Move to Jagran APP

पिछले 50 सालों के आंकड़ों के अनुसार मौसम विभाग का पूर्वानुमान, पूर्वांचल में औसत से कम बारिश

मौसम विभाग ने पूर्वी उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में औसत से कम बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। साथ ही देश के अन्य हिस्सों में औसत (880 मिमी) के सापेक्ष 96 से 104 फीसद तक बारिश के आसार जताए गए हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 06:50 AM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 06:50 AM (IST)
पिछले 50 सालों के आंकड़ों के अनुसार मौसम विभाग का पूर्वानुमान, पूर्वांचल में औसत से कम बारिश
मौसम विभाग ने पूर्वी उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में औसत से कम बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है।

चंदौली, जेएनएन। पूर्वांचल के किसानों के लिए मौसम विभाग की ओर से अच्छी खबर नहीं है। यहां मानसून सीजन में जून से सितंबर माह तक औसत से कम बारिश होगी। हालांकि देश के अन्य हिस्सों में झमाझम मेघ बरसेंगे। मौसम विभाग ने पूर्वी उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में औसत से कम बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। साथ ही देश के अन्य हिस्सों में औसत (880 मिमी) के सापेक्ष 96 से 104 फीसद तक बारिश के आसार जताए गए हैं। 

loksabha election banner

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने माडल गेज (पिछले 50 साल के मौसम के आंकड़े) के आधार पर शनिवार को पूर्वानुमान जारी किया है। इसके अनुसार जून से सितंबर तक देश में 880 मिलीमीटर बारिश के आसार हैं। हालांकि चंदौली, वाराणसी समेत पूर्वांचल के जिलों में औसत से कम बारिश होगी। ऐसे में किसानों को धान की रोपाई के दौरान पानी की कमी झेलनी पड़ सकती है। धान के कटोरे में जून के पहले पखवारे में नर्सरी की तैयारी शुरू हो जाती है। किसान खेत तैयार कर धान की नर्सरी डालते हैं। वहीं जुलाई से धान की रोपाई शुरू हो जाती है। यदि समय से बारिश नहीं हुई तो किसानों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है। जिले में मानसून में बारिश का औसत 550 मिलीमीटर का है। हालांकि कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले कई वर्षों में औसत के अनुरूप बारिश नहीं हुई।  समय-समय पर हल्की बारिश होती रही। इससे किसानों को कोई खास परेशानी नहीं हुई। किसान कम अवधि व कम पानी वाली प्रजातियों की खेती करें तो दिक्कत नहीं होगी। 

कृषि वैज्ञानिक डाक्टर समीर पांडेय ने बताया कि नरेंद्र 97, नरेंद्र 118, नरेंद्र प्रजाति 100 दिनों में ही तैयार हो जाती है। दोनों प्रजातियों का उत्पादन 40 से 45 ङ्क्षक्वटल तक है। यदि जून में धान की रोपाई कर दें तो अक्टूबर में कटाई कर सकते हैं। इसके बाद दलहनी और तिलहनी फसलों की समय से बोआई कर सकते हैं। इन प्रजातियों की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कम खाद की जरूरत पडऩे से कृषि लागत भी घट जाती है। इससे किसानों को दोहरा लाभ होगा। 

बोले अधिकारी

भारत मौसम विज्ञान विभाग की ओर से जारी प्रथम चरण दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा पूर्वानुमान के अनुसार समूचे देश मे जून से सितंबर 2021 के मध्य 96 से 104 प्रतिशत तक वर्षा होने की संभावना है। हालांकि पूर्वांचल, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड में औसत से कम बारिश हो सकती है। ऐसे में किसान पहले से ही तैयार रहें। 

कृष्ण मुरारी पांडेय, मौसम विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.