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श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन पर महंत डा. कुलपति तिवारी ने लगाया अन्याय का आरोप

महंत डा. कुलपति तिवारी ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन पर अन्याय का आरोप लगाते हुए गणतंत्र दिवस पर सपत्नीक अनशन पर बैठने की घोषणा की है। उन्होंने परिस्थितियों को विकट करार देते हुए मंदिर से जुड़ी लोक परंपराओं के निर्वाह को यथावत जारी रखने में असमर्थता जताई है।

By Abhishek sharmaEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 02:56 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 04:44 PM (IST)
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन पर महंत डा. कुलपति तिवारी ने लगाया अन्याय का आरोप
मंदिर प्रशासन पर अन्याय का आरोप लगाते हुए गणतंत्र दिवस पर सपत्नीक अनशन पर बैठने की घोषणा की है।

वाराणसी, जेएनएन। महंत डा. कुलपति तिवारी ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन पर अन्याय का आरोप लगाते हुए गणतंत्र दिवस पर सपत्नीक अनशन पर बैठने की घोषणा की है। उन्होंने परिस्थितियों को विकट करार देते हुए मंदिर से जुड़ी लोक परंपराओं के निर्वाह को यथावत जारी रखने में असमर्थता जताई है। कहा है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता अनशन जारी रहेगा।

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डा. कुलपति तिवारी ने बताया कि श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी लोक परंपराओं के निर्वाह के लिए महंत परिवार 350 वर्ष से भी अधिक समय से कृत संकल्प है। मंदिर अधिग्रहण के बाद भी महंत परिवार लोक परंपराओं के पालन के लिए पूर्ण रूप से समर्पित रहा है। काशी विश्वनाथ धाम निर्माण के लिए महंत परिवार ने अपने पैतृक आवास और मंदिरों को भी सहर्ष कारिडोर के लिए छोड़ दिया।

उन्होंने कहा कि पिछले साल 22 जनवरी को उनके पैतृक आवास का एक हिस्सा अचानक गिर जाने से बहुत सारा सामान मलबे में दब गया। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की लोक परंपराओं के निर्वाह में भिन्न-भिन्न धार्मिक अवसरों पर पूजी जाने वाली बाबा विश्वनाथ की कई रजत मूर्तियों के साथ प्रयुक्त होने वाला चांदी का सिंहासन और चांदी का तामझाम भी उसी मलबे में दब गया। बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती सहित कई प्राचीन रजत मूर्तियां बाल-बाल बच गई थीं।

उनके महत्व और सुरक्षा की दृष्टि से विश्वनाथ मंदिर प्रबंधन ने उन मूर्तियों को मंदिर के एक कक्ष में रखवाया। ताला लगा कर तीन चाबियां तीन पक्षों के पास थीं। एक चाबी उनके पास, दूसरी प्रबंधन के पास और तीसरी चाबी उनके चचेरे भाई के पास थी। टेढ़ीनीम स्थित नए भवन में परिवार के साथ व्यवस्थित होने के बाद जब उन्होंने रजत मूर्तियों की मांग की तो पता चला उनमें से कई प्रतिमाएं बिना मेरी जानकारी के मंदिर प्रबंधन ने उनके छोटे भाई को सौंप दी। दीपावली के उपरांत अन्नकूट पर्व पर बाबा की खंडित रजत प्रतिमा को पूजने के लिए उन पर दबाव बनाया गया। पैतृक आवास के आधे-आधे का हिस्सेदार होने के बावजूद प्रशासन ने भवन के एवज में उनके चचेरे भाई को एक करोड़ 80 लाख रुपये अधिक दे दिए। ऐसा किस आधार पर किया गया अब तक नहीं समझ पाया। 

डा. तिवारी ने बताया कि समस्त प्रकरण की जानकारी पीएम, सीएम व राष्ट्रपति को भी इस संबंध में अनुरोध पत्र प्रेषित किया था। राष्ट्रपति सचिवालय से मुख्यमंत्री कार्यालय को जून 2020 में ही पत्र लिख कर मामले के न्यायोचित निपटारा कर कार्यवाही से अवगत कराने के लिए पत्र भेजा गया। बावजूद इसके अब तक साथ न्याय नहीं हो सका। एेसे में न्याय की आस में गांधीवादी तरीके से विरोध दर्ज कराने का निर्णय लिया है।


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