Mission UP 2022 : पूर्वांचल में ओमप्रकाश राजभर को चाहिए खोई जमीन, असदुद्दीन ओवैसी को नई
ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी व असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) का गठबंधन पूर्वांचल की राजनीति के लिए अगल ही मापदंड रखता है। छोटे दलों के गठबंधन का दायरा बढऩे से भाजपा को नुकसान से ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।
वाराणसी [विनोद पांडेय]। ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी व असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) का गठबंधन पूर्वांचल की राजनीति के लिए अगल ही मापदंड रखता है। जहां, प्रदेश सरकार के मंत्रीमंडल से बाहर होने पर ओमप्रकाश को खोई चुनावी जमीन चाहिए तो ओवैसी को नई। इस गठबंधन से जहां छोटे दलों को सिर्फ नफा ही नफा माना जा रहा है तो वहीं, क्षेत्रीय दल के रूप में मजबूत विपक्षी सपा व बसपा के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। छोटे दलों के गठबंधन का दायरा बढऩे से भाजपा को नुकसान से ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।
इससे मतों के बिखराव हो सकता है जिसका सीधा नुकसान क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर मजबूत नजर आ रही सपा व बसपा को होगा। उप्र के विधानसभा चुनाव 2022 में आप की इंट्री के बाद आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) ने भी चुनावी बिसात बिछा दी है। छोटे नौ दलों के गठबंधन से नए समीकरण बन रहे हैं। आगामी विस चुनाव में राजनीतिक खिलाडिय़ों के बढऩे के साथ ही भाजपा के खिलाफ खुद को मुख्य विपक्षी साबित करने की लड़ाई भी तेज हो गई है। वर्ष 2014 की लोकसभा में शुरू हुए भाजपा की जीत के सिलसिले को रोकने के लिए विपक्ष कई दांव खेल चुका है। अब तक हर दांव फेल हुआ है। विपक्ष के कद्दावर चेहरों, दलों की एकता भी नतीजे नहीं बदल सकीं। खास यह कि आगामी 2022 के विस चुनाव के मैदान में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम व विकास कार्य के साथ चुनाव मैदान में होगी। ओवैसी की पार्टी ने 2017 में यूपी विधानसभा की 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसे 0.25 फीसद मत मिले थे। सुभासपा के खाते में भी सिर्फ चार सीटें की आईं। यह तब संभव हुआ जब भाजपा के साथ गठबंधन था। शिवपाल यादव की सीट को छोड़कर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में बेअसर रही। हालांकि, ये तीन दल पूर्वांचल व पश्चिम उत्तर प्रदेश में कई सीटों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। खासकर, ओवैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर ध्रुवीकरण का रास्ता खोल सकते हैं। बिहार में जीत ने उनके हौसले और बढ़ाए हैं।
नौ दलों का भागीदारी संकल्प मोर्चा
ओमप्रकाश राजभर ने नौ दलों का संकल्प मोर्चा बनाया गया है। इसमें सुभासपा, एआइएमआइएम, जन अधिकार पार्टी, अपना दल कृष्णा पटेल, आरबीपी, बीएमपी, उदय पार्टी, वंचित समाज पार्टी, जनक्रांति पार्टी हैं। ओमप्रकाश राजभर का कहना है कि जल्द ही आम आदमी पार्टी व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी गठबंधन में होगी।
आगामी चुनाव में मिलेगी बड़ी जीत
ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि आगामी पंचायत व विधानसभा चुनाव में भागीदारी संकल्प मोर्चा को बड़ी जीत मिलेगी। जातिगत समीकरण को साधने के लिए अब तक सपा, बसपा, कांग्रेस व भाजपा जाति विशेष के नेताओं के बल पर चुनाव मैदान में होती थी लेकिन इस बदले समीकरण में एक-दो नेता ही नहीं बल्कि जातिगत विचारधारा पर राजनीतिक क्षेत्र में आई एक मुकम्मल दल की भागीदारी होगी। भाजपा के मुख्य विपक्षी के तौर पर भागीदारी संकल्प मोर्चा भाजपा को चुनावी मैदान में चुनौती देगा।