प्रवासियों के घर आने की राह थोड़ी मुश्किल, मुंबई और सूरत से आने वाली ट्रेनों में इस महीने जगह नहीं
कोविड-19 के बढ़ते खतरों के बीच महानगरों में अफरा तफरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। पिछले वर्ष जैसे हालात के कल्पना मात्र से पूर्वांचल के प्रवासियों में भय व्याप्त है। ऐसे में मुंबई और सूरत में कामगार लोगों के घर लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है।
वाराणसी, जेएनएन। कोविड-19 के बढ़ते खतरों के बीच महानगरों में अफरा तफरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। पिछले वर्ष जैसे हालात के कल्पना मात्र से पूर्वांचल के प्रवासियों में भय व्याप्त है। ऐसे में मुंबई और सूरत में कामगार लोगों के घर लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसका असर उक्त रूट की सभी गाडिय़ों पर दिखने लगा है। स्थिति यह है कि यात्रियों के अत्यधिक दबाव के चलते प्रमुख गाडिय़ों में पूरे अप्रैल माह तक कोई जगह नहीं बची।
गाडिय़ों की संख्या सीमित
कोरोना के कारण पहले ही ट्रेनों की संख्या कम है और उस पर जनरल कोच में भी यात्रा के लिए रिजर्वेशन अनिवार्य है। अभी चलाई जा रही किसी भी नियमित स्पेशल ट्रेन में पूरे अप्रैल महीने तक कोई जगह नहीं है। जनरल कोच में भी इस बार यात्रा के लिए रिजर्वेशन जरूरी है। इससे जितनी सीटें होंगी, उतने ही लोग यात्रा कर सकेंगे।
गाडिय़ों में वेटिंग
वेटिंग के आंकड़ों पर गौर करें तो 28 अप्रैल तक मुंबई व सूरत से आने वाली सभी प्रमुख स्पेशल ट्रेनों में लंबी वेटिंग है। महानगरी एक्सप्रेस के शयनयान श्रेणी में 64, थर्ड एसी 07, सेकेंड में 04 और 2 एस श्रेणी में 10 वेटिंग है। इसी तिथि में कामायनी और लोकमान्य तिलक टर्मिनल- मंडुआडीह सुपरफास्ट एक्सप्रेस में वेटिंग का आंकड़ा दहाई पार कर चुका है। 28 अप्रैल तक यही स्थिति बनी हुई है। इधर, सूरत से आने वाली ताप्तीगंगा एक्सप्रेस के शयनयान श्रेणी में 237, थर्ड एसी में 104, सेकेंड एसी मे 40, फस्र्ट एसी में 10 और 2एस में 100 वेटिंग है।