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Madho singh Container Depo बंद होने से आठ साल में 20 करोड़ की चोट, कालीन निर्यात बढ़ाने के लिए किया गया था निर्माण

भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड ने अपना माधोसिंह डिपो बंद कर दिया है। 2008 में बनाए गए इस डिपो को 20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जिसकी वजह से यह फैसला लेना पड़ा। निगम ने सितंबर के अंतिम सप्ताह में जमीन रेलवे विभाग को हैंडओवर कर दी थी।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 09:47 AM (IST)
Madho singh Container Depo बंद होने से आठ साल में 20 करोड़ की चोट, कालीन निर्यात बढ़ाने के लिए किया गया था निर्माण
भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड ने अपना माधोसिंह डिपो बंद कर दिया है।

भदोही [संग्राम सिंह] । भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड ने अपना माधोसिंह डिपो बंद कर दिया है। 2008 में बनाए गए इस डिपो को 20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसकी वजह से यह फैसला लेना पड़ा। निगम ने सितंबर के अंतिम सप्ताह में जमीन रेलवे विभाग को हैंडओवर कर दी थी। रेलवे ने बिल्डिंग गिराकर स्थान खाली करने का नोटिस जारी कर दिया है और कर्मचारी दूसरी यूनिटों में भेज दिए गए हैैं।

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सालाना 6000 करोड़ रुपये का निर्यात करने वाले भदोही, मीरजापुर और बनारस के कालीन निर्माताओं की सुविधा और निर्यात को बढ़ावा देने के मकसद से बनाई गई यह योजना अफसरों की अदूरदर्शिता और लापरवाही की भेंट चढ़ गई। यहां से कालीन कंटेनरों के जरिए मुंबई के बंदरगाह तक पहुंचाए जाने थे। लेकिन किराया बहुत ज्यादा होने के कारण निर्यातक इससे दूर ही रहे। आखिरी छह महीनों में यहां से सिर्फ 12 कंटेनर मुंबई गए और एक या दो निर्यातकों ने बुकिंग की।  

किराया भी दोगुना, समय भी ज्यादा लगता है

निर्यातक संजय गुप्ता ने बताया कि यहां से माल जाता तो था, लेकिन कुछ आता नहीं था। ऐसे में खाली कंटेनर की व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती थी। अन्य डिपो से कंटेनर की व्यवस्था करने में कभी-कभी इतना समय लग जाता था कि डिलिवरी समय से नहीं हो पाती थी और आर्डर रद होने का खतरा बढ़ जाता था। कंटेनर को लाने का खर्च अलग से जुड़ जाता था। जाहिर है डिपो को बनाने की योजना बनाते समय यह विचार ही नहीं किया गया कि कालीन लेकर मुंबई जाने वाले कंटेनरों में वापस क्या लाया जाएगा।

भाड़े पर सब्सिडी भी काम न आई, निजी ट्रकों का सहारा   

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के वरिष्ठ प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता मुन्ना ने बताया कि किराये पर निगम ने पांच फीसद सब्सिडी भी दी। इसके बावजूद भाड़ा इतना ज्यादा पड़ता था कि निर्यातक ट्रक से माल भेजते, जो 30 से 40 हजार रुपये पड़ता है।

विशेष ट्रेन भी एक साल ही चली

डिपो को प्रमोट करने के लिए 2008 में ही वाराणसी से लोकमान्य तिलक टॢमनल, मुंबई के लिए विशेष ट्रेन भी चलाई गई थी। लेकिन कंटेनरों की बुकिंग नहीं होने के कारण हफ्ते में एक दिन चलने वाली इस ट्रेन को साल भर बाद ही बंद करना पड़ा। 

घाटे के चलते माधोसिंह कंटेनर डिपो बंद कर दिया गया

घाटे के चलते माधोसिंह कंटेनर डिपो बंद कर दिया गया है। जमीन भी रेलवे को सौंप दी गई है। शेष औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैैं।  

- प्रदीप सिंह, तत्कालीन टर्मिनल मैनेजर, भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड

माधोसिंह से मुंबई तक किराया

-60 हजार रुपये भाड़ा 20 फीट क्षमता के कंटेनर का

-01 लाख रुपये भाड़ा 40 फीट क्षमता के कंटेनर का


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