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Make Small Strong : होटल में कमरों की Booking बंद तो लो कास्ट विवाह ने संभाली व्यवस्था

शिवाला स्थित होटल ग्रैंड शिवाय के प्रमुख डा. अजय चौरसिया ने बैैठे-बैठे एक तरकीब निकाली। यह तरकीब थीे लो कास्ट विवाह पैकेज यानि कि गरीबों की शादियां भी हो जाए और व्यापार भी जीवंत हो उठे। पर्यटक विशेष वाले होटल आज भी ग्राहक के बगैर संचालित हो रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 12:36 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 09:12 AM (IST)
Make Small Strong : होटल में कमरों की Booking बंद तो लो कास्ट विवाह ने संभाली व्यवस्था
वाराणसी, सोनारपुरा-शिवाला रोड स्थित होटल शिवाय ग्रैंड।

वाराणसी, जेएनएन। मार्च के महीने में कोरोना का संकमण जब शहर में प्रवेश कर रहा था, तभी पर्यटक बनारस छोड़ अपने देश निकल रहे थे। होटल धीरे-धीरे खाली हो रहे थे और तभी तालाबंदी का एलान हुआ। अब होटल के बचे-खुचे कमरों पर भी अनिश्चित कालीन ताले लटक गऐ। अगले दो-तीन माह की एडवांस बुकिंग रद हो गईं, जिसमें बीस लाख रुपये का भारी नुकसान उठाना पड़ा।

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हर वो व्यक्ति, जो इस क्राइसिस का सामना कर रहा था, यदि उनके घर में शादी पड़ जाए तो वह बिलकुल हताश हो जाते थे। लाकडाउन खुलने के बाद भी जब होटल को ग्राहक नहीं मिले, तो शिवाला स्थित होटल ग्रैंड शिवाय के प्रमुख डा. अजय चौरसिया ने बैैठे-बैठे एक तरकीब निकाली। यह तरकीब थीे लो कास्ट विवाह पैकेज यानि कि गरीबों की शादियां भी हो जाए और व्यापार भी जीवंत हो उठे। अमूमन, जो शादियां आठ से दस लाख में होती थीं, वह सब बंद होने लगीं। बरात के स्वागत से लेकर विदाई समेत दुल्हा-दुल्हन के कमरे, लाउंज, हाल, जयमाला, फूल-हार, खाने व टेंट सब कुछ को एक फुल पैकेज में समाहित कर दिया गया। उसके बाद से होटल तो आज भी अशत: खाली है, मगर व्यापार अब एक अलग मोड़ ले चुका है। डा. अजय चौरसिया बताते हैं कि लाकडाउन की घोषणा होते ही विदेशी यात्रियों के वीजा स्वत: रद हो गए और बनारस के तमाम उत्सव व पार्टियां सब कुछ देखते ही देखते खत्म हो गईं। इन दिनों सहयोग की जब आशा थी तो उस समय दो से तीन माह तो टैक्स व बिजली का बिल भी देना पड़ा। जुलाई में जब होटल खुले, तो भी लोग सेवा लेने से कतरा रहे हैं, मगर शादियों ने काफी हद तक व्यापार के नब्ज को पहचाना।

पर्यटक पर आधारित होटलों का हुआ नुकसान

डा. चौरसिया के अनुसार बनारस में तीन प्रकार के होटल चलते हैं जिसमें एक रोगियों वाले जो बीएचयू के आसपास हैं, वहीं दूसरे कारपोरेट जो कि कैंटोनमेंट क्षेत्र में आते हैं और तीसरा प्रकार के वे होटल हैं, जो पर्यटकों से चलते हैं। अनलाक में अन्य दो प्रकार के होटलों की व्यवस्था तो पटरी पर लौट आई, मगर पर्यटक विशेष वाले होटल आज भी ग्राहक के बगैर संचालित हो रहे हैं।

दशहरा से देव दीपावली तक बनारस होता था गुलजार

होटल शिवाय ग्रैंड पूरी तरह से पर्यटकों पर आधारित था, जिसको अन्य से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। बीच-बीच में छात्रों की परीक्षाओं में होटल जरूर बुक हुए मगर वे सब नाकाफी थे। आम तौर पर दशहरा से लेकर देव दीपावली तक बनारस गुलजार रहने वाला शहर है। इन दिनों घरेलू और विदेशी दोनों प्रकार पर्यटकों की अच्छी खासी संख्या रहती है, मगर इस साल स्थिति बेहद दयनीय है।

बदल गया व्यापार करने का तरीका

लाकडाउन जब शुरू हुआ तो काम न होने पर सभी होटल स्टाफ और शेफ अपने घरों को लौट गए। चारों ओर बदहवासी और भूख से लोग कराह उठे थे। यह देख डा. चौरसिया ने अपने कुछ स्टाफ के साथ लोगों की मदद करने सड़क पर भी उतरे। उस दौरान उन्हें लगा कि व्यापार ठप होना कितना दर्दनाक होता है। शादियों के लिए जब अनुमति मिलने लगी तो लोगों के पास इतना धन नहीं बचा था कि बेटी का विवाह समाराहपूर्वक किया जा सके। इस दौरान डा. चौरसिया ने लो कास्ट शादी के पैकेज का आफर शुरू किया और लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से आकर्षित किया गया। इतनी कम राशि में जब बेहद सम्मान के साथ विवाह संपन्न होने लगे तो बुङ्क्षकग की झड़ी सह लग गई। आज भी कमरे खाली हैं, मगर व्यापार करने का तरीका और सोच बदल चुकी है। यह व्यापार अब सीेधे सामाजिक न्याय के सिद्धांत से जुड़ चुका है।

अनर्गल खर्च बंद कर की शादियों की कास्ट कटिंग

डा. अजय बताते हैं कि शादियों में जो भी अनर्गल खर्च थें, उन्हें बंद कर कास्ट कटिंग की गई। जरूरत के अनुसार ही शादी में सेवाएं मुहैया कराईं गईं, वह भी बिना किसी कमी के। कोरोना से बचाव के लिए रेस्टोरेंट से लेकर रूम तक साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके साथ ही टेंपरेचर मापने और सैनिटाइजेशन की मशीन को होटल के मुख्य द्वार पर पूरी तरह से मुस्तैद किया गया कि कोई व्यक्ति गलती से भी संक्रमित न होने पाए। इसके अलावा महामारी के मद्देनजर सरकार की सभी गाइडलाइन का पालन कराया जाता है।


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