडोर में विशेष पर्वों पर होने वाली भीड़ का ख्याल रखते हुए कतार के लिए खाली स्थान छोड़े गए हैं। कारीडोर के प्रवेश द्वार ललिताघाट-मणिकर्णिकाघाट पर सांस्कृतिक आयोजनों के लिए प्लेटफार्म दिया जाएगा। ललिताघाट से पंपिंग स्टेशन को अंडर ग्राउंड किया जाएगा। प्रवेश बिंदु से थोड़ा आगे बढ़ते ही गोयनका लाइब्रेरी को यथावत रखा जाएगा जो पाथवे को डबल लेन करता नजर आएगा। साथ ही पौराणिक देवालयों को भी यथावत रखा जाएगा। श्रद्धालु सुविधाओं के लिहाज से कारीडोर के किनारे काम्प्लेक्स भी विकसित किए जाएंगे। फिलहाल इस माडल के आधार पर श्रद्धालु सुविधा के लिहाज से छोटी दुकानों, ग्रीनरी के साथ ही कौन से पत्थर लगाए जाएं और साज सज्जा का खाका खींचा जा रहा है।

खरीद चुके आधा से अधिक भवन 

40 फीट चौड़े और 500 मीटर लंबे कारीडोर के दायरे में 296 भवन आ रहे हैं जिनमें 13 मंदिर व चार नगर निगम के भवनों को छोड़ दें तो सिर्फ 279 ही खरीदे जाने हैं। फिलहाल 163 की खरीद की जा चुकी है। इनमें 27 सेवइत संपत्ति में नौ मंदिर के पक्ष में हस्तांतरित कराए जा चुके हैं। फिलहाल अब तक खरीदे जा चुके भवनों को ध्वस्त किया जा रहा है।

190 करोड़ खर्च, मांगे 150 करोड़ 

कारीडोर के लिए शासन की ओर से 463 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसमें से भवन खरीद के लिए पहले ही दो चरणों में 40 करोड़ व 150 करोड़ यानी 190 करोड़ दिए जा चुके हैं। बाबा दरबार से मणिकर्णिकाघाट तक प्रस्तावित श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर के लिए श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद ने शासन से 150 करोड़ रुपये मांगे हैं। पीएम व सीएम से जुड़े इस खास परियोजना का डीपीआर और प्रथम चरण के निर्माण के लिए इस धनराशि का मांग पत्र शासन को भेज दिया गया है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण के लिहाज से बनाए जा रहे इस कारीडोर के लिए शासन की ओर से 463 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं। इसमें भवन खरीद के लिए पहले ही दो चरणों में 40 करोड़ व 150 करोड़ यानी 190 करोड़ दिए जा चुके हैं। इसमें कारीडोर रूट के 296 भवनों में 153 की खरीद की जा चुकी है। साथ ही भवनों का युद्ध स्तर पर ध्वस्तीकरण किया जा रहा है। पहले ही एक साथ 55 भवनों को ध्वस्त करने की प्रक्रिया चल रही है।  श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र व मंदिर के सीईओ विशाल सिंह के अनुसार दिसंबर तक 10 फीसद और फरवरी तक 25 फीसद कार्य पूरा कर लेने का लक्ष्य है। 

कारीडोर का ओर छोर कैमरे में कैद 

बाबा दरबार से गंगा तट पर ललिता-मणिकर्णिकाघाट तक बन रहे श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर पीएम को दिखाने का पूरा इंतजाम किया गया है। पीएम यहां न भी आएं तो उन्हें अब तक की प्रगति बताने समझाने के लिए रिपोर्ट बनाने में अफसर कागजों में नजर गड़ाए हुए हैं। इसके लिए वीडियो फिल्म भी बना ली गई ताकि इसे दिखाया भी जा सके। मंदिर व विशिष्ट क्षेत्र सीईओ विशाल सिंह के अनुसार पीएम को मंदिर विस्तारीकरण व कारीडोर निर्माण की प्रगति दिखाने का पूरा इंतजाम कर लिया गया है।

चार मार्गों से जुड़ेगी कारीडोर की डोर 

बाबा दरबार से मणिकर्णिकाघाट तक बन रहे श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर तक चार रास्तों से पहुंचा जा सकेगा। इसके लिए दो रास्ते तो मंदिर से बाहर आएंगे तो दो मार्गों में एक गोदौलिया और दूसरा चौक तक ले जाएगा।  हालांकि इस पर अंतिम फैसला अभी श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद की ओर से नामित पांच विशेषज्ञों की अलग- अलग स्कोरिंग रिपोर्ट और शासन स्तर पर आकलन के आधार पर ही किया जाएगा।  

घाट को मिलेगा नया रूप रंग 

कारीडोर का गंगा की ओर से प्रवेश द्वार यानी ललिताघाट से मणिकार्णिकाघाट तक के पथरीले प्लेटफार्म व सीढिय़ों को नया रूप रंग दिया जाएगा। इसमें महाश्मशान अपनी विशिष्टता के साथ पर्यटकों और जिज्ञासुओं को आकर्षित करेगा। हालांकि इस घाट पर ज्यादा कुछ कार्य पहले ही किया जा चुका है। इसके अलावा मंदिर से घाट तक कारीडोर को लंबे-लंबे प्लेटफार्म के साथ सीढ़ीदार बनाने का भी विचार सामने आया। कारीडोर की राह में आ रहे संपूर्ण देवालय श्रंखला और ग्रंथालय का स्थापत्य बरकरार रखते हुए इन्हें सजाया-संवारा जाएगा। उद्देश्य यह कि इनके जरिए काशी का मौलिक स्वरूप दिखाया जा सके। घाट पर विशाल प्लेटफार्म सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयोजनों के लिए भी होगा। 

एएसआइ और इन्टैक के जिम्मे पुरातात्विक निगरानी  

श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर रूट पर आ रहे भवनों की पुरातात्विकता का ख्याल रखने की जिम्मेदारी एएसआइ व इन्टैक की होगी। विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद सीइओ विशाल सिंह ने इसके लिए संस्थाओं को पत्र भी लिखा है। इसके पीछे उद्देश्य यह कि ध्वस्तीकरण से पहले ऐसी धरोहरों को संरक्षित किया जा सके। इस निमित्त एएसआइ की ओर से सक्रियता भी बढ़ा दी गई। 

निखरेंगी कारीडोर रूट की धरोहर 

बाबा दरबार से ललिताघाट-मणिकर्णिकाघाट तक प्रस्तावित श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर के बीच आने वाली धरोहरों को भव्यतम रूप दिया जाएगा। लगभग 500 मीटर के दायरे में पड़ रहे कारीडोर रूट के तीन दर्जन से अधिक देवालयों की उनके मूल स्वरूप में नए सिरे से साज-सज्जा की जाएगी। इसके लिए उनके इतिहास-भूगोल का अध्ययन किया जाएगा। गंगा स्नान-बाबा दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं के साथ देश-विदेश से आए जिज्ञासुओं व ज्ञान पिपासुओं की सुविधा के लिहाज से भी काम्प्लेक्स समेत छोटे-बड़े निर्माण किए जाएंगे। कारीडोर की रूपरेखा खींचने के लिए चयनित अहमदाबाद की कंपनी एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट ने निविदा प्रक्रिया के दौरान प्रस्तुतिकरण में ही इसका खाका दिखा दिया है। श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट विकास क्षेत्र परिषद की ओर से दिए गए साइट लोकेशन प्लान में इसे फिट किया गया है। हालांकि सरस्वती फाटक से नीलकंठ के समानांतर लगभग 40 मीटर की चौड़ाई में विस्तारित कारीडोर के दायरे में तीन दर्जन से अधिक मंदिर आ रहे हैं जो काशी क्षेत्र के विशिष्ट देवालयों में शुमार हैं। ऐसे में इनके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ के बजाय इन्हें काशी की मौलिकता दिखाने के उद्देश्य से संरक्षित किया जाएगा। इसमें कंपनी की ओर से पुरातत्व विशेषज्ञों और वास्तुकारों की टीम भी लगाई जाएगी। 

गोयनका ग्रंथालय को भव्यतम आकार, खरीद की नहीं दरकार 

कारीडोर की रूपरेखा खींचने के लिए कंपनी का चयन होने के बाद पूरे क्षेत्र को वीरान बना देने जैसे वितंडे भी खत्म होने जा रहे हैं। यह आकलन कंपनी की ओर से प्रस्तुत की गई प्राथमिक रूपरेखा के आधार पर किया जा रहा है। प्राथमिक प्रारूप के अनुसार मणिकर्णिकाघाट के समीप स्थित गोयनका ग्रंथालय को उसके मूल स्वरूप में ही निखारा जाएगा। इसमें काशी, गंगा और बाबा विश्वनाथ समेत तत्संबंधित पुरातन व अधुनातन साहित्य भी रखे जाएंगे। इसमें श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद मदद करेगा। वास्तव में वर्ष 1928 में स्थापित गोयनका ग्रंथालय में 40 हजार से अधिक ग्रंथ हैं जिनमें तमाम दुर्लभ हैं। इसके लिए संस्कृत विश्वविद्यालय समेत अन्य उच्च शैक्षणिक संस्थानों से शोधार्थी आते हैं। कारीडोर की जद में वैसे तो गोयनका ट्रस्ट के आधा दर्जन भवन आ रहे हैं लेकिन इनमें सबसे खास ग्रंथालय है। सीईओ विशाल सिंह के अनुसार कारीडोर क्षेत्र में लाइब्रेरी की भी परिकल्पना है। गोयनका ग्रंथालय इस कमी को पूरा कर रहा है। उसे प्रोजेक्ट अनुरुप भव्यता के साथ मूल रूप में निखारने का प्रयास है, इसके लिए जरूरी नहीं कि उसे खरीदा ही जाए। भवन मिल जाए तो ठीक, अन्यथा हमें सिर्फ साज-संवार की अनुमति चाहिए।

पंपिंग स्टेशन होगा अंडर ग्राउंड 

ललिता घाट पर स्थित पंपिंग स्टेशन कारीडोर की सुंदरता में दाग न लगाए, इसका भी इंतजाम किया जाएगा। इसके लिए उसे अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए अंडर ग्राउंड किया जाएगा ताकि जनसुविधा बाधित किए बगैर घाट को सुंदर बनाया जा सके। इसके लिए पूरे रूट पर विशेष तरह के पत्थर लगाए जाएंगे, छोटे छोटे पार्क सजाए जाएंगे और दीवारों पर म्यूरल या नक्काशीदार आकृतियां उकेरी जाएंगी।

ललिता घाट पर 'काशी आनंद' 

काशी धर्म-अध्यात्म के साथ ही कला संस्कृति के लिए भी जानी जाती है। ऐसे में गंगा के रास्ते बाबा दरबार आने वालों का प्राचीन नगरी के इस रूप से भी परिचय होगा। इसके लिए घाट पर गंगा के पाट पर सांस्कृतिक स्थल विकसित किया जाएगा। विशिष्ट क्षेत्र प्रशासन इसे अलग-अलग संस्थाओं को संगीत, धर्म-अध्यात्म चर्चा के साथ ही सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए देगा। उसका व्यवस्थापन भी सरकारी तौर पर किया जाएगा ताकि पर्यटक व श्रद्धालु वास्तविक 'काशी आनंद ' का आभास पाए। उसे महसूस करें और निहाल हो जाएं। इसके अलावा कारीडोर क्षेत्र के तीनों घाटों का पुररुद्धार किया जाएगा।

धूप-पानी से श्रद्धालुओं को मुक्ति 

गंगा तट से बाबा दरबार तक के कारीडोर में ही श्रद्धालुओं को सभी सुविधाएं मिल जाएंगी। इसमें मां वैष्णो धाम की तर्ज पर काम्प्लेक्स, वेटिंग रूम, मंदिर दफ्तर, प्रसाधन कक्ष, पूछताछ, खोया-पाया के साथ ही चार जगहों पर खुले स्थान बनाए जाएंगे। खुले स्थलों का उद्देश्य यह कि तीज-त्योहार पर उमडऩे वाली भीड़ को जिग-जैग बनाकर इसमें ही रोका जा सके। इसके जरिए सावन-शिवरात्रि समेत त्योहारों पर सड़कों पर कतार से मुक्ति मिलेगी।

कारीडोर के महारथी 

कारीडोर की रूपरेखा खींचने के लिए चयनित अहमदाबाद की कंपनी एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट को कारीडोर के कार्यों में महारथ हासिल है। इसे साबरमती व कंकडिय़ा लैक फ्रंट डेवलमेंट और माढ़ आइसलैंड आदि कार्यों से ही समझा जा सकता है। इसके अलावा धरोहरों को सहेजने की क्षमता कंपनी मुंबई के माढ़ आइसलैंड में दिखा चुकी है जहां 1530 की धरोहरों को संरक्षित करते हुए प्लानिंग की गई। इडेन गार्डेन भी एचसीपी ने ही रीस्ट्रक्टर कर सुंदरीकरण किया था। कंपनी श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर का कार्य प्रोजेक्ट लागत की 1.2 फीसदी पर करेगी। इसके अलावा विशिष्ट क्षेत्र में आने वाले 15 मोहल्लों का मास्टर प्लान भी कंपनी ही तैयार करेगी। 

कश्मीरी मल की हवेली में बनेगा पर्यटन थाना

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा का दर्शन करने आए विदेशी श्रद्धालुओं को जल्द इधर-उधर भागदौड़ से भी निजात मिल जाएगी। इसके लिए विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद पर्यटक थाना बनवाने जा रहा है। इसके लिए शनिवार को कश्मीरी मल की हवेली रजिस्ट्री करा ली गई। विशिष्ट क्षेत्र प्रशासन ने इसे पांच करोड़ रुपये में खरीदा है। इसमें ही पर्यटकों की सुïविधा के लिहाज से पासपोर्ट आदि जांच के साथ ही इनके लिए विश्राम की भी व्यवस्था की जाएगी। अब तक इसके लिए विदेशी श्रद्धालुओं को आम श्रद्धालुओं की तरह जांच के साथ ही विश्वनाथ मंदिर रिपोर्टिंग चौकी जाना होता था। यहां ही खुफिया विभाग की ओर से आमद रजिस्टर रखा गया है। यहां पासपोर्ट आदि चेक करने के बाद उन्हें सिपाही की निगरानी में मंदिर में भेजा जाता था। कश्मीरी मल की हवेली अपने आप में खास है। जेम्स प्रिंसेप ने बनारस भ्रमण के अनुभवों को किताब में समेटते समय गंगा घाटों के सौंदर्य का स्केच के जरिए उल्लेख किया तो इसमें इस हवेली को भी स्थान दिया। इससे ही इसकी प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

विशिष्ट क्षेत्र प्रशासन देगा प्रशिक्षण करेगा विदेशी भाषाओं में पारंगत 

पर्यटन थाने में तैनाती के लिए देशी- विदेशी भाषाओं में दक्ष जवानों का चयन किया जाएगा। सिपाहियों को विशिष्ट क्षेत्र प्रशासन भाषा और आचार-व्यवहार का प्रशिक्षण देगा। इसके लिए सिपाहियों को डेपुटेशन पर लिया जाएगा। प्रदेश सरकार की ओर से अभी हाल के महीनों में ही अन्य कुछ जिलों के साथ ही बनारस के लिए पर्यटन थाना स्थापना की घोषणा की थी। सनातन धर्मियों का शीर्ष देवालय श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था के साथ ही विदेशियों की जिज्ञासा का भी केंद्र रहा है। इस कारण यहां बाबा का दर्शन करने के लिए दुनिया भर से ज्ञान पिपासुओं का भी लगा रहता है। सीईओ विशाल सिंह के अनुसार विशिष्ट क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है, ऐसे में पर्यटकों की सुविधा के लिहाज से थाने के लिए यहां ही व्यवस्था की जा रही है।

 प्रवासी भारतीय दिवस तक झलकने लगेगा श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर 

बाबा दरबार से मणिकर्णिकाघाट-ललिताघाट तक प्रस्तावित श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर का अक्स प्रवासी भारतीय दिवस तक झलकने लगेगा। केंद्र व प्रदेश सरकार या यूं कहें खुद पीएम व सीएम की तत्परता भी इसके ही संकेत दे रही है। उनकी मंशा के अनुरुप श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद इस लिहाज से पूरे प्रोजेक्ट का खाका खींच रहा है। इसे देखते हुए ही परामर्श के लिए चयनित अहमदाबाद की कंपनी एचसीपी की ओर से इसकी रूपरेखा तैयार की जा रही है ताकि अनुबंध के साथ ही दूसरे हाथ से इसे प्रशासन को सौंपा जा सके। तत्काल निर्माण एजेंसियों का चयन करते हुए जल्‍द शिलान्यास कराया जा सके।


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