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Coronavirus से भारतीयों की कम मृत्यु दर का कारण माइटोकांड्रिया, अध्ययन में सामने आया तथ्य

बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने अध्ययन में पाया कि भारतीयों की माइटोकांड्रियल विशिष्टता भी मृत्यु दर कम रहने का एक कारण है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 08:40 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 05:31 PM (IST)
Coronavirus से भारतीयों की कम मृत्यु दर का कारण माइटोकांड्रिया, अध्ययन में सामने आया तथ्य
Coronavirus से भारतीयों की कम मृत्यु दर का कारण माइटोकांड्रिया, अध्ययन में सामने आया तथ्य

वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। कोरोना को लेकर उच्च रिकवरी और निम्नतम मृत्यु दर बताती है कि भारत में इससे जंग जीतने वालों की संख्या यूरोपीय व अमेरिकियों से कहीं ज्यादा है। संक्रमितों की संख्या में भले ही भारत तीसरे स्थान पर हो, लेकिन मृत्यु दरमें यह शीर्ष संक्रमित 15 देशों में सबसे नीचे हैं। हाल ही में बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने अध्ययन में पाया कि भारतीयों की माइटोकांड्रियल विशिष्टता भी मृत्यु दर कम रहने का एक कारण है।

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कोशिका का पावर हाउस

कोशिका के भीतर मौजूद माइटोकांड्रिया को उसका ऊर्जागृह (पावर हाउस) कहते हैं। इसका अपहरण कर कोरोना संक्रमण दर बढ़ाता है। शोध में जहां कोरोना से कम मृत्युदर और उच्च रिकवरी है वहां के माइटोकांड्रियल डीएनए में एम हेप्लोग्रुप माइटोकांड्रिया पाया गया है। यही चीन व अन्य पूर्वी एशियाई देशों के लोगों सहित 70 फीसद भारतीयों में भी मिला है।

फ्रंटियर्स इन जेनेटिक्स में छपा शोध

एम हेप्लो ग्रुप मानव का माइटोकांड्रियल डीएनए है। शोध के मुताबिक इस प्रकार के माइटोकांड्रिया वाले लोग पश्चिमी भारत में 50 फीसद, उत्तरी-दक्षिणी भारत में 70 फीसद और जनजातियों में 90 फीसद हैं। इस शोध को अंतरराष्ट्रीय पत्रिका फ्रंटियर्स इन जेनेटिक्स में भेजा गया है।

पावर हाउस ऑफ सेल अहम कड़ी

प्रो. चौबे व अमेरिका के अलबामा विवि के प्रो. केशव सिंह के नेतृत्व में हुए एक अन्य संयुक्त शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि एसीई-2 जीन द्वारा कोशिका में प्रवेश के बाद कोरोना का अंतिम वार माइटोकांड्रिया पर ही होता है। वायरस इसके फंक्शन में हेरफेर कर अपने काम मेें ले लेता है। प्रो. चौबे ने बताया कि वायरस इन्फ्लेमेशन ( सूजन) को सक्रिय कर शरीर का जन्मजात व मौजूदा प्रतिरक्षातंत्र खत्म करने लगता है।

...तो मिल सकती निजात

यदि माइटोकांड्रिया पर होने वाला कोरोना का हमला रोक दें तो महामारी से निजात मिल सकती है। संयुक्त शोध विगत माह अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी में भी प्रकाशित हुआ। दोनों शोधों का निष्कर्ष है कि माइटोकांड्रिया कोरोना संक्रमण के पीछे मुख्य कड़ी है। अलबामा विवि के डा. जेक चेन और बिरला इंस्टीट्यूट राजस्थान के डा. प्रशांत सुरावंझाला भी शोध में शामिल थे।

आंकड़े एक नजर में

-भारत में मृत्युदर 2.9 फीसद, अमेरिका, ब्राजील, यूरोप में दस फीसद से ज्यादा है।

-भारत में 10 लाख में 15, रूस में 72, ब्राजील में 308, अमेरिका में 402 मौतें हैं।

-भारत की कोरोना वायरस संक्रमण से रिकवरी दर 42 फीसद से ज्यादा है।

- मानव शरीर में 32 खरब कोशिकायें। हर कोशिका में दो से दस माइटोकांड्रिया।


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