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Make In India : बिना जोड़ का बनेगा एक किलोमीटर लंबा धागा, अगस्त से शुरू होगा उत्पादन

चाइनीज सिल्क को मात देने की जमीन कालीन नगरी में तैयार हो रही है। भदोही में करीब पांच करोड़ की लागत से मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत सिल्क की हाईटेक फैक्ट्री तैयार हो रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 09:41 AM (IST)
Make In India : बिना जोड़ का बनेगा एक किलोमीटर लंबा धागा, अगस्त से शुरू होगा उत्पादन
Make In India : बिना जोड़ का बनेगा एक किलोमीटर लंबा धागा, अगस्त से शुरू होगा उत्पादन

भदोही [संग्राम सिंह]। चाइनीज सिल्क को मात देने की जमीन कालीन नगरी में तैयार हो रही है। भदोही में करीब पांच करोड़ की लागत से मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत सिल्क की हाईटेक फैक्ट्री तैयार हो रही है। 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। मशीनें इंस्टाल की जा चुकी हैं। अगस्त से उत्पादन शुरू करने की तैयारी है। यहां अब एक किलोमीटर लंबा धागा बनाया जा सकेगा, उसमें कोई जोड़ या कट नहीं रहेगा। अब बिना जोड़ वाले धागे से बनी हुई कालीन और अधिक आकर्षक होगी।

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अभी तक भदोही, मीरजापुर और वाराणसी के करीब 600 कालीन निर्यातक चाइनीज या फिर कर्नाटक और तमिलनाडु के सिल्क के धागे का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें हर 300 मीटर पर एक कट होता है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित होती है। कई कालीन निर्यातक इसकी शिकायत भी दर्ज करा चुके हैं। छह महीने पहले रेशम विभाग ने बेजोड़ धागा उत्पादन करने वाली पूर्वांचल की पहली सिल्क फैक्ट्री स्थापित करने की सहमति दी है। जिले के मर्यादपट्टी में निजी कंपनी विनायक सिल्क इंडस्ट्री हर महीने सात टन धागा और तीन टन लेखा उत्पादन करेगी, उसकी देश भर में आपूर्ति की जा सकेगी। विनायक सिल्क इंडस्ट्री के संचालक विनीत राय ने बताया कि बिना किसी जोड़ एक किलोमीटर लंबा धागा बनाने वाली स्क्रीङ्क्षनग मशीन कोयंबटूर से मंगाई गई है।

पूर्वांचल में रेशम के धागे की खपत

कालीन बनाने में चार तरह के सिल्क इस्तेमाल किये जाते हैं, इसमें गोल्ड, मलबरी, मूंगाटसक व ऐरी। चाइना की कंपनियां सिर्फ मलबरी ही आपूर्ति करती हैं। 70 प्रतिशत कारोबार इसी का है, प्रति माह कुल धागे की खपत पूर्वांचल में करीब पांच टन है। चूंकि चाइनीज सिल्क से बने धागे की डिमांड पांच फीसद पर सिमट गई है, इसलिये कालीन बनाने में तमिलनाडु और कनार्टक का सिल्क इस्तेमाल किया जा रहा है। कालीन में पांच फीसद सिल्क प्रयोग किया जाता है। इस फैक्ट्री में 500 लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

सस्ता होगा धागा

चूंकि अभी कालीन मेें इस्तेमाल होने वाला धागा देश के दूसरे प्रांत और चीन से आता है, इसलिये वह महंगा है। लेकिन अब अगर यह जिले में बनेगा तो लागत कम होगी, साथ ही धागा 1 से 15 प्रतिशत तक सस्ता मिलेगा।


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