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महर्षि वाल्मीकि जयंती : अखंड रामायण पाठ का शुभारंभ, प्राचीन महर्षि वाल्मीकि शिव मंदिर में दर्शन पूजन

धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने आदिकाव्य रामायण की रचना कर लोगों को सत्य एवं कर्तव्य परायणता पर चलने का मार्ग दिखाया है। भगवान श्रीराम की गाथा को देश-दुनिया में पहुंचाने का श्रेय महर्षि वाल्मीकि को जाता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 01:07 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 01:10 PM (IST)
महर्षि वाल्मीकि जयंती : अखंड रामायण पाठ का शुभारंभ, प्राचीन महर्षि वाल्मीकि शिव मंदिर में दर्शन पूजन
भगवान श्रीराम की गाथा को देश-दुनिया में पहुंचाने का श्रेय महर्षि वाल्मीकि को जाता है।

वाराणसी, जेएनएन। मंत्री नीलकंठ तिवारी में प्राचीन महर्षि वाल्मीकि शिव मंदिर में श्‍ानिवार को संकल्प पूजन-अर्चन कर अखंड रामायण पाठ का शुभारंभ किया। इस दौरान धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने आदिकाव्य रामायण की रचना कर लोगों को सत्य एवं कर्तव्य परायणता पर चलने का मार्ग दिखाया है। भगवान श्रीराम की गाथा को देश-दुनिया में पहुंचाने का श्रेय महर्षि वाल्मीकि को जाता है।

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उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति, धर्मार्थ कार्य एवं प्रोटोकॉल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. नीलकंठ तिवारी ने महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर शनिवार को आदि प्राचीन महर्षि वाल्मीकि शिव मंदिर पंचकोशी मार्ग बीएचयू करौंदी में विधिवत संकल्प पूजन-अर्चन कर अखंड रामायण पाठ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महाकाव्य रामायण के रचयिता की जयन्ती श्रद्धा एवं हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है।

महर्षि वाल्मीकि ने आदिकाव्य रामायण की रचना कर लोगों को सत्य एवं कर्तव्य परायणता पर चलने का मार्ग दिखाया। भगवान श्रीराम की गाथा को देश-दुनिया में पहुंचाने का श्रेय महर्षि वाल्मीकि को जाता है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जीवन हम सभी को त्याग, मर्यादाओं के पालन और कर्तव्य परायणता की सीख देता है। भगवान श्री राम से हमें सदैव धर्म का अनुसरण करते हुए जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। उनके द्वारा दी गई शिक्षा और आदर्शों को अपनाकर प्रगतिशील एवं समरसतायुक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है।

बताया कि प्रदेश सरकार ने इस वर्ष 31 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती के पावन दिवस को भव्य रूप से मनाए जाने का निर्णय लिया है। वाल्मीकि रामायण में निहित मानव मूल्यों, सामाजिक मूल्यों व राष्ट्र मूल्यों के व्यापक प्रचार प्रसार व जनमानस को जोड़ने के लिए अनेकों स्थानों पर वाल्मीकि रामायण का पाठ कराया गया। इसके अतिरिक्त मार्कण्डेय महादेव, कैथी, शूल टंकेश्वर, नकटेश्वरी भवानी, ज्वर हरेश्वर महादेव, नरसिंह मठ, संकुलधारा मठ में भी पर्यटन विभाग द्वारा वाल्मीकि रामायण का पाठ कराया गया।

वाल्मीकि जयंती पर शास्त्रार्थ महाविद्यालय में हुआ रामायण पाठ

आदिकवि महर्षि वाल्मीकि के रामायण महाकाव्य के श्लोक का अनुसरण करते हुए शनिवार को उनकी जयंती के अवसर पर जहां पूरे प्रदेश में रामायण का पाठ हो रहा था वहीं काशी के विप्र समाज ने संस्कृत के बटुकों व विद्वानों के साथ संस्कृत भाषा में रचित सुन्दरकाण्ड का पाठ किया। संयोजक आचार्य पवन शुक्ला ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व संस्कृति विभाग के राज्यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी के आवाह्न पर काशी के विप्र समाज ने डा. राघव शरण मिश्र के आचार्यत्व में 11 संस्कृत बटुकों व काशी के विद्वानों के साथ दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय परिसर में स्थापित मंदिर में प्रात: 11 बजे से सुन्दरकाण्ड के संस्कृत श्लोकों का पाठ किया।

श्रीमद् वाल्मीकि रामायण भारत का एक महाकाव्य है जिसके माध्यम से महर्षि वाल्मीकि ने समाज को एक नयी दिशा प्रदान करने का प्रयास किया है। आज संस्कृत भाषा का महत्व भी वाल्मीकि के रामायण से मिलता है। एक कविता के रूप में इसे श्लोकबद्ध किया गया है। जिसको पढने से स्वयं का आत्मबोध भी होता है। प्रारम्भ में पूजन के उपरान्त मंगलाचरण का पाठ हुआ तदुपरांत पाठ प्रारम्भ किया गया। पाठ कार्यक्रम में शास्त्रार्थ महाविद्यालय के प्राचार्य डा. गणेश दत्त शास्त्री, आचार्य चूड़ामणि तिवारी, आचार्य विकास दीक्षित, डा. अशोक पाण्डेय, उदित मिश्र, अंकित द्विवेदी, अमन शास्त्री आदि विद्वान उपस्थित थे।


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