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बोले 'बंबई में का बा' के गीतकार डा. सागर - 'बीएचयू से पूर्वांचल तक भोजपुरी में अश्लीलता खत्म करने की मुहिम'

अश्लीलता को खत्म करने की मुहिम बीएचयू के ही पूर्व छात्र और हालिया में खूब वायरल हुए रैप गीत बंबई में का बा के गीतकार डा. सागर ने बीएचयू से शुरू कर दी है। मनोज वाजपेयी का गाया और अभिनीत यह गाना प्रख्यात फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा ने बनाया था

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 07:31 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 07:31 PM (IST)
बोले 'बंबई में का बा' के गीतकार डा. सागर - 'बीएचयू से पूर्वांचल तक भोजपुरी में अश्लीलता खत्म करने की मुहिम'
अश्लीलता को खत्म करने की मुहिम बीएचयू के ही पूर्व छात्र डा. सागर ने शुरू किया है।

वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। भोजपुरी फिल्म की संगीत से अश्लीलता को खत्म करने की मुहिम बीएचयू के ही पूर्व छात्र और हालिया में खूब वायरल हुए रैप गीत 'बंबई में का बा' के गीतकार डा. सागर ने बीएचयू से शुरू कर दी है। मनोज वाजपेयी का गाया और अभिनीत यह गाना प्रख्यात फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा ने बनाया था। वह अब बीएचयू के बाद गाजीपुर, बलिया, देवरिया, मऊ, आजमगढ़ और जौनपुर समेत पूरे पूर्वांचल में जाकर लोगों को भोजपुरी का असल मर्म बताएंगे।

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इन क्षेत्रों में भोजपुरी साहित्यकार अशोक द्विवेदी के 'फुटल किरिन हजार', कहानी संग्रह 'गांव के भीतर गांव' और ललित निबंध 'रामजी के सुगना' समेत महेंद्र मिसिर, भिखारी ठाकुर की काव्य प्रतिष्ठा को बरकरार रखना है। डा. सागर बताते हैं कि भोजपुरी में ही ऐसे कई साहित्य हैं, जिन्हें विश्व मानचित्र के पटल पर उभारने का काम शुरू कर दिया गया है। वे इन दिनों बीएचयू में ही एक कार्यक्रम में शिरकत करने गुरुवार को पहुंचे। उन्होंने बताया कि बंबई में का बा गाने का वायरल होने इस बात का प्रमाण है कि पूर्वांचल के युवा अब घिसे-पीटे साहित्य व संगीत से अजीज आ चुके हैं। असल में यह रैप गीत लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की बात करता है, इससे एक अलग तरह की जागरुकता समाज में फैली है।

बीएचयू ने दिया कामयाबी का रास्ता

वर्तमान में डा. सागर ने डगरिया मसान हो गईल निर्गुण और दिल में डिलीट वाला आप्शन कहां बा गाना लांच किया है, जिसमें भोजपुरी साहित्य व भाव को काफी बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। वहीं अब तक उन्हें पचास से ज्यादा ऐसे गाने लिखने को मिले हैं, जो भोजपुरी समाज की समस्याओं पर बात करता है। बातचीत में उन्होंने बताया कि यह प्रसिद्धि और एक कामयाबी का रास्ता बीएचयू व यहां के हिंदी विभाग ने दिया है।गीत-संगीत का असली परिचय बीएचयू ने ही कराया, जब वह 1999 में बीएचयू में हिंदी से एमए करते हुए बिरला छात्रावास में रह रहे थे।


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