प्रवासियों की घर वापसी से गांवों में बढ़ी दूध की खपत, पराग डेयरी को लगी चपत
पशुपालकों के दूध की खपत गांवों में ही हो जा रही है। वाराणसी रामनगर स्थित पराग डेयरी में लॉकडाउन में 45 हजार लीटर दूध की आवक थी जो अनलॉक में घटकर 10 हजार लीटर ही रह गई है।
वाराणसी, [संजय यादव]। कोरोना के चलते प्रवासी कामगारों की घर वापसी ने दूध डेयरी का व्यवसाय लॉक कर दिया है। हालात यह है कि अनलॉक एक में मिठाई, चाय सहित रेस्टोरेंट खुलने के बाद भी मांग नहीं बढ़ रही। पशुपालकों से डेयरियों को दूध नहीं मिलने का कारण गांवों में आए इन प्रवासियों को माना जा रहा है। पशुपालकों के ज्यादा दूध की खपत गांवों में ही हो जा रही है। यही कारण है कि रामनगर स्थित पराग डेयरी में लॉकडाउन में 45 हजार लीटर दूध की आवक थी जो अनलॉक में घटकर 10 हजार लीटर ही रह गई है। ऐसे में नवीन दूध प्लांट बनने के बाद अधिकारियों की उम्मीद की तुलना में 50 फीसद दूध की खपत कम है। इस डेयरी की क्षमता बढ़ाने के लिए 145.69 करोड़ रुपये खर्च कर कई अत्याधुनिक मशीनें भी लगाई गईं हैैं।
मेरठ जोन में भी आपूर्ति
वाराणसी मंडल के चार जिलों में 500 समितियां पशुपालकों से दूध खरीदकर औद्योगिक नगर क्षेत्र स्थित डेयरी में पहुंचातीं हैैं। पराग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 20 हजार लीटर दूध की क्षमता बढ़ाकर चार लाख लीटर करते हुए नवीन डेयरी का निर्माण कराया। लॉकडाउन के दौरान दूध की आवक नहीं घटी। यहां से वाराणसी मंडल समेत मेरठ जोन में भी दूध भेजा जाता था। साथ ही दूध पाउडर, दही, मक्खन, घी आदि भी पराग बनाता है। वहीं, अधिकारियों के मुताबिक दूध की मांग बढऩे पर कोई दिक्कत नहीं आएगी। पराग के महाप्रबंधक एके सिंह ने बताया कि वाराणसी मंडल की समितियों से इन दिनों 10 हजार लीटर दूध मिलता है। आपूर्ति में कमी का कारण दुग्ध समितियां प्रवासियों की घर वापसी बताती हैं। आवक कम होने के बावजूद पराग के पास सात करोड़ रुपये का दूध पाउडर व अन्य उत्पाद का स्टॉक है ताकि मांग आने पर कोई परेशानी नहीं हो।
रामनगर डेयरी पर एक नजर
- 45 हजार लीटर दूध की आवक लॉकडाउन के दौरान
- 10 हजार लीटर दूध की आवक अनलॉक में
- 500 समितियों से होती हैै दूध की आपूर्ति
- 50 फीसद दूध की खपत क्षमता से कम हो रही
- 07 करोड़ रुपये के दुग्ध उत्पाद का स्टॉक उपलब्ध
- 04 लाख लीटर दूध उत्पाद की क्षमता हो गई नवीन डेयरी बनने के बाद