राउंडटेबल कांफ्रेंस : अपने बनारस को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी हम सभी पर
वाराणसी में कानून से ज्यादा जर्जर सड़क, खराब बिजली के खंभे, ध्वस्त सीवर, अनियंत्रित यातायात, सड़कों-गलियों में छूट्टा पशु से खतरा ज्यादा है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी
बनारस में कुछ नहीं हो सकता, कोसने से बेहतर है कि शहर की समृद्धि और विकास के लिए लोग खुद अपनी जिम्मेदारी उठाएं। फिर देखिए आपके आसपास कितना कुछ बदलता है। पहल कीजिए और फिर आप बदलाव भी महसूस करेंगे। लोकतंत्र में सरकार ही नहीं लोक को भी आगे आना होगा। शहर तभी बदलेगा जब हम बदलेंगे। जिला प्रशासन व पुलिस के भरोसे नहीं रहते हुए हमें यातायात, सुरक्षा, सफाई, शिक्षा के नियमों का पालन करना चाहिए।
नदेसर स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में शनिवार को ‘माय सिटी माय प्राइड’ के राउंड टेबल कांफ्रेंस के दौरान प्रबुद्धजनों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, इकोनॉमी, इंफ्रास्ट्रक्चर और सेफ्टी जैसे पांचों पिलर पर खुलकर अपनी बातें रखीं। कहा, सिर्फ सरकारी प्रयास से ही नगर का विकास संभव नहीं होगा। हमें खुद भी पहल करनी होगी। हमें अपनी सोच बदलनी होगी।
विशेषज्ञों की राय
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व प्रोफेसर श्रद्धानंद ने कहा कि अनुशासन के बिना विकास नहीं हो सकता और इसके लिए शिक्षा प्रणाली को ठीक करना होगा। उन्होंने कहा कि आज के समय में शिक्षा को डिग्री बांटने का हथियार बना दिया गया है।श्रद्धानंद ने कहा कि शिक्षा को सिर्फ रोजगार से ही न जोड़ जाए बल्कि उसे बदलाव का भी कारण बनाया जाए। उन्होंने कहा कि शहर की कुछ चिह्नित समस्याएं है जिसका निदान मिलकर करना होगा।
वहीं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हरिप्रसाद अधिकारी को लगता है कि दंड-भय के माध्यम से ही सुधार संभव है। उन्होंने कहा कि विदेशों में नियमों के उल्लंघन पर कड़े जुर्माने का प्रावधान है और यहां भी सख्ती के माध्यम से ही लोगों को अनुशासित करना होगा। यातायात, अतिक्रमण, साफ-सफाई, इधर-उधर खोदना और बिजली चोरी जैसी समस्याएं कठोर कार्रवाई से ही बंद हो सकती है।
राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में भाग ले रहे जगतपुर पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर जयप्रकाश राय बताते हैं कि बनारस की कई बुनियादी समस्याओं का अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। वह बताते हैं कि सुबह-शाम आफिस-स्कूल टाइम में सड़कों पर गाय भैंस का जमावड़ा लगा रहता है, जिससे जाम की समस्या बनी रहती है।
उन्होंने कहा कि शहर में अभी भी जाम की समस्या बनी हुई है। राय बताते हैं कि स्किल्ड इंडिया के नाम पर योजनाओं के साथ ईमानदारी नहीं बरती जा रही है। प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है और सिर्फ प्रमाण-पत्र बंट रहा है। जिसकी वजह से जमीन पर इस योजना का फायदा नजर नहीं आ रहा है।
कॉनफ्रेंस में शहर में कानून-व्यवस्था का भी मुद्दा उठा। कैंट के एएसपी अनिल कुमार ने कहा कि पुलिस लोगों के सहयोग से ही आगे बढ़ती है और लोगों को भी शहर की सुरक्षा की दिशा में अपना दायित्व पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस को ही दोषी ठहराने से समस्याओं का समाधान नहीं होगा बल्कि लोगों को भी अपना दायित्व समझना होगा और नियमों को तोड़ने से बाज आना होगा। सभी की कोशिश से ही शहर की समस्याओं का समाधान हो पाएगा।
बीएनआई के क्षेत्रीय निदेशक आयुष नरसरिया ने भी माना कि शहर में बुनियादी सुविधाएं कम हैं, जिसे बढ़ाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बनारस ट्रेडिंग हब है और इसी आधार पर व्यवसायिक तरीके से कारोबार करना होगा। नरसरिया ने कहा कि असंगठित रूप में हो रहे कारोबार को व्यवस्थित करने की आवश्यकता है। एक दूसरे के कारोबार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि लोगों को भी इसका लाभ मिल सके।
बीएनआई के ही सचिव शाश्वत खेमका ने कहा कि शहर अल्पकालिक नहीं दीर्घकालिक व्यवस्था की आवश्यकता है। शहर को अब योजनाबद्ध ढंग से आगे लाना होगा। उन्होंने कहा कि बिजनेस के लिए नए तरीके से ट्रेनिंग की जरूरत महसूस की जा रही है। वैश्विक स्तर पर बिजनेस के तौर-तरीके बदल रहे है। ऐसे में हमें भी नए अंदाज में ही व्यापार करने पर बल देना होगा।
पेशे से अधिवक्ता दिनेश दीक्षित ने कहा कि सुरक्षा के लिहाज वाराणसी में कई कमियां हैं। उन्होंने कहा कि यहां कानून से ज्यादा जर्जर सड़क, खराब बिजली के खंभे, ध्वस्त सीवर, अनियंत्रित यातायात, सड़कों-गलियों में छूट्टा पशु से खतरा ज्यादा है। इन समस्याओं को नियोजित तरीके से ठीक करना होगा। आधे-अधूरे ढंग से कार्य होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
शहर ने जो ठाना है
- सेफ्टी के तहत शहर में पर्यटन पुलिस चौकी की स्थापना हो। काशी आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा के लिए पर्यटन पुलिस चौकी आवश्यक है।सेफ्टी के क्रम में नगर के व्यस्ततम इलाकों और प्रमुख बाजारों में सीसीटीवी कैमरे लगनी चाहिए।
- स्कूलों में एनडीआरएफ के माध्यम से आपदा से राहत व बचाव की वर्कशाप का इंतजाम किया जाए।
- बेहतर इंफ्रास्ट्राक्चर के लिए शहर के अंधेरे इलाकों में स्ट्रीट लाइट लगाई जाए।
- औद्योगिक क्षेत्र की सड़कें और संसाधन दुरुस्त हों।
- एयर जिम की स्थापना हो। लोगों को खुले हवा के साथ जिम की सुविधा मिले ताकि शुद्ध वातावरण का लाभ मिल सके।
- प्राथमिक विद्यालयों को मॉडल बनाया जाए ताकि उनकी दशा बेहतर हो और संसाधन बढ़े।
- बीमारी विशेष से जुड़े क्षेत्रों को चिह्नित कर वहां विशेषज्ञ चिकित्सकों का कैंप लगाने की आवश्यकता हैं।
- उद्योगों के लिए स्किल्ड वर्कर मुहैया कराने की दिशा में एमएसएमई की तरफ से युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाए।