आम की मिठास संग सज रही इफ्तार की थाली
रोजेदारों की इफ्तारी की थाली में वैसे तो तरह-तरह के पकवान होते हैं मगर फलों के राजा आम की तो बात ही और है।
मुहम्मद रईस, वाराणसी : रोजेदारों की इफ्तारी की थाली में वैसे तो तरह-तरह के पकवानों की अपनी अलग अहमियत व जरूरत होती है। फलों का राजा कहलाने वाला आम भी इसमें विशेष रूप से शामिल हो गया है। हालांकि अभी प्रदेश में आम पकने के सीजन में कुछ दिन बाकी हैं, लेकिन रोजेदारों की विशेष मांग पर देश के विभिन्न क्षेत्रों से आम मंगाए जा रहे हैं। बनारस में आम का रोजाना का कारोबार लगभग 15 से 20 लाख रुपये का है। पहडि़या मंडी के दुकानदार राजकुमार कंवर के मुताबिक मद्रास से जहां गुलाबखश, संतन, बैगन फल्ली, तोतापरी मंगाया जा रहा है, वहीं पश्चिम बंगाल व उड़ीसा लंगड़ा आम बनारस की मंडियों में पहुंच रहा है। मंडी में तोतापरी 20 से 25 रुपये प्रतिकिलो के थोक भाव से बिक रहा है, वहीं गुलाब खश, संतन, बैगन फल्ली 25 से 30 रुपये प्रतिकिलो की दर से बिक रहे हैं, जबकि लंगड़ा 40 से 45 रुपये प्रतिकिलो तक है। 11 दिनों की खत्म तरावीह मुकम्मल, मांगी गई दुआ
कई मस्जिदों में सोमवार को 11 दिन की खत्म तरावीह मुकम्मल हुई। खजूर वाली मस्जिद-नई सड़क में जहां हाफिज अमानुल्लाह ने, वहीं मस्जिद मिठाई खेत-जलालीपुरा में मौलाना हबीबुर्रहमान मजहरी ने खत्म तरावीह मुकम्मल कराई। वहीं मस्जिद सराय हड़हा, मस्जिद दायम खां-अर्दली बाजार, बीच वाली मस्जिद कचहरी, मस्जिद हाजी रमजान हाशमी आदि में भी सोमवार को खत्म तरावीह मुकम्मल हुई। इसके बाद मुल्क की सलामती, अमनो-आमान व कारोबार के लिए दुआख्वानी की हुई। नमाजियों ने गुलपोशी कर हाफिज-ए-कुरआन का खैरमकदम किया। इबादतों के साथ दिल की सफाई भी जरुरी
रमजान का महीना रहमतो-मगफिरत और अल्लाह की रजामंदी हासिल करने का महीना है। इसके लिए जहां एक तरफ नमाज-रोजा और दूसरी इबादतें जरूरी हैं, वहीं ये भी जरूरी है कि हम अल्लाह के बंदों पर रहम करें, उन्हें माफ करें और इबादतों में मशगूल रहें। अल्लाह के बंदों से ताल्लुकात बिगाड़कर भला अल्लाह से हम अपने ताल्लुकात को किस तरह अच्छा रख सकते हैं। आमाल की जाहिरी सूरत को अच्छा करने के साथ-साथ ये भी जरूरी है कि हम अपने दिल की सफाई को अहमियत दें। अगर दिल के अंदर कीना-कपट, हसद दुश्मनी जैसी बीमारियां हैं, तो इस बात का डर है कि हमारे नेक आमाल अल्लाह के नजदीक कुबूलियत से सरफराज न हों, और हमारी मेहनत जाया हो जाए। खुदा की इबादतों से ज्यादा बंदों के हकूक की अदायगी जरूरी है, क्योंकि अल्लाह अपने हकूक की कमी को माफ फरमा देता है, लेकिन बंदों के हकूक अल्लाह उस वक्त तक माफ नहीं करता, जब तक कि जिसका हक जाया हुआ है वो न माफ कर दे।
-मौलाना हसीन हबीबी, सेक्रेटरी-मुफ्ती बोर्ड बनारस ----------
शरीर में न होने दें पानी की कमी
गर्मिया हमारे शरीर को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। जामिआ हास्पिटल के एमएस डा. शफीक हैदर बताते हैं, इस मौसम में बाहरी तापमान बढ़ने से हमारे शरीर का ताप भी बढ़ जाता है, जिससे शरीर डि-हाइड्रेड हो जाता है यानि पानी की कमी होने लगती है। इसलिए हमें ऐसा खान-पान रखना चाहिए, जो शरीर को ठंडा रखे। गर्मियों में हमारा पाचन-तंत्र भी कमजोर पड़ जाता है, इसलिए जरूरी है कि ताजा और हल्का भोजन किया जाए। बढ़ता तापमान संक्रमण का भी खतरा बढ़ा देता है, इसलिए इस मौसम में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। इस मौसम में दही और मट्ठा पीएं क्योंकि इसमें पर्याप्त मात्रा पोटैशियम और सोडियम होता है जो शरीर को डि-हाइड्रेड होने से बचाता है। गर्मियों में फलों का सेवन भी लाभकारी है।