वाराणसी में चल रही सेना भर्ती में टैटू गोदवाने वाले हुए बाहर
पिछली कई भर्तियों में देखा गया कि सेना भर्ती रैली में शामिल होने वाले कुछ उम्मीदवार एड्स के मरीज पाए गए, जिन्होंने अपने शरीर में टैटू गोदवा रखे थे।
वाराणसी (जागरण संवाददाता)। इन दिनों वाराणसी के छावनी क्षेत्र में सेना भर्ती चल रही है। इस दौरान कई ऐसे अभ्यर्थी भी भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए जिन्होंने टैटू गोदवाया था। इसकी वजह है कि सेना भर्ती रैली से पहले फौज ने टैटू (गोदना) के पैमाने को लेकर उम्मीदवारों को खास हिदायत दी है। इसके मुताबिक अगर किसी उम्मीदवार के बाजू के निचले हिस्से के अलावा शरीर के दूसरे अंग पर टैटू पाया जाता है तो उसे रैली के लिए अयोग्य माना जाएगा।
सेना मुख्यालय के निर्देशों के मुताबिक भर्ती रैली के लिए उस उम्मीदवार को अयोग्य मानेंगे, जिसने बाजू के निचले हिस्से (कलाई और कोहनी के बीच का भाग) के अलावा अन्य अंग पर किसी नाम, प्रतीक या धार्मिक चिह्न का टैटू गोदवाया हो। अगर किसी उम्मीदवार ने अपने बाजू के निचले हिस्से भर में टैटू गोदवाया है तो उसे सेना भर्ती रैली में भाग लेने के योग्य माना जाएगा।
बताते हैं कि पिछली कई भर्तियों में देखा गया कि सेना भर्ती रैली में शामिल होने वाले कुछ उम्मीदवार एड्स के मरीज पाए गए, जिन्होंने अपने शरीर में टैटू गोदवा रखे थे। इसे देखते हुए भर्ती रैली के लिए टैटू के संबंध में पैमाना तय किया गया है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा देखा गया है कि एक ही सुई चुभोकर कई लोगों को टैटू गोदा जाता है। इससे एड्स जैसी घातक बीमारी फैलने का खतरा रहता है।
दूसरे, इन क्षेत्रों में टैटू बनाने वाले लोग न तो प्रशिक्षित होते हैं, न ही उनके औजार सुरक्षित होते हैं। बताया यह भी जाता है कि वर्ष 1988 तक टैटू को लेकर सेना भर्ती में थोड़ी छूट जरूर थी लेकिन वक्त बीतने के साथ सख्ती बढ़ी। हथेली से ऊपर व हाथ की कोहनी के नीचे टैटू मान्य तो है लेकिन सिर्फ नाम या कोई धार्मिक पहचान ही शरीर के अन्य किसी हिस्से पर किसी भी प्रकार का टैटू सेना भर्ती में अमान्य है।
स्वास्थ्य की बात करें तो कुछ युवा टैटू खोदवा देते हैं या सर्जरी करवा देते हैं जिससे गंभीर जख्म हो जाता है। यदि वह जख्म सही हो गया तो सही वरना स्वास्थ्य की गंभीर समस्या हो सकती है। इसलिए ऐसे अभ्यर्थियों को अनफिट माना जाता है। अनुशासन के रूप में सेना की हरी वर्दी हाफ होती है।
ऐसे में बाजू पर आकर्षित करने वाला टैटू वरिष्ठ अधिकारियों को सम्मान के तौर पर सैल्यूट के दौरान दिखाई देता है तो अफसरों का भी ध्यान बंट जाता है। ऐसे कार्य सेना में अनुशासन के खिलाफ माने जाते हैं। हां, यह जरूर है कि आदिवासी क्षेत्र में युवकों को कुछ हद तक छूट दी गई है क्योंकि वे परंपरा के अनुसार अपने कुल देवता या गांव का नाम गुदवाते हैं। ऐसे में उनको मुख्यधारा में आने से रोका नहीं जा सकता। इसलिए कुछ हद तक उनको छूट दी जाती है। बनारस में अब तक एक दर्जन युवा अभ्यर्थी टैटू के कारण भर्ती से बाहर हो गए हैं।
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सेना भर्ती कार्यालय के निदेशक कर्नल मनीष धवन कहते हैं, सरकार के निर्देश के साथ ही अनुशासन व स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सेना में आकर्षित करने वाले टैटू पर पाबंदी है। इसका पालन सेना भर्ती में किया जा रहा है।
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