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एजुकेशन में वाराणसी ने गाड़े झंडे, लेकिन रोजगार है चुनौती

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, जहां हेल्थकेयर में वाराणसी को सबसे ज्यादा 3.87 रेटिंग मिली है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 06:00 AM (IST)
एजुकेशन में वाराणसी ने गाड़े झंडे, लेकिन रोजगार है चुनौती

‘माय सिटी माय प्राइड’ महाभियान के तहत जारी लिवेबिलिटी सर्वे रिपोर्ट में वाराणसी शीर्ष पांच शहरों में जगह बनाने में कामयाब रहा है। वाराणसी स्वास्थ्य, इन्फ्रा, एजुकेशन, इकोनॉमी और सुरक्षा के आधार पर रहने योग्य शहरों में चौथे नंबर पर है। इस सर्वे रिपोर्ट में शहर का फाइनल स्कोर 3.23 रहा।

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शहर के लोग हेल्थकेयर को लेकर संतुष्ट नजर आ रहे हैं। लिहाजा हेल्थकेयर के मामले में तीसरी रैंक मिली है, जबकि शिव की नगरी काशी से लोगों को एजुकेशन के मामले में और ज्यादा की उम्मीदें हैं। वाराणसी एजुकेशन के मामले में चौथे स्थान पर काबिज है। इसी प्रकार अर्थव्यवस्था के मामले में शहर को चौथी रैंक मिली है। सेफ्टी के मामले में शहर 5वें स्थान पर रहा, जबकि इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में 8वीं रैंक मिली है।

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, जहां हेल्थकेयर में वाराणसी को सबसे ज्यादा 3.87 रेटिंग मिली है। वहीं अन्य रेटिंग्स की बात करें, तो अतिक्रमण के मामले में 3.76 की रेटिंग मिली है। बिजली सप्लाई के मामले में शहर को 3.71 और इतनी ही रेटिंग शहर को कार्य संस्कृति के मामले में भी मिली। इसके अलावा शहर में उपलब्ध स्कूलों के मामले में वाराणसी को 3.66 रेटिंग मिली है।

सार्वजनिक परिवहन सेवा में सुधार है जरूरी
शहर के लोग सार्वजनिक परिवहन की वर्तमान स्थिति से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। शहरवासियों ने सार्वजनिक परिवहन के मामले में 2.69 की कम रेटिंग दी है, जो बताता है कि शहर की सार्वजनिक परिवहन सेवा को दुरुस्त करने की जरूरत है। यहीं नहीं सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक जाम के मामले में भी शहर का स्कोर 2.73 रहा।

डॉक्टरों का अभाव
हेल्थकेयर में भले ही वाराणसी को बढ़िया रैंक मिली हो, लेकिन काशीवासी शहर के अस्पतालों में डॉक्टरों की पर्याप्त उपलब्धता, मेडिकल स्टॉफ की आवश्यकता जैसे मसलों पर पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। इस मुद्दे पर भी शहर को तीन से कम 2.73 नंबर मिले हैं।

रोजगार है चुनौती
वाराणसी में रोजगार शुरू करना भी शहरवासियों के लिए चुनौती है। सर्वे में शहर इस मोर्चे पर भी पिछड़ गया। जाहिर है कि जब तक शहर के इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार नहीं होगा, शहर में रोजगार के लिए बेहतर माहौल नहीं बनेगा।


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