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कस्तूरबा विद्यालय की नियुक्ति की मेरिट में भी घालमेल, प्रारंभिक जांच में अनियमितता की आशंका

वाराणसी में शासन के निर्देश पर केजीबीवी की अंशकालिक व पूर्णकालिक अध्यापिकाओं और वार्डेन के अभिलेखों व नियुक्ति पत्रों की समिति नए सिरे से जांच कर रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 08:00 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 05:28 PM (IST)
कस्तूरबा विद्यालय की नियुक्ति की मेरिट में भी घालमेल, प्रारंभिक जांच में अनियमितता की आशंका
कस्तूरबा विद्यालय की नियुक्ति की मेरिट में भी घालमेल, प्रारंभिक जांच में अनियमितता की आशंका

वाराणसी, जेएनएन। शासन के निर्देश पर कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (केजीबीवी) की अंशकालिक व पूर्णकालिक अध्यापिकाओं और वार्डेन के अभिलेखों व नियुक्ति पत्रों की समिति नए सिरे से जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच में मेरिट सूची में घालमेल की आशंका जताई जा रही है। अधिक अंक वालों की अनदेखी कर कम अंक वाले चार अध्यापिकाओं की नियुक्ति कर दी गई है। जांच समिति सभी अभ्यर्थियों की मेरिट मिलान कर रही है। बहरहाल बीएसए को जांच रिपोर्ट का इंतजार है।

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तथाकथित शिक्षिका अनामिका शुक्ला की नियुक्ति प्रकरण को देखते सूबे के सभी केजीबीवी की अध्यापिकाओं की चयन प्रक्रिया  पर सवाल उठने लगे हैं। शासन ने केजीबीवी की नियुक्ति की नए सिरे से जांच का निर्देश दिया है। इस क्रम में बीएसए राकेश ङ्क्षसह ने सेवापुरी के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) डीपी ङ्क्षसह की अध्यक्षता से तीन सदस्यीय समिति गठित की है। समिति में चिरईगांव के बीईओ राम टहल व जिला समन्वयक (बालिका शिक्षा) दुर्गावती सदस्य हैं। समिति  दस दिन पड़ताल में जुटी है। केजीबीवी में नियुक्त सभी 88 अंशकालिक, पूर्णकालिक अध्यापिकाओं व वार्डेन के मूल प्रमाणपत्र जमा कराए गए हैं। समिति हर मूल अंकपत्र, प्रमाणपत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि की जांच कर रही है। अध्यापिकाओं को बीएसए आफिस बुलाकर आधार कार्ड का ऑनलाइन सत्यापन किया जा रहा है। बीएसए राकेश सिंह ने उम्मीद जताई कि समिति दो दिन में रिपोर्ट तैयार कर लेगी। शिक्षक चयन में गड़बड़ी मिली तो नियुक्ति रद की जाएगी।

एसआइटी को सौंपी गई 240 अध्यापकों की सूची

जौनपुर के बेसिक शिक्षा परिषद में फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी करने वालों की लंबी फेहरिस्त है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री लगाकर शिक्षक बने 240 लोगों की सूची विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) को दो साल पूर्व सौंपी गई थी। धीमी गति से हो रही जांच व हीलाहवाली के कारण फर्जीवाड़ा में लिप्त लोगों पर कार्रवाई में विलंब हो रहा था। अनामिका शुक्ला प्रकरण उजागर होने के बाद सरकार के कड़े तेवर से जांच में तेजी आने की उम्मीद है।


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