Chandauli में कोयला लदे ओवरलोड ट्रकों को पास कराने में मैसेज का हो रहा खेल
चंदौली सीमा पर सक्रिय दलाल मोबाइल मैसेज के जरिए ट्रकों को पास करा रहे हैं। रोजाना करीब 600 ट्रकें जिले की सीमा में प्रवेश कर रही हैं।
चंदौली, जेएनएन। बिहार सीमा पर स्थित नौबतपुर चेकपोस्ट के जरिए कोयला लदे ओवरलोड ट्रकों के जिलेे की सीमा में प्रवेश करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। सीमा पर सक्रिय दलाल मोबाइल मैसेज के जरिए ट्रकों को पास करा रहे हैं। रोजाना करीब 600 ट्रकें जिले की सीमा में प्रवेश कर रही हैं। इससे जिला प्रशासन को रोजाना लाखों रुपये राजस्व का चूना लग रहा है।
सीमा पर दलाल हुए सक्रिय
लॉकडाउन के दौरान अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जैसे ही हाईवे पर गाडिय़ों के संचालन की अनुमति मिली सीमा पर दलाल सक्रिय हो गए। ओवरलोड कोयला लदे ट्रकों को बेरोकटोक पास करा रहे हैं। झारखंड के झरिया, रामगढ़ और पश्चिम बंगाल के रानीगंज से रोजाना करीब 500 से 600 ट्रकें सीमा में प्रवेश करते हैं। इसमें कई ट्रकें क्षमता से अधिक भार लादकर परिवहन करते हैं। सरकार ने कोयला को वन उपज की श्रेणी में रखा है। इसके चलते बगहीं स्थित वन चौकी पर 38 रुपये प्रति टन के हिसाब से प्रति ट्रक तकरीबन 1100 से 1200 रुपये वन अभिवहन शुल्क जमा करना होता है। लेकिन दलाल विभागीय कर्मियों के साथ मिलीभगत कर मैसेज के जरिए चालकों से 500 रुपये लेकर ट्रकों को पार करा देते हैं।
ऐसे होता है मैसेज का खेल
सूत्रों के अनुसार कोयला लदे ट्रकों को पास कराने के लिए मैसेज का खेल चलता है। ट्रकों को बिहार की सीमा में ही खड़ा करा दिया जाता है। देर रात इन गाडिय़ों का नंबर विभागीय कर्मी के गोपनीय फोन नंबर पर मैसेज कर दिया जाता है। रात के अंधेरे में दलाल व कर्मी ट्रकों को पास करा देते हैं। मैसेज के जरिए पास होने वाले ट्रकों को विभाग का उड़ाका दल भी नहीं रोकता है। ट्रकें बेरोकटोक चंधासी मंडी पहुंच जाते हैं।
खुद को हाकिम का खास बता झाड़ते है रौब
नाम न छापने की शर्त पर वन विभाग के कर्मी ने बताया कि एक बाहरी व्यक्ति की विभाग में खूब चलती है। वह खुद को जिले के आला अधिकारियों का खास बताकर कर्मचारियों पर रौब झाड़ता है। अफसरों के नाम पर ही वन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों से वसूली भी करता है। साथ ही अवैध तरीके से ट्रकों को पास कराने के लिए गोटी फिट करने में लगा रहता है।
भटठे के कागज पर चंधासी मंडी पहुंच रहे ट्रक
सूत्रों के अनुसार चंधासी मंडी में पहुंचने वाले ट्रक झारखंड और पश्चिम बंगाल की खदानों से भटठा सप्लाई के नाम पर कोयला की लोडिंग करते हैं। इन्हें रियायत भी मिलती है लेकिन इनमें से अधिकतर ट्रकों के पास फर्जी कागजात होता है। इससे राजस्व की क्षति होती है।