लंबे समय बाद खुलासा : बार-बार पैसे ट्रांसफर कर पुलिस को उलझाए रखा कि सुमित जिंदा है
पुलिस को मामला उजागर करने में इसलिए देरी हुई क्योंकि जब किसी आरोपित के घर पहुंचती तो पता चलता कि उसकी हत्या हो गई और सुराग नहीं मिल पाता।
वाराणसी, जेएनएन। दो दिन पहले ट्रिपल मर्डर का उलझा केस सुलझाने वाली पुलिस इस मामले में जन प्रतिनिधियों और पुलिस के उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप पर सक्रिय हुई थी। इसके पहले वह हाथ पर हाथ धरे बैठी थी। गत वर्ष लहरतारा निवासी युवक सुमित श्रीवास्तव के लापता होने के बाद उसके भाई हिमांशु ने हत्या की आशंका जताई थी। भाई की खोजबीन के लिए वह हर अधिकारी व जनप्रतिनिधि की दर पर पहुंचा, तब पुलिस सक्रिय हुई थी। उसका आरोप था कि गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस ने भले दर्ज कर ली, लेकिन चार नवंबर को तत्कालीन एसएसपी को प्रार्थना पत्र देने के बाद कार्रवाई शुरू हुई।
वहीं आरोपितों ने सुमित के अकाउंट से बार-बार पैसे ट्रांसफर कर पुलिस को इस भ्रम में उलझाए रखा कि सुमित जिंदा है। पुलिस को मामला उजागर करने में इसलिए देरी हुई क्योंकि जब किसी आरोपित के घर पहुंचती तो पता चलता कि उसकी हत्या हो गई और पुलिस को सुराग नहीं मिल पाता। हिमांशु ने बताया कि उसका भाई सुमित कबीरचौरा अस्पताल में संविदा पर कार्यरत था। 23 अक्टूबर को सुबह नौ बजे ड्यूटी करने गया, लेकिन शाम तक वापस नहीं आया। काफी तलाशने के बाद भी पता नहीं चला तो 24 अक्टूबर को मंडुआडीह थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया।
चार नवंबर को एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर मामले की जांच सीबीसीआइडी व क्राइम ब्रांच से करवाने का आग्रह किया गया तो मंडुआडीह पुलिस सक्रिय हुई और मामले की पड़ताल शुरू की। एक्सिस बैंक से मिले साढ़े पांच लाख रुपये के लोन में से जब सुमित के खाते से करीब 40 हजार रुपये रोहनिया थाना क्षेत्र के राजातालाब निवासी बृजेश के खाते में पहुंचा तो पुलिस ने उसके घर पर छापा मारा। इसके बाद बृजेश का शव नौ नवंबर को मिला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मालूम हुआ कि उसकी भी हत्या कर दी गई।
27 अक्टूबर से उसका मोबाइल बीच-बीच में पांच-दस मिनट के लिए चालू हो रहा था और कुछ समय बाद बंद हो जाता था। उनके बैंक खाते से लोन के पास हुए पांच लाख रुपये भी निकाले जा चुके थे, तभी से घरवालों को ये डर सता रहा था कि सुमित की कहीं हत्या न कर दी गई हो। बाद में यह आशंका सच साबित हुई। बीच-बीच में पुलिस ने भी सक्रियता नहीं दिखाई जिस कारण उसे मामला उजागर करने में आठ माह से अधिक लग गए। वह हर बड़े अधिकारी व जनप्रतिनिधियों के पास पहुंचा तब जाकर न्याय मिला। (कल पढ़ें क्यों व कैसे हुई राजू की हत्या)