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Good News: रेलवे का टैंक-जुगाड़ का कंप्रेसर और बना डाला नया 'मेड इन बनारस' आक्सीजन प्लांट

वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल की पहल और बनारस रेल इंजन कारखाना के सहयोग से उद्यमी विपिन अग्रवाल और गौतम चौधरी ने मेड इन बनारस आक्सीजन प्लांट तैयार किया है। अब यह प्लांट चंदौली के जिला अस्पताल में लगाया जाएगा जो 80 बेड की जरूरत पूरी करेगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 07:11 PM (IST)
Good News: रेलवे का टैंक-जुगाड़ का कंप्रेसर और बना डाला नया 'मेड इन बनारस' आक्सीजन प्लांट
दो उद्यमियों को प्रोत्साहित कर रेलवे और वाराणसी प्रशासन के सहयोग से मेड इन बनारस आक्सीजन प्लांट तैयार कराया है।

वाराणसी [प्रमोद यादव]। आवश्यकता आविष्कार की जननी है। यह पढ़ा तो बहुत गया है, लेकिन कोरोना आपदा के इस विकट काल में इसे चरितार्थ किया है वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने। उन्होंने दो उद्यमियों को प्रोत्साहित कर सरकारी सहयोग से 'मेड इन बनारस' आक्सीजन प्लांट तैयार कराया है। दो दिन बाद बनारस में तैयार हुआ यह प्लांट चंदौली के जिला अस्पताल में लगाया जाएगा। गुरुवार को चंदौली में प्लांट का प्लेटफार्म बनवाया गया। कोशिश यह है कि बनारस के आस-पास के जिलों में भी स्वास्थ्य सेवा का बुनियादी ढांचा मजबूत हो।

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वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल दीपक अग्रवाल ने बताया कि बाहर से आक्सीजन प्लांट मंगवाने में कई तरह की परेशानी उन्हें महसूस हुई। अभी यहां के ईएसआइ हास्पिटल, दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल व अन्य जगह बाहर से मंगाए गए प्लांट लगाए गए। ऐसे में उनकी सोच बनी कि क्यों नहीं बनारस को इसके लिए तैयार किया जाए। यहां के दो उद्यमी विपिन अग्रवाल और गौतम चौधरी को उन्होंने प्रेरित किया।

इन दोनों उद्यमियों ने मिलकर 400 लीटर प्रति मिनट आक्सीजन उत्पादित करने वाला प्लांट तैयार कर लिया है। मंगलवार को इस प्लांट का ट्रायल रन भी सफल रहा। विपिन अग्रवाल की स्टील कंपनी है। इसी कंपनी के मैकेनिकल इंजीनियर राजीव सैनी और उनकी टीम ने इस प्रोजेक्ट को लीड किया है। इस टीम को गौतम की कंपनी के तकनीकी विशेषज्ञों ने भी सहायता दी। दोनों उद्यमी का अपना विभिन्न प्रकार का कारोबार है।

कमिश्नर की पहल से बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने अपने यहां से इस काम के लिए दो टैंक निश्शुल्क जिला प्रशासन को उपलब्ध कराए। इस बाबत बरेका प्रबंधन ने ट्वीट भी किया है। इन टैंकों को फिनिश कर इसमें स्थानीय स्तर पर कंप्रेसर व अन्य उपकरण जोड़े गए। विपिन अग्रवाल ने बताया कि अपने कारोबारी कामकाज के दौरान उन्हें कंप्रेसर का कार्यानुभव है। निर्मित प्लांट की तकनीक भी उच्च दबाव देकर गैस को ठोस सतह की ओर लाने का है। इस तकनीक में नाइट्रोजन को आक्सीजन से ज्यादा मजबूत तरीके से जियोलाइट के एब्जार्वेट बेड से हवा का दबाव देकर गुजारा जाता है। इससे नाइट्रोजन अलग हो जाती है।

कुछ और तकनीक का इस्तेमाल कर शुद्ध आक्सीजन बनाया जाता है। बनारस के कुछ और तकनीकी जानकारों से तथा कुछ रिसर्च कर यह प्लांट तैयार हुआ। विपिन अग्रवाल ने बताया कि इस प्लांट को बनाने में लागत भी बाजार दर की अपेक्षा बहुत ही कम आई है। उन्हें प्रसन्नता है कि वे मानवता के काम आए हैं। गौतम चौधरी ने कहा कि आपदा के इस अवसर में मानवता की सेवा ही सर्वोपरि है।

कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि बनारस की तात्कालिक आक्सीजन की जरूरत बहुत हद तक पूरी हो गई है। 'मेड इन बनारस' प्लांट पड़ोसी जिला चंदौली के जिला अस्पताल में इंस्टाल कराया जा रहा है। मैंने खुद मंगलवार को इसका निरीक्षण किया है। यह सुखद है कि बनारस के उद्यमी विपिन अग्रवाल और गौतम चौधरी ने प्लांट बनवाने की चुनौती स्वीकार की। दोनों बधाई के पात्र हैं। आगे भी इस तरह का प्लांट बने यह कोशिश रहेगी। चंदौली के जिलाधिकारी संजीव सिंह ने बताया कि जिला अस्पताल में आक्सीजन प्लांट की मशीन शनिवार तक पहुंच जाएगी। मंडलायुक्त के प्रयास से जिले को यह सौगात मिली है। यहां भर्ती मरीजों को आक्सीजन के लिए अब कोई दिक्कत नहीं होगी।


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