अब तक 108 बार रक्तदान कर चुके हैं प्रदीप इसरानी, वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का संकल्प
विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन के अनुसार कोई भी व्यक्ति कम से कम 18 साल और अधिकतम 65 वर्ष तक ही रक्तदान कर सकता है।
इंसान जैसे-जैसे तरक्की की राह पर बढ़ता गया, जीवन से जुड़ी हर समस्याओं को जाना। इसको दूर करने के लिए नित नए आविष्कार भी किए लेकिन जीवन रूपी इस शरीर को चलाने के लिए हमें जिस रक्त की आवश्यकता पड़ती है, उसे न तो इंसान बना सकता है और न ही बना पाया है।
इसको किसी फैक्ट्री में भी नहीं बनाया जा सकता है। इसके इतर यह भी सच है कि किसी भी इंसान के अंदर रक्त की कमी को दूसरे इंसान के रक्त से ही पूरा किया जा सकता है। शहर के 53 वर्षीय प्रदीप इसरानी ने रक्तदान को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। अभी तक वे 108 बार खून दान कर चुके हैं। हालांकि ऑन रिकॉर्ड यह आंकड़ा 94 है। प्रदीप अब वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की ओर बढ़ रहे हैं।
144 का है वर्ल्ड रिकॉर्ड
फिलहाल भारत में सबसे अधिक बार रक्तदान का रिकॉर्ड 128 यूनिट है। वहीं एशिया में सबसे अधिक बार रक्तदान करने का रिकॉर्ड 132 यूनिट का है। हालांकि अभी तक विश्व रिकॉर्ड 144 बार का है। ऐसे में इस लक्ष्य को पूरा करना एक मील का पत्थर भी है। बावजूद इसके प्रदीप इसरानी ने ठाना है कि वह वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाएंगे।
अभी 12 साल तक करेंगे रक्तदान
विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन के अनुसार कोई भी व्यक्ति कम से कम 18 साल और अधिकतम 65 वर्ष तक ही रक्तदान कर सकता है। ऐसे में प्रदीप का मानना है वह अभी 12 साल तक रक्तदान करेंगे। गाइड लाइन के अनुसार रक्तदान करने में कम से कम तीन माह का अंतर रहना चाहिए। यानी एक साल में अधिकतम चार बार ही अपना खून दान कर सकता है। प्रदीप का कहना है कि वे अभी भी 48 बार रक्तदान कर सकते हैं।
हो जाएगा 156 यूनिट
अगर प्रदीप लगातार 65 साल तक रक्तदान करते रहे तो उनका यह आंकड़ा 156 तक पहुंच जाएगा। क्योंकि 12 साल में वे अधिकतम 48 बार ही और रक्तदान कर सकते हैं। वहीं अगर ऑन रिकॉर्ड की बात की जाए तो यह आंकड़ा 142 यूनिट हो जाएगा। खैर, इस उम्र में ही प्रदीप के इस जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है।
जब बेटी आती है तो ले जाते हैं ब्लड बैंक
प्रदीप की बेटी तुनिष्का बाहर रहती हैं। वह जब भी वाराणसी आती है, उसको वह ब्लड बैंक ले जाते हैं और रक्तदान करने के लिए कहते हैं। अब बेटी खुद भी पापा से रक्तदान के लिए कहती है। वह अभी तक 10 यूनिट रक्तदान कर चुकी है। इसके अलावा पत्नी नीशा असरानी सात और बेटा फेम इसरानी ने तीन बार रक्तदान किया है।
भाभी की तबीयत बिगड़ी तब जाना महत्व
प्रदीप पहले जब रक्तदान कर घर आते थे तो मां और बड़े भाई डांटते थे। एक बार भाभी की तबीयत बिगड़ गई। तब प्रदीप और उनके दोस्तों ने खून देकर उनकी जान बचाई थी। इसके बाद मां और भाई का नजरिया बदला और आज इस पुण्य कार्य में प्रदीप का पूरा परिवार सहयोग करता है।