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Covid-19 संक्रमण का खतरा बरकरार, बिन दवाई फिर भी वाराणसी में ढिलाई ही ढिलाई

कोरोना से बचाव संबंधी गाइडलाइन का अनुपालन तमाम नियम व शर्तें इन दिनों केवल धार्मिक आयोजन को सीमित करने तक ही सिमट कर रह गई हैं। अब तक कोरोना की दवा नहीं बनी है बावजूद इसके बाजार से गली-मोहल्ले तक बेफिक्री का आलम है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 05:30 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 09:53 AM (IST)
Covid-19 संक्रमण का खतरा बरकरार, बिन दवाई फिर भी वाराणसी में ढिलाई ही ढिलाई
वाराणसी के बाजार से गली-मोहल्ले तक बेफिक्री का आलम है।

वाराणसी [मुहम्मद रईस]। कोरोना से बचाव संबंधी गाइडलाइन का अनुपालन, तमाम नियम व शर्तें इन दिनों केवल धार्मिक आयोजन को सीमित करने तक ही सिमट कर रह गई हैं। अब तक कोरोना की दवा नहीं बनी है बावजूद इसके बाजार से गली-मोहल्ले तक बेफिक्री का आलम है। बाजारों में हुजूम ऐसे उमड़ रहा है मानो कोरोना पूरी तरह समाप्त हो चुका है। यह लोग स्वयं कुछ भी समझने से रहे, मगर जिन्हें समझाने का जिम्मा दिया गया है, वे भी प्रभाव डालने में नाकाम हो रहे हैं।

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संक्रमण घटा, मगर खतरा नहीं

सितंबर के मुकाबले कोरोना संक्रमण के प्रतिदिन के आंकड़ों में काफी सुधार हुआ है। ठीक होने की दर तो बढ़ी ही, सक्रिय केस भी तेजी से घटे हैं। बावजूद इसके विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिसंबर में दूसरे दौर के संक्रमण को लेकर चेतावनी जारी की है, जिसे लेकर अलर्ट स्वास्थ्य महकमे ने तैयारियां भी बढ़ा दी हैं। उधर, विशेषज्ञ कहते हैं कि संक्रमण का दूसरा दौर आने ही क्यों दिया जाए। सरकार का सहयोग करते हुए लोग जागरूक होकर गाइडलाइन का शत-प्रतिशत पालन करते हैं तो इस स्थिति से आसानी से बचा जा सकता है।

एक सौ दो दिन में 496 तो 119 दिन में मिले 16079 मरीज

एक समय था जब दो-चार मरीज मिलने पर लोग सहम जाते थे। लोग जागरूक भी थे। अब जागरुकता पर बेपरवाही भारी है। इसी का नतीजा रहा कि शुरुआत के 102 दिनों में जहां केवल 496 मरीज मिले थे, वहीं अगले 119 दिन में 16079 संक्रमित मिले। इसकी मुख्य वजह लापरवाही, बिना मास्क बाहर निकलना, भीड़ में जाना और शारीरिक दूरी के नियम का पालन न रहा।

स्वास्थ्य विभाग मुस्तैदी से कोरोना से जंग में जुटा है

स्वास्थ्य विभाग मुस्तैदी से कोरोना से जंग में जुटा है। जनपदवासियों से अपील है कि नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए हरसंभव सहयोग करें, ताकि संक्रमण को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सके।

- डा. वीबी सिंह, सीएमओ।

बिना मास्क बाहर घूमने वालों का चालान किया जाएगा

बिना मास्क बाहर घूमने वालों का चालान किया जाएगा। दुकानदारों से अपील है कि स्वयं भी मास्क लगाए और अपने ग्राहकों को भी इसके लिए प्रेरित करें। जनपदवासी इस मुश्किल वक्त में प्रशासन का सहयोग करते हुए नियमों का पूरी तरह पालन करें।

- अमित पाठक, एसएसपी।

कोरोना संक्रमण बढऩे का क्रम

दिनांक       मरीज

21 मार्च      01

30 जून      496

15 जुलाई    979

31 जुलाई    2767

31 अगस्त    7790

30 सितंबर   13428

27 अक्टूबर   16575

यह भी जानें

94.17 फीसद मरीज अब तक हो चुके ठीक

4.20 फीसद हैं वर्तमान में सक्रिय मामले

1.61 फीसद है वर्तमान में कोरोना मृत्युदर

309700 सैंपल की हो चुकी है जांच

293125 सैंपल के परिणाम रहे निगेटिव

फीवर पैनल पर चल रहा कार्य

मलेरिया, डेंगू, कोरोना आदि में सामान्य लक्षण है बुखार आना। मलेरिया, डेंगू या कोविड की जरूरत के मुताबिक अलग- अलग जांच कराई जाती है। ऐसे में फीवर पैनल पर काम चल रहा है, जिसमें एक ही जांच में सभी तरह सभी बुखार की एक साथ जांच होती है। एक बार में मलेरिया, डेंगू व कोरोना की पुष्टि हो सकेगी। यह बातें प्रोजेक्ट संचार और हार्वर्ड टीएच चेन स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ-इंडिया रिसर्च सेंटर द्वारा बुधवार को आयोजित 'कोरोना काल में संक्रामक रोगों का प्रबंधन विषयक वेबिनार में आइसीएमआर की पूर्व निदेशक डा. पूनम सलोत्रा ने कहीं। बताया कि अभी यह कार्य शोध स्तर पर चल रहा है। सकारात्मक परिणाम आने पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में इससे यूपी-बिहार के लोगों को बड़ी सहूलियत होगी।

नियम पालन से टलेगा दूसरा दौर

आइसीएमआर के रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर-गोरखपुर के निदेशक डा. रजनीकांत श्रीवास्तव ने कहा कि कई रिसर्च में यह सामने आया है कि हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन, रेमडेसिवीर व प्लाज्मा थेरेपी कोरोना की रोकथाम में निष्प्रभावी साबित हुए हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि कोरोना की फिलहाल कोई दवा है ही नहीं। ऐसे में शारीरिक दूरी का पालन करने के साथ मास्क लगाने व सैनिटाइजेशन से संक्रमण के दूसरे दौर को टाला जा सकता है।

टास्क फोर्स तय करेगी गाइडलाइन

डा. रजनीकांत ने बताया कि कोरोना के इलाज में हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन, प्लाज्मा थेरेपी व रेमडेसिवीर के असर को लेकर तमाम रिसर्च का अध्ययन आइसीएमआर की नेशनल टास्क फोर्स कर रही है। पूर्ण अध्ययन के बाद ही गाइडलाइन में तब्दीली या नई पालिसी बनाने पर विचार होगा


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