सोनभद्र में अनुदेशक ने तैयार किए विद्यालय में पांच अनोखे पौधे, जड़ में आलू तो तने में बैगन अौर टमाटर के फल
प्राथमिक विद्यालय के अनुदेशक ने ऐसा प्रयोग किया कि एक ही फसल में तीन-तीन सब्जियां उगा दी।
सोनभद्र [सुजीत शुक्ला]। एक तरफ प्राथमिक विद्यालय, दूसरी तरफ उच्च प्राथमिक विद्यालय का परिसर। इस बीच में जगह तो है लेकिन काफी हिस्सा बच्चों के खेलकूद व अन्य गतिविधियों के लिए छोड़ा गया है। अब अधिकारियों का निर्देश है कि किचन गार्डेन भी इसी परिसर में बनाना है। उसमें तैयार होने वाली सब्जियां एमडीएम में इस्तेमाल की जाएंगी। ऐसी स्थिति में कम जगह में हर सब्जी उगा पाना संभव नहीं था तो प्राथमिक विद्यालय के अनुदेशक ने ऐसा प्रयोग किया कि एक ही फसल में तीन-तीन सब्जियां उगा दी। हालांकि अभी यह प्रयोग के तौर पर किया गया है। इस साल अगर प्रयोग सफल रहा तो अगले साल से इसका रकबा बढ़ाने का भी विचार है।
जी हां, अब आप सोच रहे होंगे कि यह केसे हुआ। एक पौधे में तीन-तीन सब्जियां उगाई हैं। तो आइए आपको लेकर चलते हैं राबट्र्सगंज ब्लाक के उच्च प्राथमिक विद्यालय कुसी डौर। वहां 35 बच्चे पंजीकृत हैं। यहीं पर अनुदेशक के तौर पर तैनात हैं शशि प्रकाश सिंह। शशि प्रकाश सिंह कृषि के छात्र रहे, उसी विषय से इनका चयन अनुदेशक के पद पर हुआ। तो इनके मन में बच्चों को कृषि के प्रति जागरूकत करने, कुछ नया सिखाने का विचार था। फिर क्या उन्होंने ग्राफटिंग सिस्टम से आलू के तने को बैगन और टमाटर के तने से जोड़ा। उसमें उर्वरक डाला, पानी डाला और नियमित देखभाल की तो तीनों सब्जियां एक साथ तैयार हो रही हैं। करीब 400 वर्गफूट के इस परिसर में वैसे तो बैगन अलग लगे हैं, टमाटर अलग है। लेकिन पांच पौधे ऐसे भी हैं जिनमें ग्राफटिंग की गई है। ग्राफटिंग किए करीब एक महीने से अधिक का समय हो गया। अब बैगन और टमाटर की सब्जियां निकल भी रहीं है। आलू भी नीचे बैठ रही है। कहते हैं यह तो महज एक प्रयोग है। अगले साल से इसका रकबा बढ़ाने की कोशिश होगी। प्रयास होगा कि एमडीएम के लिए ताजी सब्जी स्कूल में ही तैयार हो। वह भी हर तरह की।
कुछ अलग करने का बनाया विचार
शशि प्रकाश ङ्क्षसह कहते हैं कि हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति में कृषि की अहम भूमिका है। ज्यादातर विद्यालयीय परिवेश में भी कृषि आच्छादित है। विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चे भी प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़े हैं। ऐसे में ये आवश्यक है उनमें कृषि के प्रति रूचि पैदा हो सके। कृषि के आधुनिक तरीकों को उनमें समझ विकसित हो सके। कृषि क्षेत्रों में हो रही प्रगति को जान व समझ सकें। हर विद्यालय में एक कृषि प्रयोगशाला का होना जरूरी है जहां वो नए प्रयोग करके अपनी समझ को और परिपक्व बना सके। इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखकर इस तरह का प्रयोग किया गया। एक ही पौधे में दो फल देखकर उनमें जिज्ञासा बढ़ी। उन्होने कृषि विषय में काफी रूचि लेना शुरू कर दिया। मूल रूप से करके सीखने की प्रवित्ति बढ़ी। दो पौधों को एक साथ जोडऩे और उनमें सफलतापूर्वक फल आने के बाद इस प्रयोग को तीन पौधों के साथ जिसमें आलू, टमाटर और बैगन से जोड़ा।
अधिकारियों की नजर में कैसा है प्रयोग
अगर किसी अनुदेशक ने इस तरह का प्रयोग किया है तो वह सराहनीय है। उसने यह प्रयोग के तौर पर किया है तो मैं उम्मीद करता हूं कि सफल प्रयोग होगा। हालांकि इस कार्य में अधिक श्रम की जरूरत होती है। क्योंकि ग्राफटिंग के लिए कैसे तने की कटिंग करनी है और कैसे जोडऩा है यह जानना जरूरी होता है। वैसे इसमें तैयार होने वाली सब्जी स्वास्थ्य के लिहाज से कहीं से खराब नहीं है। - पीयूष राय, जिला कृषि अधिकारी।